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पाकिस्तान में धार्मिक चरमपंथियों ने अहमदिया समुदाय की 40 कब्रों की बेअदबी की - AHMADIYYA COMMUNITY IN PAKISTAN

माना जा रहा है कि ये चरमपंथी तत्व तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के सदस्य हैं, जिन्होंने शेखुपुरा में लगभग 40 कब्रों के पत्थर तोड़ दिए.

AHMADIYYA COMMUNITY IN PAKISTAN
प्रतीकात्मक तस्वीर. (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 27, 2025, 5:31 PM IST

लाहौर: पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में धार्मिक चरमपंथियों ने अल्पसंख्यक अहमदिया समुदाय से जुड़ी करीब 40 कब्रों की बेअदबी की है. माना जाता है कि ये चरमपंथी एक कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी के सदस्य हैं. पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी. जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान के एक पदाधिकारी ने कहा कि लाहौर से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित शेखुपुरा में अहमदिया समुदाय के सदस्यों के घरों की दीवारों पर नफरती नारे लिखे गए.

माना जा रहा है कि ये चरमपंथी तत्व तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के सदस्य हैं, जिन्होंने शेखुपुरा में लगभग 40 कब्रों के पत्थर तोड़ दिए. पुलिस ने कहा कि वह अहमदिया समुदाय के कब्रिस्तान को निशाना बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेगी. हालांकि, जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान (जेएपी) ने दावा किया उपद्रवियों ने बिना किसी रोक-टोक के कब्रों के पत्थरों को तोड़ दिया, लेकिन पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही. पिछले वर्ष पाकिस्तान में, विशेषकर पंजाब प्रांत में, धार्मिक चरमपंथियों द्वारा अहमदिया समुदाय के दर्जनों कब्रिस्तानों में तोड़फोड़ की गई, लेकिन पुलिस इस अपराध में संलिप्त एक भी संदिग्ध के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकी.

जेएपी प्रवक्ता आमिर महमूद ने नफरती नारों और अहमदिया समुदाय से जुड़ी 40 कब्रों की बेअदबी किये जाने की कड़ी निंदा की. उन्होंने अधिकारियों की निष्क्रियता की आलोचना करते हुए कहा कि जब कब्रों के पत्थर तोड़ने और भड़काऊ नारे लिखे जाने की घटना हुई तो प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए थी. पाकिस्तान की संसद ने 1974 में, अहमदिया समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित कर दिया. इसके एक दशक बाद, उनपर खुद को मुसलमान कहने पर प्रतिबंध लगा दिया गया.

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माना जा रहा है कि ये चरमपंथी तत्व तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के सदस्य हैं, जिन्होंने शेखुपुरा में लगभग 40 कब्रों के पत्थर तोड़ दिए. पुलिस ने कहा कि वह अहमदिया समुदाय के कब्रिस्तान को निशाना बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेगी. हालांकि, जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान (जेएपी) ने दावा किया उपद्रवियों ने बिना किसी रोक-टोक के कब्रों के पत्थरों को तोड़ दिया, लेकिन पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही. पिछले वर्ष पाकिस्तान में, विशेषकर पंजाब प्रांत में, धार्मिक चरमपंथियों द्वारा अहमदिया समुदाय के दर्जनों कब्रिस्तानों में तोड़फोड़ की गई, लेकिन पुलिस इस अपराध में संलिप्त एक भी संदिग्ध के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकी.

जेएपी प्रवक्ता आमिर महमूद ने नफरती नारों और अहमदिया समुदाय से जुड़ी 40 कब्रों की बेअदबी किये जाने की कड़ी निंदा की. उन्होंने अधिकारियों की निष्क्रियता की आलोचना करते हुए कहा कि जब कब्रों के पत्थर तोड़ने और भड़काऊ नारे लिखे जाने की घटना हुई तो प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए थी. पाकिस्तान की संसद ने 1974 में, अहमदिया समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित कर दिया. इसके एक दशक बाद, उनपर खुद को मुसलमान कहने पर प्रतिबंध लगा दिया गया.

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