ETV Bharat / bharat

बटाईदारों को भी मिले फसल बीमा का हक, कृषि विशेषज्ञों ने भूमि पट्टा कानून की मांग उठायी - LAND LEASE LAW

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि भूमि पट्टा अधिनियम के अभाव में किसानों को फसल बीमा, किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ नहीं मिल पाता है.

farmers to avail government benefits
प्रतीकात्मक तस्वीर. (getty images)
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 5, 2025, 7:40 PM IST

नई दिल्लीः कृषि विशेषज्ञों ने बटाईदारों यानी कि वैसे किसान जो पट्टे पर जमीन लेकर खेती करते हैं उनको सीधे सरकारी लाभ प्राप्त करने के लिए एक स्पष्ट नीति बनाने की बात कही है. विशेषज्ञों का कहना है कि भूमि पट्टा अधिनियम की अनुपस्थिति में बटाईदारों और छोटे किसानों को फसल बीमा, किसान क्रेडिट कार्ड और अन्य योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है. कृषि विशेषज्ञ धर्मेंद्र मलिक ने ईटीवी भारत से विस्तार से बात की.

धर्मेंद्र मलिक ने कहा, "बटाईदारों या छोटे किसानों को लाभ प्रदान करने का कोई मॉडल नहीं है, जिसके कारण वे हमेशा सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने से पीछे रह जाते हैं. केवल आंध्र प्रदेश सरकार ने कुछ साल पहले ऐसे किसानों की पहचान करने की पहल की और उन्हें विशिष्ट पहचान पत्र जारी किए, लेकिन शेष भारत अभी भी बटाईदार किसानों के लिए एक व्यापक नीति का इंतजार कर रहा है."

farmers to avail government benefits
प्रतीकात्मक तस्वीर. (getty images)

मलिक ने कहा, "अधिकांश समय यह देखा जाता है कि भूमि धारक सभी सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते हैं. बटाईदार किसान फसल बीमा योजना, केसीसी और सब्सिडी जैसे लाभों से खाली हाथ रह जाते हैं. इसका मुख्य कारण भूमि मालिक और बटाईदार के बीच भूमि पट्टा समझौता नहीं होना है." इसी तरह के विचार दिखाते हुए एक अन्य विशेषज्ञ नरेश सिरोही ने ईटीवी भारत को बताया, "हमने इस बारे में सरकार को सुझाव दिया है. यह मुद्दा तब तक हल नहीं होगा जब तक कि भूमि पट्टा समझौते को कानूनी नीति नहीं बना दिया जाता."

अक्सर यह देखा जाता है कि कानूनी नीति के अभाव में बटाईदारों और भूमि मालिकों दोनों को कई कानूनी मुद्दों और विवादों का सामना करना पड़ता है. सरकार ने 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए 69515.71 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ 2025-26 तक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना के योगदान को मंजूरी दी है.

farmers to avail government benefits
प्रतीकात्मक तस्वीर. (getty images)

कृषि विशेषज्ञ और पंजाब की किसान सुखविंदर कौर ने ईटीवी भारत से कहा, "यह एक बड़ा मुद्दा है, अगर कोई बटाईदार किसान रिकॉर्ड में आता है तो उनके और जमीन मालिक के बीच जमीन के स्वामित्व का संघर्ष शुरू हो जाता है. अगर व्यवस्था इसी तरह चलती रही तो मुद्दा जस का तस बना रहेगा. सरकार को भूमि पट्टा समझौते का प्रावधान करना चाहिए जिसमें यह उल्लेख किया जाना चाहिए कि किसी विशेष व्यक्ति के पास किराए पर जमीन है ताकि वह अपनी फसलों पर सरकारी लाभ प्राप्त कर सके. इसी तरह, भूमि मालिक के नाम का उल्लेख किया जाना चाहिए ताकि भूमि स्वामित्व के मुद्दों से बचा जा सके."

कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा को बताया कि सरकार ने इस योजना के तहत तकनीकी पहलों को वित्तपोषित करने के लिए 824.77 करोड़ रुपये की कुल राशि के साथ सूचना एवं प्रौद्योगिकी कोष के निर्माण को भी मंजूरी दी है. 2023-24 में इस योजना के तहत जिन किसानों की फसलों का बीमा किया गया और दावों का भुगतान किया गया, फसल बीमा के लिए नामांकित किसानों की संख्या 14,29,45,872 है और दावों का भुगतान 15,504.87 करोड़ रुपये किया गया है.

इसे भी पढ़ेंः

नई दिल्लीः कृषि विशेषज्ञों ने बटाईदारों यानी कि वैसे किसान जो पट्टे पर जमीन लेकर खेती करते हैं उनको सीधे सरकारी लाभ प्राप्त करने के लिए एक स्पष्ट नीति बनाने की बात कही है. विशेषज्ञों का कहना है कि भूमि पट्टा अधिनियम की अनुपस्थिति में बटाईदारों और छोटे किसानों को फसल बीमा, किसान क्रेडिट कार्ड और अन्य योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है. कृषि विशेषज्ञ धर्मेंद्र मलिक ने ईटीवी भारत से विस्तार से बात की.

धर्मेंद्र मलिक ने कहा, "बटाईदारों या छोटे किसानों को लाभ प्रदान करने का कोई मॉडल नहीं है, जिसके कारण वे हमेशा सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने से पीछे रह जाते हैं. केवल आंध्र प्रदेश सरकार ने कुछ साल पहले ऐसे किसानों की पहचान करने की पहल की और उन्हें विशिष्ट पहचान पत्र जारी किए, लेकिन शेष भारत अभी भी बटाईदार किसानों के लिए एक व्यापक नीति का इंतजार कर रहा है."

farmers to avail government benefits
प्रतीकात्मक तस्वीर. (getty images)

मलिक ने कहा, "अधिकांश समय यह देखा जाता है कि भूमि धारक सभी सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते हैं. बटाईदार किसान फसल बीमा योजना, केसीसी और सब्सिडी जैसे लाभों से खाली हाथ रह जाते हैं. इसका मुख्य कारण भूमि मालिक और बटाईदार के बीच भूमि पट्टा समझौता नहीं होना है." इसी तरह के विचार दिखाते हुए एक अन्य विशेषज्ञ नरेश सिरोही ने ईटीवी भारत को बताया, "हमने इस बारे में सरकार को सुझाव दिया है. यह मुद्दा तब तक हल नहीं होगा जब तक कि भूमि पट्टा समझौते को कानूनी नीति नहीं बना दिया जाता."

अक्सर यह देखा जाता है कि कानूनी नीति के अभाव में बटाईदारों और भूमि मालिकों दोनों को कई कानूनी मुद्दों और विवादों का सामना करना पड़ता है. सरकार ने 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए 69515.71 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ 2025-26 तक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना के योगदान को मंजूरी दी है.

farmers to avail government benefits
प्रतीकात्मक तस्वीर. (getty images)

कृषि विशेषज्ञ और पंजाब की किसान सुखविंदर कौर ने ईटीवी भारत से कहा, "यह एक बड़ा मुद्दा है, अगर कोई बटाईदार किसान रिकॉर्ड में आता है तो उनके और जमीन मालिक के बीच जमीन के स्वामित्व का संघर्ष शुरू हो जाता है. अगर व्यवस्था इसी तरह चलती रही तो मुद्दा जस का तस बना रहेगा. सरकार को भूमि पट्टा समझौते का प्रावधान करना चाहिए जिसमें यह उल्लेख किया जाना चाहिए कि किसी विशेष व्यक्ति के पास किराए पर जमीन है ताकि वह अपनी फसलों पर सरकारी लाभ प्राप्त कर सके. इसी तरह, भूमि मालिक के नाम का उल्लेख किया जाना चाहिए ताकि भूमि स्वामित्व के मुद्दों से बचा जा सके."

कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा को बताया कि सरकार ने इस योजना के तहत तकनीकी पहलों को वित्तपोषित करने के लिए 824.77 करोड़ रुपये की कुल राशि के साथ सूचना एवं प्रौद्योगिकी कोष के निर्माण को भी मंजूरी दी है. 2023-24 में इस योजना के तहत जिन किसानों की फसलों का बीमा किया गया और दावों का भुगतान किया गया, फसल बीमा के लिए नामांकित किसानों की संख्या 14,29,45,872 है और दावों का भुगतान 15,504.87 करोड़ रुपये किया गया है.

इसे भी पढ़ेंः

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.