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पटना: आधुनिक दौर में अनोखी तस्वीर, अंग्रेजी के बदले वेद की शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्र

एक ओर जहां बच्चे अंग्रेजी पढ़ने की कतार में लगे हैं. वहीं, दूसरी तरफ पटना के तारामंडल में बच्चे वेदों की शिक्षा ले रहे हैं.

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Published : May 13, 2019, 12:05 PM IST

वेदों की पढ़ाई करते बच्चे

पटना: आधुनिकता के इस दौर में जहां बच्चे अंग्रेजी मीडियम में पढ़ने की चाह रखते हैं. वहीं, जिले में एक अनोखा वाकया देखने को मिला है. राजधानी पटना स्थित विद्यापति मार्ग एक विद्यालय में बच्चे वेदों की पढ़ाई करते नजर आए. यहां के बच्चे धाराप्रवाह संस्कृत का उच्चारण कर वेद की जानकारी ले रहे हैं.
पटना के संत पशुपति नाथ वेद विद्यालय में पूरे बिहार से बच्चे आकर पढ़ते हैं. विद्यालय में कुल 45 बच्चे हैं जो वेद की शिक्षा ग्रहण करते हैं. यहां के बच्चे सिर्फ धोती पहन-ओढ़कर रखते हैं. इन बच्चों की खासियत यह है कि यह बच्चे धाराप्रवाह संस्कृत का उच्चारण करते हैं. साथ ही वेदों की जानकारी रखते है.

वेदों की पढ़ाई करते बच्चे

सुबह 4 से रात 10 तक होती है पढ़ाई
विद्यालय के गुरु अजीत तिवारी बताते हैं कि यहां बच्चे ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 4 बजे से रात 10 बजे तक अध्यन में लग जाते हैं. इस विद्यालय में संस्कारों की शिक्षा दी जाती है. बच्चों को उनकी पौराणिक शिक्षा का महत्व और ज्ञान समझाया जाता है. यहां विद्यालय में सभी वेदों की शिक्षा दी जाती है. उन्होंने कहा कि वेद हमारी मूल संस्कृति है, और इसी की शिक्षा यहां दी जाती है. साथ ही बच्चों को कर्मकांड का भी ज्ञान प्रदान किया जाता है.

इन्होंने की थी विद्यालय की शुरुआत
बता दें कि राजधानी पटना के तारामंडल के पास विद्यापति मार्ग में स्थित संत पशुपति नाथ वेद विद्यालय महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान द्वारा संचालित होता है. इस विद्यालय की शुरुआत 2007 में हुई थी और इसकी शुरुआत स्वर्गीय अमोलानंद ब्रह्मचारी जी ने की थी. यह विद्यालय 200 वर्षों से ज्यादा पुरानी श्री राम जानकी मंदिर में चलता है.

पटना: आधुनिकता के इस दौर में जहां बच्चे अंग्रेजी मीडियम में पढ़ने की चाह रखते हैं. वहीं, जिले में एक अनोखा वाकया देखने को मिला है. राजधानी पटना स्थित विद्यापति मार्ग एक विद्यालय में बच्चे वेदों की पढ़ाई करते नजर आए. यहां के बच्चे धाराप्रवाह संस्कृत का उच्चारण कर वेद की जानकारी ले रहे हैं.
पटना के संत पशुपति नाथ वेद विद्यालय में पूरे बिहार से बच्चे आकर पढ़ते हैं. विद्यालय में कुल 45 बच्चे हैं जो वेद की शिक्षा ग्रहण करते हैं. यहां के बच्चे सिर्फ धोती पहन-ओढ़कर रखते हैं. इन बच्चों की खासियत यह है कि यह बच्चे धाराप्रवाह संस्कृत का उच्चारण करते हैं. साथ ही वेदों की जानकारी रखते है.

वेदों की पढ़ाई करते बच्चे

सुबह 4 से रात 10 तक होती है पढ़ाई
विद्यालय के गुरु अजीत तिवारी बताते हैं कि यहां बच्चे ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 4 बजे से रात 10 बजे तक अध्यन में लग जाते हैं. इस विद्यालय में संस्कारों की शिक्षा दी जाती है. बच्चों को उनकी पौराणिक शिक्षा का महत्व और ज्ञान समझाया जाता है. यहां विद्यालय में सभी वेदों की शिक्षा दी जाती है. उन्होंने कहा कि वेद हमारी मूल संस्कृति है, और इसी की शिक्षा यहां दी जाती है. साथ ही बच्चों को कर्मकांड का भी ज्ञान प्रदान किया जाता है.

इन्होंने की थी विद्यालय की शुरुआत
बता दें कि राजधानी पटना के तारामंडल के पास विद्यापति मार्ग में स्थित संत पशुपति नाथ वेद विद्यालय महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान द्वारा संचालित होता है. इस विद्यालय की शुरुआत 2007 में हुई थी और इसकी शुरुआत स्वर्गीय अमोलानंद ब्रह्मचारी जी ने की थी. यह विद्यालय 200 वर्षों से ज्यादा पुरानी श्री राम जानकी मंदिर में चलता है.

Intro:आधुनिकता के इस दौर में आज हर मां-बाप अपने बच्चों को अंग्रेजी मीडियम की शिक्षा दिलाने की चाह रखते हैं और चाहते हैं कि उनके बच्चे आधुनिक शिक्षा ग्रहण करें वही एक और राजधानी पटना के विद्यापति मार्ग में एक ऐसा भी विद्यालय है जहां बच्चे वेद की पढ़ाई करते हैं. यहां के बच्चे धाराप्रवाह संस्कृत का उच्चारण करते हैं.


Body:राजधानी पटना के तारामंडल के पास विद्यापति मार्ग में स्थित संत पशुपति नाथ वेद विद्यालय एक ऐसा विद्यालय है जहां बच्चे वेद की पढ़ाई करते हैं. यह विद्यालय महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान द्वारा संचालित होता है. इस विद्यालय की शुरुआत 2007 में हुई थी और इसकी शुरुआत स्वर्गीय अमोलानंद ब्रह्मचारी जी ने की थी. यह विद्यालय 200 वर्षों से ज्यादा पुरानी श्री राम जानकी मंदिर में चलता है.
इस विद्यालय में पूरे बिहार से बच्चे आकर पढ़ते हैं. विद्यालय में कुल 45 बच्चे हैं जो वेद की शिक्षा ग्रहण करते हैं. यहां के बच्चे सिर्फ धोती पहनते हैं और उसे ओढ़ कर रखते हैं. बच्चे लाल पीले और भगवा रंग के धोती पहनकर सफाई करते हैं. यह बच्चे इतनी धाराप्रवाह संस्कृत का उच्चारण करते हैं कि लोग दातों तले उंगली काटने को मजबूर हो जाते हैं.

इस विद्यालय के गुरु जी अजीत तिवारी बताते हैं कि यहां बच्चे ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 4:00 बजे तक जाते हैं और नित्य क्रिया से निवृत्त होने के बाद ध्यान में लग जाते हैं. इस विद्यालय में संस्कारों की शिक्षा दी जाती है और बच्चों को उनकी पौराणिक शिक्षा का महत्व और ज्ञान समझाया जाता है. इस विद्यालय में सभी वेदों की शिक्षा दी जाती है लेकिन शुक्ल यजुर्वेद और अथर्ववेद की विशेष पाठ पढ़ाई जाती है. उन्होंने बताया कि हमारी मूल संस्कृति है यह और इसी कि यहां शिक्षा दी जाती है. यहां बच्चों को कर्मकांड का भी ज्ञान प्रदान किया जाता है.


Conclusion:वेद विद्यालय में बच्चे संस्कृत में वेदों को धाराप्रवाह पढ़ते हैं. इस विद्यालय में संस्कारों की विशेष शिक्षा दी जाती है ताकि बच्चे व्यवहारिक जीवन में सफल हो सके. यह बच्चे सुबह 4:00 बजे से लेकर रात के 10:00 बजे तक वेदों का ज्ञान अर्जन करते हैं. यहां के पुस्तकालय में सभी प्रकार के वेद सुसज्जित हैं. वेद विद्यालय में बच्चे पौराणिक काल के गुरुकुल के छात्रों जैसा वस्त्र पहनते हैं. यहां बच्चों को भारतीय संस्कृति का विशेष ज्ञान दिया जाता है.
विद्यालय में पहले पीने के पानी की समस्या थी लेकिन जब अशोक चौधरी शिक्षा मंत्री बने तब उन्होंने इस विद्यालय में पानी का बोरिंग कराया था जिससे अब बच्चों को पीने की पानी की समस्या दूर हो गई है. यह विद्यालय श्री राम जानकी मंदिर में आए दान की राशि पर चलता है. इस प्रतिष्ठित वेद विद्यालय में बच्चों की शिक्षा के लिए सरकार की तरफ से कोई भी विशेष अनुदान नहीं प्रदान किया जाता है.
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