पटना: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सौवीं जयंती मनायी जा रही है. भारतीय जनता पार्टी इस समारोह को धूमधाम से मना रहा है. बीजेपी के समानांतर पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने भी अटल बिहारी बाजपेयी जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन किया. राजधानी पटना के बापू सभागार में आयोजित कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया. इसके बाद राजनीतिक गलियारे में चर्चा हो रही है कि अश्विनी चौबे फिर से राजनीतिक जमीन तलाशने में जुटे हैं.
भाजपा के नेताओं ने बनायी दूरीः अटल बिहारी जयंती समारोह के लिए अश्विनी चौबे की टीम के द्वारा जो पोस्टर बनवाए गए थे, उसमें बिहार भाजपा के तमाम बड़े नेताओं की तस्वीर लगी थी. अश्विनी चौबे की ओर से प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, मंगल पांडे, नितिन नवीन, विजय सिन्हा और सम्राट चौधरी को आमंत्रित किया गया था. लेकिन, ज्यादातर बड़े नेताओं ने कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी. राज्यसभा सांसद रविशंकर प्रसाद, सांसद गोपाल जी ठाकुर और उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा कार्यक्रम में शामिल हुए.
नरेंद्र मोदी की तारीफ कीः कार्यक्रम के जरिए पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने एक तीर से कई निशाना साधने की कोशिश की है. एक ओर जहां अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने की कोशिश की तो दूसरी तरफ अपने पुत्र अर्जित शाश्वत की ब्रांडिंग भी की. पूर्व केंद्रीय मंत्री की मनसा राजनीति की मुख्यधारा में आने की है. अश्विनी चौबे की दिलचस्पी संगठन में है. ईटीवी भारत से बातचीत में पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि नरेंद्र मोदी, अटल बिहारी के सपनों का भारत बना रहे हैं. 2047 तक भारत विकसित होगा.
"मैं राजनीतिक रूप से अभी भी सक्रिय हूं और आगे भी राजनीतिक सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में अपनी भूमिका अदा करता रहूंगा. जहां तक चुनाव लड़ने का सवाल है तो मैंने चुनावी राजनीति से तौबा कर लिया है. संगठन के लिए काम करता रहूंगा."- अश्विनी चौबे, पूर्व केंद्रीय मंत्री
बेटे के लिए जमीन बनाने का प्रयासः राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर संजय कुमार का मानना है कि अश्विनी चौबे फिर से राजनीति में वापसी करना चाहते हैं. अटल बिहारी की जयंती के बहाने अश्विनी चौबे ने सियासत को धार देने की कोशिश की है. आने वाले दिनों में संगठन में या फिर किसी संवैधानिक पद पर उन्हें जिम्मेदारी मिले, इसकी तैयारी के रूप में उन्होंने इस कार्यक्रम को किया हो. साथ ही, विधानसभा चुनाव भी नजदीक है तो अपने पुत्र अर्जित शाश्वत के लिए रास्ता बनाने का प्रयास हो सकता है.
क्या है अश्विनी चौबे की नाराजगीः अश्विनी चौबे बक्सर से सांसद थे. लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा ने उनका टिकट काटकर मिथिलेश तिवारी को टिकट दे दिया. चुनाव में प्रचार के लिए अश्विनी चौबे नहीं गये. कहा जाता है कि इसके बाद अश्विनी चौबे पार्टी से नाराज चल रहे थे. इस दौरान एक मौके पर उन्होंने खुद को 'सड़क का सांसद' करार दिया था. लेकिन अब अश्विनी चौबे ने पटना में कार्यक्रम कर राजनीतिक धमक दी है.
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