मधेपुरा : बिहार के कई जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों का रखा गया है. मधेपुरा जिला का सुधार गृह यानी की जेल, विचाराधीन कैदियों के लिए यातना गृह बना (Prisoners Locked in Madhepura Jail) हुआ है. क्षमता से लगभग चार गुणा अधिक कैदी होने के कारण मधेपुरा जेल की स्थिति विस्फोटक बनी हुई है. बीते एक माह में 2 कैदियों की मौत हो गयी है. 40-50 कैदियों के बीमार होने के बाद जेल प्रशासन ने सरकार और वरीय अधिकारी को त्राहिमाम सन्देश भेजा है. इतना ही नहीं जब जेल का निरीक्षण करने प्रमंडलीय आयुक्त पहुंचे तो वे भी कैदियों की समस्या देख कर चिंतित हुए.
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कई कैदी रात में सो नहीं पाते : बताया जाता है कि यहां पर छह कैदी मानसिक रोग से ग्रस्त हैं. सही से सो तक नहीं पाने के कारण जब जमानत के बाद लोग यहां से निकलते हैं तो भागवान का शुक्रिया अदा करते हैं. यहां तो सैकड़ों कैदी सेल में खरे होकर या बैठकर कई दिनों से रात गुजार रहे हैं. पहचान नहीं उजागर हो इसलिए चेहरा छुपाकर एक कैदी ने जेल के भीतर की पीड़ा सुनाई.
''जितनी कैदियों की जेल में रहने की क्षमता है, उससे 4 गुणा ज्यादा कैदी बंद हैं. लगभग 200 कैदियों की क्षमता है और 800 के करीब कैदी बंद हैं. खाना में दिक्कत तो है ही. सबसे ज्यादा समस्या सोने में होती है. सोने के लिए जगह नहीं रहती है, कैदी बैठकर रात काटते हैं. हर वार्ड में लगभर 50-60 कैदी बैठे रहते हैं. नहीं सोने की वजह से कई बार कैदी बीमार भी पड़ जाते हैं.'' - विचाराधीन कैदी
निरीक्षण करने पहुंचे प्रमंडलीय आयुक्त : भीषण गर्मी में यहां रहने वाले कैदियों की स्थिति काफी खराब है. बीते 17 जुलाई को जेल के एक कैदी की मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मौत हो गयी. बताया गया कि वह वायरल फीवर का शिकार था. अगले ही दिन उसके एक अन्य भाई को भी इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज भेजा गया. मृतक के पुत्र ने बताया था कि जेल में सही इलाज नहीं मिला, जिस वजह से उसके पिता की मौत हुई. इन तमाम समस्याओं के बीच जब जेल का निरीक्षण करने प्रमंडलीय आयुक्त श्री गोरखनाथ पहुंचे तो उन्होंने भी स्वीकारा किया कि जेल काफी छोटा है. यहां क्षमता से काफी अधिक कैदी हैं. जिस वजह से यहां कई तरह की समस्या सामने आती है..
''जेल बहुत छोटा है. यहां पर कैदियों के रहने की क्षमता 182 है लेकिन यहां लगभग 800 कैदी हैं. नए जेल बनाने का प्रस्ताव है. नए जेल के बनाने हेतु जिला पदाधिकारी मधेपुरा और कारा अधीक्षक नया प्रस्ताव जल्द भेजेंगे. अगर विभाग से स्वीकृति मिल जाती है तो 6 महीने के अंदार काम शुरू हो जानी चाहिए. यहां से कुछ बंदियों को अन्यत्र ट्रांसफर करने का भी फैसला लिया गया है. यहां कारा हॉस्पीटल भी नहीं है. जिसके कारण यहां के कैदियों को सदर अस्पताल में जाना पड़ता है. डॉक्टर हैं, दवा भी है, लेकिन उचित स्थान नहीं है जिस कारण कठिनाई हो रही है.'' - श्री गोरख नाथ, प्रमंडलीय आयुक्त, कोसी
बता दें कि, जेल में बंद कैदियों ने करीब 20 दिन पहले 70 कैदियों के हस्ताक्षर वाला आवेदन जिला जज को लिखा था. जिसमें जेल की दुर्दशा के बारे में बताया गया था. जेल अधीक्षक द्वारा भी कई बार वरीय अधिकारी और विभाग को जेल की समस्याओं से अवगत कराया गया था लेकिन कुछ नहीं हुआ. अब ऐसे में देखना होगा कि प्रमंडलीय आयुक्त की जांच के बाद क्या कार्रवाई होती है.