कैमूर: बिहार सरकार राज्य में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लाख दावे कर ले, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है. इसका सटीक उदाहरण जिले के चैनपुर प्रखंड के कर्जी में स्थित सरकारी स्वास्थ्य उपकेन्द्र है. इसका निर्माण 30 साल पहले लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिया कराया गया था. लेकिन आज ये खुद किसी तबेले से कम नहीं है.
तबेले में तब्दील हुआ स्वास्थ्य उपकेन्द्र
पूर्व स्वास्थ्य मंत्री लालमुनी चौबे के समय बनाए गए इस स्वास्थ्य उपकेन्द्र में मरीजों की जगह गाय, भैंस बंधी होती है. लोग इस खंडहर भवन का उपयोग अब उपले को सुखाने के लिए करते हैं.
समुदाय भवन में होता है लोगों का इलाज
इसकी जगह 20 सालों से गांव के समुदाय भवन में एक अलग अस्पताल चलाया जाता है. जो महज दो एएनएम और एक आशा कार्यकर्ता के भरोसे टिका है. लोगों ने बताया कि ज्यादातर समय यह केंद्र बंद ही रहता है. यहां सिर्फ टिकाकरण का काम ही होता है. अगर किसी मरीज की स्थिति गंभीर होती है तो उसे तत्काल भभुआ ले जाना पड़ता है.
सुविधा के अभाव में होती है लोगों को परेशानी
ग्रामीणों के अनुसार 30 साल पहले जब इस केंद्र का निर्माण कराया गया था तब कुछ दिनों तक लोगों को बेहतर सुविधाएं मिली थी. लेकिन उसके बाद विभाग की लापरपाही के कारण इसकी हालत बद से बदतर हो गई. लोगों को बेहतर इलाज के लिए जिला मुख्यालय भभुआ आना पड़ता है.
दवाईयों का भी है अभाव
ग्रामीणों के मुताबिक जब केंन्द्र का संचालन होता था तब आसपास के दर्जनों गांव के लोगों का इसका लाभ मिलता था. लेकिन अब स्थिति बद से बदतर हो चुकी है. अब तो यहां दवाई भी मिलना मुश्किल है.
नहीं सुनी किसी ने गुहार
इसके निर्माण के लिए वर्तमान खनन मंत्री ब्रृज किशोर से लेकर जिले के कई नेताओं से ग्रामीण गुहार लगा चुके हैं. लेकिन आज तक किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई.
जमीन की तलाश में विभाग
इस बारे में सिविल सर्जन अरुण कुमार तिवारी ने बताया कि उपकेन्द्र का निर्माण 30 साल पहले हुआ था. जब से इसकी बिल्डिंग ध्वस्त हुई है, इसका संचालन समुदाय भवन में ही होता है. विभाग की तरफ से इसके लिए जमीन देखी जा रही है, जैसे ही नई जमीन मिल जाएगी इसका निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा.