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फ्रांसीसी महिला ने किया दलित बच्चों के लिए निशुल्क स्कूल का उद्घाटन, मनाया अपना 81वां जन्मदिन - etv nwes

फ्रांसीसी समाज सेविका डॉ. जेने पेरे उर्फ मम्मी जी (French social worker mummy jee) ने अपने जन्मदिन के मौके पर बोधगया प्रखंड के इलरा गांव में गरीब बच्चों के लिए फ्री स्कूल का उद्घाटन किया. इस मौके पर आज उन्होंने अपने 81वां जन्मदिन भी बच्चों के साथ मनाया.

निशुल्क विद्यालय का  उद्घाटन
निशुल्क विद्यालय का उद्घाटन
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Published : Nov 25, 2021, 5:39 PM IST

गयाः बोधगया में रहकर असहाय बच्चों के उत्थान के लिए काम करने वाली फ्रांसीसी समाज सेविका डॉ. जेने पेरे उर्फ मम्मी जी (French social worker mummy jee) ने दलित समाज के बच्चों के साथ अपना 81वां जन्मदिन मनाया. इस अवसर पर उन्होंने बोधगया प्रखंड के महादलित टोले में शिक्षा से वंचित बच्चों के लिए मम्मी जी एजुकेशनल चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से एक नॉन फॉर्मल स्कूल (French social worker Inaugurated free school) का उद्घाटन भी किया.

ये भी पढ़ेंः 4 साल से नहीं मिला वेतन.. डिप्टी CM के गार्ड ने पैरवी के लिए मांगे डेढ़ लाख, बदतमीजी भी की: शिक्षिका

स्कूल का उद्घाटन डॉ. जेने पेरे, बोधगया की जिला पार्षद ज्योति कुमारी पासवान और समाजसेवी मुन्ना पासवान सहित अन्य लोगों ने फीता काटकर किया. इस दौरान मम्मी जी ने गरीब और दलित बच्चों को केक काटकर खिलाया.
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए डॉ. जेने पेरे ने कहा कि अपने 81वें जन्मदिन को महादलित बस्ती में गरीब और जरूरतमंद लोगों के साथ मनाकर वे काफी गौरवान्वित महसूस कर रही हैं. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के बच्चों को पढ़ाई के दौरान होने वाली परेशानियों को देखते हुए उन्होंने स्कूल खोलने का निर्णय लिया है.

फ्रांसीसी समाज सेविका ने किया स्कूल का उद्घाटन

'इस गांव के लोग बहुत ही गरीब हैं. ऐसे में छोटे-छोटे बच्चों की शिक्षा को देखते हुए यहां स्कूल खोला गया है. यहां जो बच्चे अच्छा करेंगे, उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए बोधगया स्थित संस्था में निशुल्क पढ़ाई की व्यवस्था करूंगी. बच्चों से कहना चाहती हूं कि वे पढ़-लिखकर आगे बढ़े और अपने जीवन के लक्ष्य को हासिल करें'- डॉ. जेने पेरे उर्फ मम्मी जी, फ्रांसीसी समाजसेविका

ये भी पढ़ेंः आज से बिहार में e-vidhan की शुरुआत, सभापति अवधेश नारायण सिंह ने किया उद्घाटन

मम्मी जी ने कहा कि ठंड के मौसम को देखते हुए इस गांव के जरूरतमंद 81 ग्रामीणों के बीच कंबल का भी वितरण किया गया है. वहीं कार्यक्रम को संबोधित करते हुए समाजसेवी मुन्ना पासवान ने कहा कि अक्सर यह देखा गया है कि गरीब लोग बच्चों को शिक्षा नहीं दे पाते. इस गांव के अधिकतर बच्चे शिक्षा के अभाव में प्लास्टिक और अन्य चीजों को चुनने का कार्य करते हैं. ऐसे में उनकी शिक्षा को देखते हुए फ्रांसीसी महिला मम्मी जी द्वारा यहां स्कूल खोला गया है. जो बच्चे यहां अच्छा करेंगे, उन्हें बोधगया स्थित बोर्डिंग स्कूल में आगे की पढ़ाई के लिए भेजा जाएगा.

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गयाः बोधगया में रहकर असहाय बच्चों के उत्थान के लिए काम करने वाली फ्रांसीसी समाज सेविका डॉ. जेने पेरे उर्फ मम्मी जी (French social worker mummy jee) ने दलित समाज के बच्चों के साथ अपना 81वां जन्मदिन मनाया. इस अवसर पर उन्होंने बोधगया प्रखंड के महादलित टोले में शिक्षा से वंचित बच्चों के लिए मम्मी जी एजुकेशनल चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से एक नॉन फॉर्मल स्कूल (French social worker Inaugurated free school) का उद्घाटन भी किया.

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स्कूल का उद्घाटन डॉ. जेने पेरे, बोधगया की जिला पार्षद ज्योति कुमारी पासवान और समाजसेवी मुन्ना पासवान सहित अन्य लोगों ने फीता काटकर किया. इस दौरान मम्मी जी ने गरीब और दलित बच्चों को केक काटकर खिलाया.
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए डॉ. जेने पेरे ने कहा कि अपने 81वें जन्मदिन को महादलित बस्ती में गरीब और जरूरतमंद लोगों के साथ मनाकर वे काफी गौरवान्वित महसूस कर रही हैं. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के बच्चों को पढ़ाई के दौरान होने वाली परेशानियों को देखते हुए उन्होंने स्कूल खोलने का निर्णय लिया है.

फ्रांसीसी समाज सेविका ने किया स्कूल का उद्घाटन

'इस गांव के लोग बहुत ही गरीब हैं. ऐसे में छोटे-छोटे बच्चों की शिक्षा को देखते हुए यहां स्कूल खोला गया है. यहां जो बच्चे अच्छा करेंगे, उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए बोधगया स्थित संस्था में निशुल्क पढ़ाई की व्यवस्था करूंगी. बच्चों से कहना चाहती हूं कि वे पढ़-लिखकर आगे बढ़े और अपने जीवन के लक्ष्य को हासिल करें'- डॉ. जेने पेरे उर्फ मम्मी जी, फ्रांसीसी समाजसेविका

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मम्मी जी ने कहा कि ठंड के मौसम को देखते हुए इस गांव के जरूरतमंद 81 ग्रामीणों के बीच कंबल का भी वितरण किया गया है. वहीं कार्यक्रम को संबोधित करते हुए समाजसेवी मुन्ना पासवान ने कहा कि अक्सर यह देखा गया है कि गरीब लोग बच्चों को शिक्षा नहीं दे पाते. इस गांव के अधिकतर बच्चे शिक्षा के अभाव में प्लास्टिक और अन्य चीजों को चुनने का कार्य करते हैं. ऐसे में उनकी शिक्षा को देखते हुए फ्रांसीसी महिला मम्मी जी द्वारा यहां स्कूल खोला गया है. जो बच्चे यहां अच्छा करेंगे, उन्हें बोधगया स्थित बोर्डिंग स्कूल में आगे की पढ़ाई के लिए भेजा जाएगा.

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