दरभंगा: शौचालय आवंटन घोटाला (Toilet Allotment Scam In Darbhanga) मामले में नगर निगम की पदमुक्त महापौर बैजंती देवी खेड़िया, उपमहापौर बदरुज्जमा खान और सशक्त स्थायी समिति के 7 पार्षदों ने अपनी बर्खास्तगी के फैसले को पटना हाईकोर्ट (Dismissal Challenged In Patna High Court) में चुनौती दी है. पदमुक्त मेयर, डिप्टी मेयर और पार्षदों ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर खुद को निर्दोष बताया.
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संवाददाताओं को संबोधित करते हुए मेयर और डिप्टी मेयर ने 27 लाख की वसूली के निर्देश को भी गलत करार देते हुए रुपये जमा करने से साफ मना कर दिया. पदमुक्त मेयर बैजंती देवी खेड़िया ने कहा कि, एक साजिश के तहत विपक्ष और भाजपा के लोगों ने उन्हें फंसाया है.
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"शौचालय आवंटन में 27 लाख की छूट देने का प्रस्ताव पूर्व मेयर गौरी पासवान के समय का है. जिन लोगों की शिकायत पर मुझे पदमुक्त किया गया है, उन्हीं लोगों ने यह प्रस्ताव दिया था. मेरे कार्यकाल में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई इसलिए मुझे बलि का बकरा बना दिया गया."-बैजंती देवी खेड़िया, पदमुक्त मेयर
बैजंती देवी खेड़िया ने यह भी कहा कि, उनके कार्यकाल में सशक्त स्थायी समिति के पास यह मामला आया था. चूंकि पहले के मेयर और स्थायी समिति ने इसे मंजूरी दे दी थी, इसलिए उन लोगों ने भी इस प्रस्ताव को आगे बढ़ा दिया. उन्होंने कहा कि, अगर यह फैसला गलत था तो दरभंगा नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त ने इसे सरकार को मंजूरी के लिए क्यों भेजा और सरकार ने इसे मंजूर क्यों किया.अपनी बर्खास्तगी के फैसले के खिलाफ बैजंती देवी खेड़िया ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
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वहीं, पदमुक्त उपमहापौर बदरुज्जमा खान ने कहा कि, 'ये लड़ाई मेयर और नगर विधायक संजय सरावगी के परिवारों के बीच की है. उन्होंने कहा कि इस लड़ाई की वजह से नगर निगम जंग का अखाड़ा बन गया है. नगर विधायक संजय सरावगी महापौर के खिलाफ षड्यंत्र कर रहे हैं.'
"इस लड़ाई की वजह से दरभंगा नगर निगम में चलने वाले विकास कार्यों पर असर पड़ रहा है. इससे जनता को नुकसान होगा.नगर विधायक और बैजंती देवी के परिवार के बीच की लड़ाई का असर निगम पर पड़ना तय है."- बदरुज्जमा खान, पदमुक्त डिप्टी मेयर
बता दें कि, शौचालय आवेदन के मामले में गैर कानूनी ढंग से 27 लाख की छूट देने का दोषी पाते हुए पिछले 8 दिसंबर को नगर विकास विभाग ने बड़ी कार्रवाई की थी. दरभंगा नगर निगम की महापौर बैजंती देवी खेड़िया, उपमहापौर बदरुज्जमा खान समेत सशक्त स्थायी समिति के 7 पार्षदों को उनके पद से मुक्त कर दिया था.
इसके साथ ही विभाग ने इन सभी 9 लोगों से 27 लाख रुपये की वसूली के आदेश दिए थे. 15 दिन के भीतर वसूली का निर्देश दिया गया था. नगर विकास विभाग ने यह भी कहा था कि, अगर 15 दिनों के भीतर ये लोग पैसे जमा नहीं करते हैं तो इनके खिलाफ नीलाम वाद की कार्रवाई की जाएगी.
दरअसल दरभंगा कमिश्नर से इस मामले की लिखित शिकायत वार्ड पार्षद मधुबाला सिन्हा और पूर्व पार्षद प्रदीप गुप्ता ने की थी. कमिश्नर ने इन सभी को दोषी करार दिया था. कमिश्नर की रिपोर्ट के आधार पर नगर विकास विभाग ने ये कार्रवाई की थी. विभाग के आदेश के तहत 8 दिसंबर से ही दरभंगा नगर निगम में महापौर, उपमहापौर और सशक्त स्थायी समिति के 7 पार्षदों के पद खाली हो गए थे. इसके बाद दरभंगा नगर निगम के आयुक्त मनेश कुमार मीणा ने राज्य निर्वाचन आयोग से इन पदों पर चुनाव के लिए मंतव्य मांगा था.
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