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'दरभंगा के स्वतंत्रता सेनानी' पर सेमिनार का आयोजन, गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों को मिलेगी पहचान

संग्रहालय के क्यूरेटर डॉ. शिव कुमार मिश्र ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में दरभंगा और मिथिलांचल के स्वतंत्रता सेनानियों के नाम बहुत कम मिलते हैं. इसकी वजह यह है कि यहां के इतिहास कारों और लेखकों ने उनके योगदान को दर्ज नहीं किया.

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Published : Nov 24, 2019, 9:58 PM IST

सेमिनार का आयोजन

दरभंगा: जिले के महाराजाधिराज लक्ष्मेश्वर सिंह संग्रहालय में 'दरभंगा के स्वतंत्रता सेनानी' विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया. यह आयोजन इंटेक दरभंगा चैप्टर, मैथिली साहित्य परिषद और संग्रहालय तीनों की ओर से किया गया. इसका कार्यक्रम का उद्देश्य दरभंगा और मिथिलांचल के सभी जिलों के गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों की खोज कर उनका दस्तावेजीकरण करना है. साथ ही उनके योगदान को इतिहास में दर्ज कराना है.

इतिहास में नाम किया जाएगा दर्ज
संग्रहालय के क्यूरेटर डॉ. शिव कुमार मिश्र ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में दरभंगा और मिथिलांचल के स्वतंत्रता सेनानियों के नाम बहुत कम मिलते हैं. इसकी वजह यह है कि यहां के इतिहास कारों और लेखकों ने उनके योगदान को दर्ज नहीं किया. उन्होंने कहा कि इस सेमिनार के माध्यम से इस इलाके के गुमनाम सेनानियों को ढूंढ कर निकाला जाएगा. उनका दस्तावेजीकरण होगा और इतिहास में उनके योगदान को दर्ज किया जाएगा. उन्होंने कहा कि दरभंगा के बाद मधुबनी, सहरसा और समस्तीपुर होते हुए मिथिलांचल के सभी जिलों में यह कार्यक्रम चलाया जाएगा.

'दरभंगा के स्वतंत्रता सेनानी' पर सेमिनार का आयोजन किया गया

इन लोगों ने रखे अपने विचार
भारत की आजादी की लड़ाई में मिथिलांचल के गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को उजागर करने की पहल शुरू हो गयी है. वहीं, इस कार्यक्रम में बिहार के प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो.रत्नेश्वर मिश्र, बिहार विधान परिषद लाइब्रेरी, पटना के लाइब्रेरियन भैरव लाल दास, डॉ. भीमनाथ झा, इतिहासकार प्रो. धर्मेंद्र कुंवर, प्रो. मुश्ताक अहमद, डॉ. एजाज़ अहमद, प्रो. जीतेंद्र नारायण, डॉ. मंज़र सुलेमान, चंद्र प्रकाश और सुशांत भास्कर समेत कई गणमान्य लोगों ने अपने विचार रखे.

दरभंगा: जिले के महाराजाधिराज लक्ष्मेश्वर सिंह संग्रहालय में 'दरभंगा के स्वतंत्रता सेनानी' विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया. यह आयोजन इंटेक दरभंगा चैप्टर, मैथिली साहित्य परिषद और संग्रहालय तीनों की ओर से किया गया. इसका कार्यक्रम का उद्देश्य दरभंगा और मिथिलांचल के सभी जिलों के गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों की खोज कर उनका दस्तावेजीकरण करना है. साथ ही उनके योगदान को इतिहास में दर्ज कराना है.

इतिहास में नाम किया जाएगा दर्ज
संग्रहालय के क्यूरेटर डॉ. शिव कुमार मिश्र ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में दरभंगा और मिथिलांचल के स्वतंत्रता सेनानियों के नाम बहुत कम मिलते हैं. इसकी वजह यह है कि यहां के इतिहास कारों और लेखकों ने उनके योगदान को दर्ज नहीं किया. उन्होंने कहा कि इस सेमिनार के माध्यम से इस इलाके के गुमनाम सेनानियों को ढूंढ कर निकाला जाएगा. उनका दस्तावेजीकरण होगा और इतिहास में उनके योगदान को दर्ज किया जाएगा. उन्होंने कहा कि दरभंगा के बाद मधुबनी, सहरसा और समस्तीपुर होते हुए मिथिलांचल के सभी जिलों में यह कार्यक्रम चलाया जाएगा.

'दरभंगा के स्वतंत्रता सेनानी' पर सेमिनार का आयोजन किया गया

इन लोगों ने रखे अपने विचार
भारत की आजादी की लड़ाई में मिथिलांचल के गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को उजागर करने की पहल शुरू हो गयी है. वहीं, इस कार्यक्रम में बिहार के प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो.रत्नेश्वर मिश्र, बिहार विधान परिषद लाइब्रेरी, पटना के लाइब्रेरियन भैरव लाल दास, डॉ. भीमनाथ झा, इतिहासकार प्रो. धर्मेंद्र कुंवर, प्रो. मुश्ताक अहमद, डॉ. एजाज़ अहमद, प्रो. जीतेंद्र नारायण, डॉ. मंज़र सुलेमान, चंद्र प्रकाश और सुशांत भास्कर समेत कई गणमान्य लोगों ने अपने विचार रखे.

Intro:दरभंगा। भारत की आज़ादी की लड़ाई में मिथिलांचल के गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को उजागर करने की पहल शुरू हो गयी है। रविवार को दरभंगा के महाराजाधिराज लक्ष्मेश्वर सिंह संग्रहालय में इंटेक दरभंगा चैप्टर, मैथिली साहित्य परिषद और संग्रहालय के संयुक्त तत्वावधान में 'दरभंगा के स्वतंत्रता सेनानी' विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य दरभंगा और मिथिलांचल के सभी जिलों के गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों की खोज कर उनका दस्तावेजीकरण करना और उनके योगदान को इतिहास में दर्ज कराना था। इस संगोष्ठी में बिहार के कई जाने-माने इतिहासकारों ने शिरकत की।


Body:संग्रहालय के क्यूरेटर डॉ. शिव कुमार मिश्र ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में दरभंगा और मिथिलांचल के स्वतंत्रता सेनानियों के नाम बहुत कम मिलते हैं। इसकी वजह ये है कि यहां के इतिहासकारों और लेखकों ने उनके योगदान को दर्ज नहीं किया। उन्होंने कहा कि इस संगोष्ठी के माध्यम से इस इलाके के गुमनाम सेनानियों को ढूंढ कर निकाला जाएगा। उनका दस्तावेजीकरण होगा और इतिहास में उनके योगदान को दर्ज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि दरभंगा के बाद मधुबनी, सहरसा और समस्तीपुर होते हुए मिथिलांचल के सभी जिलों में यह कार्यक्रम चलाया जाएगा।


Conclusion:इस कार्यक्रम में बिहार के प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो. रत्नेश्वर मिश्र, बिहार विधान परिषद लाइब्रेरी, पटना के लाइब्रेरियन भैरव लाल दास, डॉ. भीमनाथ झा, इतिहासकार प्रो. धर्मेंद्र कुंवर, प्रो. मुश्ताक अहमद, डॉ. एजाज़ अहमद, प्रो. जीतेंद्र नारायण, डॉ. मंज़र सुलेमान, चंद्र प्रकाश और सुशांत भास्कर समेत कई गणमान्य लोगों ने अपने विचार रखे।

बाइट 1- डॉ. शिव कुमार मिश्र, क्यूरेटर, महाराजाधिराज लक्ष्मेश्वर सिंह संग्रहालय, दरभंगा.

विजय कुमार, श्रीवास्तव
ई टीवी भारत
दरभंगा
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