बक्सर : बिहार के बक्सर के मशहूर स्नेक कैचर हरिओम को लोग आज स्नेक कैचर के नाम से जानते हैं. सांप पकड़ना इनका बचपन का शौक था. हरिओम 10-11 साल की उम्र से ही जानवरों को संरक्षित करने का विचार संजोए हुए थे. बड़े हुए तो उन्होंने इसे एक रूप दिया. आज इन्होंने बाकायदा एक वाइल्ड लाइफ सेंटर खोल रखा है. ये न सिर्फ सांपों को पकड़ते हैं बल्कि लोगों को इसके प्रति जागरूक भी करते हैं. जानवरों का भी ये रेस्क्यू करते हैं.
स्नेक मैन हरिओम का जुनून : हरिओम का मानना है कि सांप तब तक नहीं काटते जब तक कि उन्हें छेड़ा न जाए. सांप घरों में घुस आते हैं तो उन्हें मारे न बल्कि उनका रेस्क्यू करवाएं. सांपों को पकड़ना और उनकी रक्षा करना अब हरिओम के जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है. हरिओम का मानना है कि प्रकृति की खूबसूरती पशु पक्षियों और विभिन्न प्रकार के जानवरों से ही है. ऐसे में उनकी रक्षा करना हर व्यक्ति का कर्तव्य होना चाहिए.
हरिओम बने मशहूर वाइल्ड लाइफ सेवर : हरिओम ने कहीं से प्रशिक्षण नहीं लिया है लेकिन कहते हैं 'जहां चाह वहां राह'. बचपन से ही इस कार्य के प्रति इतना जुनून था कि कुछ टीवी देखकर, कुछ किताबें पढ़कर तो वहीं कुछ सोशल साइट्स से जानकारी प्राप्त कर आज मशहूर वाइल्ड लाइफ सेवर बन गए हैं. अब स्थिति यह है कि इस क्षेत्र में कहीं भी किसी भी जगह विषैले सांप देखे जा रहे हैं, तो लोग तुरंत हरिओम को याद कर रहे हैं. हरिओम तुरंत वहां से जहरीले सांपों को पकड़ कर सुरक्षित स्थानों पर छोड़ आते हैं.
लीज पर खोला अपना नेचर वाइल्ड लाइफ केयर सेंटर : आपकों बता दें कि लावारिस पशु पक्षियों की देखभाल हरिओम बिना किसी सरकारी सहायता के करते हैं. हरिओम ने औद्योगिक थाना क्षेत्र अंतर्गत चुरामनपुर के पास राष्ट्रीय राजमार्ग 922 के किनारे लीज पर जमीन लेकर लावारिस पशु-पक्षियों की देखभाल के लिए बक्सर नहीं, शाहाबाद नहीं, बिहार का पहला नेचर वाइल्ड लाइफ केयर सेंटर का शुभारंभ किया है. इसके लिए उन्हें लोगों से मदद की उम्मीदें है.
''इस सेंटर में लावारिस पशु पक्षियों को रहने की व्यवस्था की जाएगी. घायल पशु-पक्षियों की चिकित्सा की व्यवस्था की जाएगी. स्वस्थ होने के बाद उन्हें पुनः वहीं पर ले जाकर छोड़ दिया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोई पशु अथवा पक्षी कहीं आने-जाने में सक्षम नहीं है, तो उसे यहीं रख कर उसकी देखभाल भी की जाएगी.''- हरिओम, स्नेक कैचर एवं संचालक, वाइल्ड लाइफ केयर सेंटर, बक्सर
सभी सांप जहरीले नहीं : हरिओम ने बताया कि बक्सर में सबसे ज्यादा कोबरा और करैत (सांप की प्रजाति) के काटने से लोग मरते हैं. सांप के काटने के बाद तुरंत उसके इलाज के लिए अस्पताल जाना चाहिए न कि झाड़-फूंक के चक्कर में पड़ना चाहिए. एक अनुमान के मुताबिक बक्सर जिले में प्रतिवर्ष करीब 300 व्यक्ति की मृत्यु सांप काटने से हो जाती है. हरिओम ने अभी तक 3000 से ज्यादा सांपों का रेस्क्यू किया है.
सांप काटे तो झाड़फूंक के चक्कर में न पड़ें : स्नैक मैन हरिओम ने बताया कि भारत में करीब सांपों की 300 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिसमें 52 सांप विषैले होतें हैं. इनमें से 14 खतरनाक तो चार विशेष खतरनाक होते हैं. सांप काटने से होने वाली मौतों में अधिकांश यही चार सांप काटे होते हैं. हरिओम आगे बताते हैं कि इन्हें भी दो बार सांप काट चुके हैं, जिसमें से एक बार कोबरा ने काटा था. 30 एंटी वेनम इंजेक्शन लेने के बाद जान बची थी. हरिओम डिस्कवरी जैसे चैनल के साथ भी काम कर चुके हैं.
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