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पंचायत परामर्श समिति के फैसले का विपक्ष ने किया स्वागत, कहा- धरना प्रदर्शन का सरकार पर पड़ा असर

बिहार सरकार के पंचायत परामर्शी समितियों के फैसले का सीपीआई और एआईएसएफ के लोगों ने भी स्वागत किया है. नेताओं ने कहा कि धरना प्रदर्शन के बाद सरकार ने स्वागत योग्य निर्णय लिया है.

भाकपा माले
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Published : Jun 3, 2021, 4:52 PM IST

बेगूसराय : बिहार सरकार के पंचायत परामर्शी समितियों के फैसले पर क्रेडिट लेने की होड़ लगी है. बेगूसराय में सीपीआई और एआईएसएफ के नेताओं का कहना है कि धरना प्रदर्शन का असर हुआ है. जिसके बाद सरकार को फैसला लेना पड़ा.

ये भी पढ़ें- जीतन राम मांझी ने की नीतीश कुमार की तारीफ, पंचायत परामर्श समिति की नियुक्ति को लेकर कहा Thank You

सरकार के फैसले के बाद बेगूसराय में सीपीआई और एआईएसएफ के कार्यकर्ताओं ने धरना खत्म कर दिया है. सीपीआई के राज्य परिषद राजेंद्र चौधरी और एआईएसएफ के राज्य कार्यकारिणी सदस्य किशोर कुमार ने कहा कि सरकार ने जब यह अध्यादेश जारी किया था कि पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकार को छीन कर केंद्र सरकार द्वारा आवंटित करोड़ों की राशि खर्च करने का अधिकार सरकारी महकमों को दिया जाएगा. उस वक्त से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन ने विरोध किया था. 3 जून से लगातार चरणबद्ध तरीके से आंदोलन किया गया. जिसे बाद सरकार ने पंचायत प्रतिनिधियों का अधिकार उन्हें देने का फैसला स्वागत योग्य किया है.

ये भी पढ़ें- पटना: राज्यपाल की सहमति के बाद पंचायती राज व्यवस्था को लेकर अधिसूचना जारी

दरअसल, 15 जून को पंचायती राज के करीब ढाई लाख प्रतिनिधियों का कार्यकाल खत्‍म हो रहा था. जिसके बाद कहा जा रहा था कि पंचायतों का अधिकारी जिले के अधिकारियों को दे दी जाएगी. जिसके बाद विरोधियों के साथ सत्ता में बैठे कई नेताओं ने सवाल उठाया था. अब सरकार ने परामर्शी समितियां बनाने को मंजूरी दे दी है.

बेगूसराय : बिहार सरकार के पंचायत परामर्शी समितियों के फैसले पर क्रेडिट लेने की होड़ लगी है. बेगूसराय में सीपीआई और एआईएसएफ के नेताओं का कहना है कि धरना प्रदर्शन का असर हुआ है. जिसके बाद सरकार को फैसला लेना पड़ा.

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सरकार के फैसले के बाद बेगूसराय में सीपीआई और एआईएसएफ के कार्यकर्ताओं ने धरना खत्म कर दिया है. सीपीआई के राज्य परिषद राजेंद्र चौधरी और एआईएसएफ के राज्य कार्यकारिणी सदस्य किशोर कुमार ने कहा कि सरकार ने जब यह अध्यादेश जारी किया था कि पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकार को छीन कर केंद्र सरकार द्वारा आवंटित करोड़ों की राशि खर्च करने का अधिकार सरकारी महकमों को दिया जाएगा. उस वक्त से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन ने विरोध किया था. 3 जून से लगातार चरणबद्ध तरीके से आंदोलन किया गया. जिसे बाद सरकार ने पंचायत प्रतिनिधियों का अधिकार उन्हें देने का फैसला स्वागत योग्य किया है.

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दरअसल, 15 जून को पंचायती राज के करीब ढाई लाख प्रतिनिधियों का कार्यकाल खत्‍म हो रहा था. जिसके बाद कहा जा रहा था कि पंचायतों का अधिकारी जिले के अधिकारियों को दे दी जाएगी. जिसके बाद विरोधियों के साथ सत्ता में बैठे कई नेताओं ने सवाल उठाया था. अब सरकार ने परामर्शी समितियां बनाने को मंजूरी दे दी है.

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