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NRC पर खिंची तलवार, JDU ने केन्द्र सरकार पर किया करारा वार

असम में एनआरसी को सबसे पहले 1951 में बनाया गया था ताकि ये तय किया जा सके कि कौन इस राज्य में पैदा हुआ है और भारतीय है और कौन पड़ोसी मुस्लिम बहुल बांग्लादेश से आया हुआ हो सकता है.

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Published : Sep 2, 2019, 7:48 AM IST

पटना: इन दिनों एनआरसी को लेकर पूरे देश में बवाल मचा हुआ है. इस मुद्दे को लेकर सभी नेताओं के बीच बयानबाजी का दौर जारी है. बिहार में इसको लेकर सियासत गरम है. जदयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने अपने ट्वीट में लिखा है कि एनआरसी ने अपने देश में लाखों लोगों को विदेशियों के रूप में छोड़ दिया!

  • A botched up NRC leaves lakhs of people as foreigners in their own country!

    Such is the price people pay when political posturing & rhetoric is misunderstood as solution for complex issues related to national security without paying attention to strategic & systemic challenges.

    — Prashant Kishor (@PrashantKishor) September 1, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">


'लोगों को ऐसी कीमत तब चुकानी पड़ती है जब देश हित से बढ़कर राजनीति और बयानबाजी को तरजीह दी जाती है. क्योंकि तब रणनीतिक और संस्थागत चुनौतियों पर ध्यान दिए बिना राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित जटिल मुद्दों का समाधान निकाला जाने लगता है.'

मांझी ने किया वार

एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक पंजी) लिस्ट को लेकर विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला है. पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने कहा कि 19 लाख लोगों को इस लिस्ट में नहीं जोड़ा गया है. इस लिस्ट में बहुत सारी गलतियां है. वहीं, बीजेपी नेता नवल किशोर यादव ने कहा कि सरकार का विरोध करना विपक्ष का काम ही है.

जीतन राम मांझी ने कहा कि यह एनआरसी लिस्ट सही नहीं है. इसमें पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन आलम के परिवार सहित सेना के जवानों का भी नाम नहीं है. इस लिस्ट को बनाने में केंद्र सरकार ने चार साल लिए. इसके बाद भी लिस्ट में बहुत सारी खामियां है. केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए उन्होंने कहा कि क्या 19 लाख लोगों को सरकार विदेशी घोषित करने वाली है?

'दुर्भावना से ग्रसित लिस्ट है'
इस मुद्दे पर आरजेडी के विधायक विजय प्रकाश ने कहा कि अभी एनआरसी लिस्ट जो जारी किया गया है. केंद्र सरकार को इसकी सत्यता बतानी चाहिए. इस लिस्ट में बहुत से लोगों का नाम ही नहीं है. क्या केंद्र सरकार दुर्भावना से ग्रसित होकर लिस्ट जारी की है? इसकी जांच होनी चाहिए. केंद्र सरकार को विदेशों से आए लोगों का एक लिस्ट जारी करनी चाहिए.

'सरकार देशहित में काम करती है'
वहीं, एनआरसी लिस्ट पर बीजेपी नेता नवल किशोर यादव ने कहा कि हर मुद्दे पर सरकार का विरोध करना विपक्ष का काम ही है. इनके बातों पर ध्यान हीं कौन देता है? सरकार देश की सुरक्षा और सद्भाव को देखते हुए हर कदम उठाती है. सरकार हमेशा देशहित में काम करती है.


क्या है एनआरसी लिस्ट?
एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजेंस राज्य में अवैध तरीके से घुस आए तथाकथित बंगलादेशियों के खिलाफ असम में हुए छह साल लंबे जनांदोलन का नतीजा है. इस जन आंदोलन के बाद असम समझौते पर दस्तखत हुए थे. साल 1986 में सिटिजनशिप ऐक्ट में संशोधन कर उसमें असम के लिए विशेष प्रावधान बनया गया.

असम में एनआरसी को सबसे पहले 1951 में बनाया गया था ताकि ये तय किया जा सके कि कौन इस राज्य में पैदा हुआ है और भारतीय है और कौन पड़ोसी मुस्लिम बहुल बांग्लादेश से आया हुआ हो सकता है.

इस रजिस्टर को पहली बार अपडेट किया जा रहा है. इसमें उन लोगों को भारतीय नागरिक के तौर पर स्वीकार किया जाना है जो ये साबित कर पाएं कि वे 24 मार्च 1971 से पहले से राज्य में रह रहे हैं.

बता दें कि ये वो तारीख है जिस दिन बांग्लादेश ने पाकिस्तान से अलग होकर अपनी आज़ादी की घोषणा की थी.

पटना: इन दिनों एनआरसी को लेकर पूरे देश में बवाल मचा हुआ है. इस मुद्दे को लेकर सभी नेताओं के बीच बयानबाजी का दौर जारी है. बिहार में इसको लेकर सियासत गरम है. जदयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने अपने ट्वीट में लिखा है कि एनआरसी ने अपने देश में लाखों लोगों को विदेशियों के रूप में छोड़ दिया!

  • A botched up NRC leaves lakhs of people as foreigners in their own country!

    Such is the price people pay when political posturing & rhetoric is misunderstood as solution for complex issues related to national security without paying attention to strategic & systemic challenges.

    — Prashant Kishor (@PrashantKishor) September 1, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">


'लोगों को ऐसी कीमत तब चुकानी पड़ती है जब देश हित से बढ़कर राजनीति और बयानबाजी को तरजीह दी जाती है. क्योंकि तब रणनीतिक और संस्थागत चुनौतियों पर ध्यान दिए बिना राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित जटिल मुद्दों का समाधान निकाला जाने लगता है.'

मांझी ने किया वार

एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक पंजी) लिस्ट को लेकर विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला है. पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने कहा कि 19 लाख लोगों को इस लिस्ट में नहीं जोड़ा गया है. इस लिस्ट में बहुत सारी गलतियां है. वहीं, बीजेपी नेता नवल किशोर यादव ने कहा कि सरकार का विरोध करना विपक्ष का काम ही है.

जीतन राम मांझी ने कहा कि यह एनआरसी लिस्ट सही नहीं है. इसमें पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन आलम के परिवार सहित सेना के जवानों का भी नाम नहीं है. इस लिस्ट को बनाने में केंद्र सरकार ने चार साल लिए. इसके बाद भी लिस्ट में बहुत सारी खामियां है. केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए उन्होंने कहा कि क्या 19 लाख लोगों को सरकार विदेशी घोषित करने वाली है?

'दुर्भावना से ग्रसित लिस्ट है'
इस मुद्दे पर आरजेडी के विधायक विजय प्रकाश ने कहा कि अभी एनआरसी लिस्ट जो जारी किया गया है. केंद्र सरकार को इसकी सत्यता बतानी चाहिए. इस लिस्ट में बहुत से लोगों का नाम ही नहीं है. क्या केंद्र सरकार दुर्भावना से ग्रसित होकर लिस्ट जारी की है? इसकी जांच होनी चाहिए. केंद्र सरकार को विदेशों से आए लोगों का एक लिस्ट जारी करनी चाहिए.

'सरकार देशहित में काम करती है'
वहीं, एनआरसी लिस्ट पर बीजेपी नेता नवल किशोर यादव ने कहा कि हर मुद्दे पर सरकार का विरोध करना विपक्ष का काम ही है. इनके बातों पर ध्यान हीं कौन देता है? सरकार देश की सुरक्षा और सद्भाव को देखते हुए हर कदम उठाती है. सरकार हमेशा देशहित में काम करती है.


क्या है एनआरसी लिस्ट?
एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजेंस राज्य में अवैध तरीके से घुस आए तथाकथित बंगलादेशियों के खिलाफ असम में हुए छह साल लंबे जनांदोलन का नतीजा है. इस जन आंदोलन के बाद असम समझौते पर दस्तखत हुए थे. साल 1986 में सिटिजनशिप ऐक्ट में संशोधन कर उसमें असम के लिए विशेष प्रावधान बनया गया.

असम में एनआरसी को सबसे पहले 1951 में बनाया गया था ताकि ये तय किया जा सके कि कौन इस राज्य में पैदा हुआ है और भारतीय है और कौन पड़ोसी मुस्लिम बहुल बांग्लादेश से आया हुआ हो सकता है.

इस रजिस्टर को पहली बार अपडेट किया जा रहा है. इसमें उन लोगों को भारतीय नागरिक के तौर पर स्वीकार किया जाना है जो ये साबित कर पाएं कि वे 24 मार्च 1971 से पहले से राज्य में रह रहे हैं.

बता दें कि ये वो तारीख है जिस दिन बांग्लादेश ने पाकिस्तान से अलग होकर अपनी आज़ादी की घोषणा की थी.

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