पटना: बिहार सरकार द्वारा बजट सत्र के दौरान बिहार पुलिस विधेयक पास करवाया गया है. इस विधेयक में पहले की अपेक्षा कुछ संशोधन किया गया है. जिसका विरोध सड़क से लेकर सदन तक विपक्ष द्वारा किया गया. आखिर बिहार सरकार द्वारा विधानमंडल से पारित किए गए विधेयक में ऐसा क्या है जिस वजह से विपक्ष विरोध करने पर उतारू है. इस मसले पर ईटीवी भारत ने पूर्व डीजीपी एसके भारद्वाज से खास बातचीत की.
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पूर्व डीजीपी एसके भारद्वाज ने साफ-साफ कहा कि इस विधेयक में कुछ भी डरने वाली बात नहीं है. अगर इसका पहले से प्रचार-प्रसार किया जाता तो शायद जो हंगामा देखने को मिला वह नहीं मिलता.
10 प्रमुख बातें जो एसके भारद्वाज ने विधेयक को लेकर कही:-
- इसमें कुछ नया नहीं है. पहले बिहार, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल का 1892 का पुलिस हस्तक था. उसे खत्म किया गया है. उसमें मिलिट्री पुलिस जुड़ा हुआ था, उसके नाम में बदलाव कर इसे पुलिस सशस्त्र अधिनियम 2021 किया गया है.
- 1861 में पुलिस अधिनियम बना था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बिहार सरकार ने पुलिस पुलिस अधिनियम 2007 बनाया.
- पहले मिलिट्री पुलिस का नाम था जिसे हटाकर विशेष सशस्त्र पुलिस रखा गया है. सिविल पुलिस को जो अधिकार प्राप्त थे, वही अधिकार विशेष सशस्त्र पुलिस को दे दिए गए हैं. इसके जो सदस्य हैं वो भी उसी अनुरूप सजा दे सकते हैं. इसमें कोई नई बात नहीं है.
- जहां तक कुछ लोग कह रहे हैं कि इसमें बिना वारंट के गिरफ्तार करने की और सर्च करने की शक्तियां दी गयी हैं, तो बिहार पुलिस को ये शक्तियां पहले से प्रदत्त हैं. सीआरपीसी में यह समाहित है कि जघन्य अपराध में जो भी आरोपी हैं उसमें पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार और सर्च कर सकती है.
- बिहार सरकार में जो जरूरते बढ़ीं हैं, उसके लिए भी तैयारी की जरूत है. मसलन, मेट्रो रेल, हवाई अड्डा, नए-नए विद्युत संयंत्र, ऐतिहासिक महत्व के संस्थान के लिए सशस्त्र पुलिस बल की आवश्यक्ता होगी. ऐसे में यह सही होगा. पहले 16 बटालियन मिलिट्री पुलिस की थी जिसे बढ़ाकर 22 सशस्त्र पुलिस बटालियन बनाने का इसमें प्रावधान है. जिसमें 2 उद्योग के लिए है.
- 197 सीआरपीसी के अंतर्गत पहले से है कि अगर कोई सरकारी कर्मचारी गलत कार्य करता है तो सरकार से अनुमति के बाद ही उसपर मुकदमा चल सकता है, वही बात इसमें भी है.
- इस विधेयक में नया कुछ भी नहीं है, जिसमें हंगामा किया जाए. इसका ठीक से प्रचार-प्रसार नहीं हुआ. जो लोग हंगामा कर रहे हैं वो इस एक्ट को नहीं पढ़े हैं. प्रचार-प्रसार के साथ बिल को लाया जाता तो किसी प्रकार का विरोध नहीं होता. जिस प्रकार से विधानसभा से लेकर सड़क तक हंगामा हुआ वैसा नहीं होता. औद्योगिक सुरक्षा के लिए बटालियन बढ़ायी गयी है, महिलाओं के स्वाभिमान के लिए अलग से बटालियन बनाया गया है.
- विपक्ष का काम है विरोध करना. अच्छा हो या बुरा, विपक्ष विरोध करेगा ही. यह तो राजनीति है और राजनीतिक रोटियां सेंकनी है. साथ ही पुलिस को भी चाहिए कि जनता का भरोसा जीते, ताकि अपराध में कमी आए. बिहार में पुलिस बलों की संख्या भी बढ़ानी होगी. लगभग दोगुनी करनी होगी. क्योंकि बिहार पुलिस के अधिकारी और जवान 24 घंटे ड्यूटी पर रहते हैं फिर भी कोपभाजन का शिकार होते हैं. साथ ही पुलिस को काफी ट्रेनिंग की भी जरूरत है.
- सशस्त्र पुलिस के 6 बटालियन की बढ़ोतरी की गयी है. इससे पुलिस जवानों की संख्या में बढ़ोतरी होगी. साथ ही सशस्त्र बटालियन के गठन के लिए केन्द्र से भी फंड आता है, इससे राज्य सरकार को लाभ मिलेगा.
- आम जनता को इस विधेयक से डरने की जरूरत नहीं है. सिर्फ पुलिस की संख्या को बढ़ाया गया है. इसमें कुछ नया नहीं है. पुराने अधिनियम 1892 को खत्म किया गया है. आपके किसी भी अधिकार का हनन नहीं हो रहा है. बिना बात के विपक्ष हंगामा कर रहा है. आम लोगों को इस एक्ट को पढ़ना चाहिए.