कुचामनसिटी. विश्व गौरैया दिवस के मौके पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए. सामाजिक संस्था रॉयल्स क्लब के तत्वावधान में कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में छात्राओं को बर्ड फीडर दिया गया. कार्यक्रम में रोचक व्याख्यान भी हुए.
संस्था के सुभाष रावका ने बताया कि विश्व गौरैया दिवस शहरी परिवेश में घरेलू गौरैया और अन्य सामान्य पक्षियों व उनकी आबादी के लिए खतरों के बारे में लोगों के बीच जानकारी बढ़ाने के लिए मनाया जाने वाला दिन है. यह इको-सिस एक्शन फाउंडेशन (फ्रांस) और दुनिया भर के कई अन्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सहयोग से नेचर फॉर एवर सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय पहल है. कार्यक्रम में कॉलेज छात्राओं के लिए ड्राइंग प्रतियोगिता, स्लोगन प्रतियोगिता सहित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए. छात्राओं को बर्ड फीडर भी दिए गए. आयोजन के संयोजक मनोहर पारीक ने बताया कि गौरैया की संख्या कम होने के पीछे कृषि के सेक्टर में रासायनिक खाद व कीटनाशक का अत्यधिक उपयोग, पक्के मकानों के डिजाइन में पक्षियों के जगह नहीं होना मुख्य कारण है.
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शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के साथ-साथ आवासों के आसपास रहने के लिए गौरैया के अनुकूल पेड़-पौधौं की संख्या घट रही है. कई महानगरों में मकानों के आसपास पक्षियों को रोकने के लिए जाल, कटीले कीलों का उपयोग किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि खाद्य श्रृंखला में संतुलन कायम करने में गौरेया महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. हानिकारक कीटों को नष्ट कर गौरैया पर्यावरण संतुलन में अहम भूमिका निभाती है. कार्यक्रम के दौरान छात्राओं और उपस्थित सभी लोगों ने पक्षियों को बचाने की शपथ भी ली. वक्ता ओमप्रकाश कुमावत ने कहा कि एक समय था जब हमारे घरों के आंगन में इन पक्षियों की चहचहाहट सुनाई देती थी, लेकिन ये अब नजर नहीं आते. गौरैया की संख्या में करीब 60 फीसदी तक की कमी दर्ज की गई है. ऐसे में गौरेया की घटती संख्या को देखते हुए और इसके संरक्षण के लिए ही विश्व गौरैया दिवस मनाया जाने लगा है.