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'दीदी के साथ जो हुआ वो अब किसी के साथ नहीं होगा', ब्लड डोनर नीरज बचा रहे लोगों की जान - GAYA BLOOD DONOR

32 की उम्र में 52 बार रक्तदान करने वाले नीरज को देश के कई बड़े पुरस्कार मिल चुके हैं. गया से सरताज अहमद की रिपोर्ट.

Gaya blood donor
गया के ब्लड डोनर नीरज कुमार (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 7, 2024, 6:52 PM IST

Updated : Dec 7, 2024, 7:05 PM IST

गया: रक्त की कमी वाले मरीजों के लिए रक्त किसी मशीन में बनाया नहीं जा सकता बल्कि सेवा भाव से दान किया जाता है, जिले में ऐसे कुछ युवा और संस्था हैं जो रक्तदान के लिए कार्य करती है. रक्त की कमी से जूझ रहे मरीजों के लिए वह देवता बनकर सामने आते हैं. इनके प्रयासों से हजारों लोगों की जान बच चुकी है. ऐसे ही एक रक्तवीर और अंगदान करने वाले नीरज कुमार हैं.

ब्लड डोनर ऑफ बिहार नीरज कुमार: जिले के सगाही खाप गांव के रहने वाले नीरज कुमार ने 32 वर्ष की उम्र में 52 बार रक्तदान कर चुके हैं और 53 वीं बार रक्तदान करने के लिए तैयार हैं. इन्होंने 24 साल की आयु में अंगदान करने का संकल्प पत्र भरा था. नीरज के समाजी कार्यों के लिए देश के कई बड़े पुरस्कार मिल चुके हैं. 2017 में तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के हाथों अवॉर्ड मिला था.

रक्तदान के पीछे की कहानी: नीरज कुमार ने पहली बार रक्तदान एक बड़ी घटना के बाद किया था. उन्होंने बताया कि उनकी बड़ी बहन की मौत समय पर खून नही मिलने के कारण हो गई थी. नीरज पर इस दुखद घटना का प्रभाव पड़ा और तभी से नीरज ने बहन की मौत के कारण को अपनी जिंदगी का बड़ा मकसद बना लिया. पहली बार उस वक्त रक्तदान किया था, जब वह दसवीं के छात्र थे.

ब्लड डोनर नीरज बचा रहे लोगों की जान (ETV Bharat)

"2012 से लगातार हर तीन महीने पर रक्तदान करते हैं. रक्तदान करने का पूरा नेटवर्क बन चुका है. संस्था के साथ मिलकर सरकारी अस्पतालों के लिए रक्तदान कैंप का आयोजन करते हैं. एक हजार से अधिक लोगों का मेरे पास डेटा है जो कभी भी किसी समय जरूरत पड़ने पर कैंप लगाकर रक्तदान कर सकते हैं. इसमें हर तरह के ब्लड ग्रुप के लोग हैं."- नीरज कुमार, रक्तदान करने वाले युवक

Gaya blood donor
32 की उम्र में 52 बार रक्तदान (ETV Bharat)

24 की उम्र में अंगदान: नीरज जिले के एक ऐसे युवा हैं जो अपने शरीर को दान कर चुके हैं. 24 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंगदान किया था. नीरज ने कहा कि वह ' जीतेजी रक्तदान, मरने के बाद अंगदान' के स्लोगन के साथ सेवा कर रहे हैं. 2016 में उन्होंने निस्वार्थ भाव से ' द दीची देहदान समिति पटना' को संकल्प पत्र दिया था.

शुरू में परिवार का नहीं मिला सपोर्ट : बेटे के अंगदान का फैसला घर के सदस्यों के साथ मां को भी पसंद नहीं था. घर के परिवार के किसी सदस्य की सहमति के बिना अंगदान नहीं किया जा सकता. ऐसे में नीरज की जिद और अटल फैसले को देख मां उनके समर्थन को मजबूर हो गईं.

Gaya blood donor
राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार 2016-17 (ETV Bharat)

बेटे के लिए मां ने भी किया अंगदान: मां मालती देवी ने ना सिर्फ नीरज के संकल्प पत्र पर सहमति दी बल्कि उन्होंने खुद भी अंगदान करने का फैसला कर लिया. मां मालती देवी ने भी द दीची देहदान समिति पटना को संकल्प पत्र दिया है कि वह भी मृत्यु के बाद अपने अंग को दान करेंगी.

घर से शुरुआत का प्रयास: नीरज कुमार ने कहा कि रक्तदान करने में परिवार का साथ होता है. माता पिता के साथ भाई और पत्नी भी जरूरत पड़ने पर रक्तदान करती है. अंगदान में मां के साथ पिता भी अंगदान करने को राजी हैं. घर से की गई शुरूआत सफल होती है.

Gaya blood donor
अवार्ड देते तेजस्वी यादव (ETV Bharat)

"समाज में लोग यह नहीं कह सकते कि सिर्फ दूसरों को रक्तदान और अंगदान के लिए प्रेरित करते हैं. हमने अपने घर से शुरुआत की है. अंगदान में परिवार के एक व्यक्ति की सहमति जरूरी है. आगे सभी परिवार अंगदान करेंगे. इसकी सहमति भी बन गई है, लेकिन अभी संकल्प पत्र नहीं भरा गया है."- नीरज कुमार, रक्तदान करने वाले युवक

देश विदेश से मिल चुका है अवार्ड: नीरज के समाजी कार्यों के लिए देश के कई बड़े पुरस्कार मिल चुके हैं. 2017 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों अवॉर्ड मिला था. इसके इलावे बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग की राज्य एड्स नियंत्रण समिति , युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय भारत सरकार की ओर से राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार 2016-17, भारत लीडरशिप अवॉर्ड के साथ हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया है.

Gaya blood donor
बेस्ट ब्लड डोनर अवॉर्ड (ETV Bharat)

किसान हैं नीरज के पिता: युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय भारत सरकार की ओर से 2018 में इन्हें वर्ल्ड यूथ लीडरशिप प्रोग्राम में पांच देशों में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में भी भेजा गया था. ज्ञात हो कि नीरज कुमार के पिता किसान हैं. पिता पहले पटना में एक निजी कंपनी में काम करते थे. अब घर पर रहकर खेती-बाड़ी करते हैं.

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24 की उम्र में नीरज ने किया अंगदान (ETV Bharat)

परिवार में पहले पोस्ट ग्रेजुएट: नीरज के अनुसार वह परिवार में पहले पोस्ट ग्रेजुएट हैं. छोटा भाई बीएससी की तैयारी कर रहा है. नीरज कहते हैं कि वह आगे इसी तरह सेवा करते रहेंगे क्योंकि परिवार के लोगों का भरपूर सहयोग है. पिता उस दिन बेहद खुश हुए थे जब वह राष्ट्रपति भवन में उनके साथ गए थे और राष्ट्रपति के हाथों उन्हें अवार्ड मिला था. नीरज ने कहा कि पहले तो पिता मेरे कार्यों से नाराज रहते थे कि कैसे इसका जीवन चलेगा, लेकिन हमारे सेवा भाव को देखकर वह भी अब पूरा सहयोग करते हैं.

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'डोनेशन के 7 दिन के अंदर शरीर में बन जाता है नया खून', पटना में राज्य के चिकित्सकों ने किया रक्तदान - Benefit Of Blood Donation

गया: रक्त की कमी वाले मरीजों के लिए रक्त किसी मशीन में बनाया नहीं जा सकता बल्कि सेवा भाव से दान किया जाता है, जिले में ऐसे कुछ युवा और संस्था हैं जो रक्तदान के लिए कार्य करती है. रक्त की कमी से जूझ रहे मरीजों के लिए वह देवता बनकर सामने आते हैं. इनके प्रयासों से हजारों लोगों की जान बच चुकी है. ऐसे ही एक रक्तवीर और अंगदान करने वाले नीरज कुमार हैं.

ब्लड डोनर ऑफ बिहार नीरज कुमार: जिले के सगाही खाप गांव के रहने वाले नीरज कुमार ने 32 वर्ष की उम्र में 52 बार रक्तदान कर चुके हैं और 53 वीं बार रक्तदान करने के लिए तैयार हैं. इन्होंने 24 साल की आयु में अंगदान करने का संकल्प पत्र भरा था. नीरज के समाजी कार्यों के लिए देश के कई बड़े पुरस्कार मिल चुके हैं. 2017 में तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के हाथों अवॉर्ड मिला था.

रक्तदान के पीछे की कहानी: नीरज कुमार ने पहली बार रक्तदान एक बड़ी घटना के बाद किया था. उन्होंने बताया कि उनकी बड़ी बहन की मौत समय पर खून नही मिलने के कारण हो गई थी. नीरज पर इस दुखद घटना का प्रभाव पड़ा और तभी से नीरज ने बहन की मौत के कारण को अपनी जिंदगी का बड़ा मकसद बना लिया. पहली बार उस वक्त रक्तदान किया था, जब वह दसवीं के छात्र थे.

ब्लड डोनर नीरज बचा रहे लोगों की जान (ETV Bharat)

"2012 से लगातार हर तीन महीने पर रक्तदान करते हैं. रक्तदान करने का पूरा नेटवर्क बन चुका है. संस्था के साथ मिलकर सरकारी अस्पतालों के लिए रक्तदान कैंप का आयोजन करते हैं. एक हजार से अधिक लोगों का मेरे पास डेटा है जो कभी भी किसी समय जरूरत पड़ने पर कैंप लगाकर रक्तदान कर सकते हैं. इसमें हर तरह के ब्लड ग्रुप के लोग हैं."- नीरज कुमार, रक्तदान करने वाले युवक

Gaya blood donor
32 की उम्र में 52 बार रक्तदान (ETV Bharat)

24 की उम्र में अंगदान: नीरज जिले के एक ऐसे युवा हैं जो अपने शरीर को दान कर चुके हैं. 24 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंगदान किया था. नीरज ने कहा कि वह ' जीतेजी रक्तदान, मरने के बाद अंगदान' के स्लोगन के साथ सेवा कर रहे हैं. 2016 में उन्होंने निस्वार्थ भाव से ' द दीची देहदान समिति पटना' को संकल्प पत्र दिया था.

शुरू में परिवार का नहीं मिला सपोर्ट : बेटे के अंगदान का फैसला घर के सदस्यों के साथ मां को भी पसंद नहीं था. घर के परिवार के किसी सदस्य की सहमति के बिना अंगदान नहीं किया जा सकता. ऐसे में नीरज की जिद और अटल फैसले को देख मां उनके समर्थन को मजबूर हो गईं.

Gaya blood donor
राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार 2016-17 (ETV Bharat)

बेटे के लिए मां ने भी किया अंगदान: मां मालती देवी ने ना सिर्फ नीरज के संकल्प पत्र पर सहमति दी बल्कि उन्होंने खुद भी अंगदान करने का फैसला कर लिया. मां मालती देवी ने भी द दीची देहदान समिति पटना को संकल्प पत्र दिया है कि वह भी मृत्यु के बाद अपने अंग को दान करेंगी.

घर से शुरुआत का प्रयास: नीरज कुमार ने कहा कि रक्तदान करने में परिवार का साथ होता है. माता पिता के साथ भाई और पत्नी भी जरूरत पड़ने पर रक्तदान करती है. अंगदान में मां के साथ पिता भी अंगदान करने को राजी हैं. घर से की गई शुरूआत सफल होती है.

Gaya blood donor
अवार्ड देते तेजस्वी यादव (ETV Bharat)

"समाज में लोग यह नहीं कह सकते कि सिर्फ दूसरों को रक्तदान और अंगदान के लिए प्रेरित करते हैं. हमने अपने घर से शुरुआत की है. अंगदान में परिवार के एक व्यक्ति की सहमति जरूरी है. आगे सभी परिवार अंगदान करेंगे. इसकी सहमति भी बन गई है, लेकिन अभी संकल्प पत्र नहीं भरा गया है."- नीरज कुमार, रक्तदान करने वाले युवक

देश विदेश से मिल चुका है अवार्ड: नीरज के समाजी कार्यों के लिए देश के कई बड़े पुरस्कार मिल चुके हैं. 2017 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों अवॉर्ड मिला था. इसके इलावे बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग की राज्य एड्स नियंत्रण समिति , युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय भारत सरकार की ओर से राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार 2016-17, भारत लीडरशिप अवॉर्ड के साथ हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया है.

Gaya blood donor
बेस्ट ब्लड डोनर अवॉर्ड (ETV Bharat)

किसान हैं नीरज के पिता: युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय भारत सरकार की ओर से 2018 में इन्हें वर्ल्ड यूथ लीडरशिप प्रोग्राम में पांच देशों में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में भी भेजा गया था. ज्ञात हो कि नीरज कुमार के पिता किसान हैं. पिता पहले पटना में एक निजी कंपनी में काम करते थे. अब घर पर रहकर खेती-बाड़ी करते हैं.

Gaya blood donor
24 की उम्र में नीरज ने किया अंगदान (ETV Bharat)

परिवार में पहले पोस्ट ग्रेजुएट: नीरज के अनुसार वह परिवार में पहले पोस्ट ग्रेजुएट हैं. छोटा भाई बीएससी की तैयारी कर रहा है. नीरज कहते हैं कि वह आगे इसी तरह सेवा करते रहेंगे क्योंकि परिवार के लोगों का भरपूर सहयोग है. पिता उस दिन बेहद खुश हुए थे जब वह राष्ट्रपति भवन में उनके साथ गए थे और राष्ट्रपति के हाथों उन्हें अवार्ड मिला था. नीरज ने कहा कि पहले तो पिता मेरे कार्यों से नाराज रहते थे कि कैसे इसका जीवन चलेगा, लेकिन हमारे सेवा भाव को देखकर वह भी अब पूरा सहयोग करते हैं.

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Last Updated : Dec 7, 2024, 7:05 PM IST
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