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अजमेर ब्लैकमेल कांड में 32 साल बाद फैसला, 6 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा, 5-5 लाख का जुर्माना - 1992 Ajmer scandal

Ajmer rape case 1992 : अजमेर में 1992 के अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड में पॉक्सो कोर्ट ने शेष 6 आरोपियों को दोषी माना है. इस मामले में कोर्ट ने 32 साल बाद आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 20, 2024, 1:41 PM IST

Updated : Aug 21, 2024, 8:34 AM IST

अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड
अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड (ETV Bharat Ajmer)
अजमेर ब्लैकमेल कांड में 32 साल बाद फैसला (वीडियो ईटीवी भारत अजमेर)

अजमेर : साल 1992 में देश के बहुचर्चित अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड के मामले में शेष रहे 6 आरोपियों को मंगलवार को पॉक्सो कोर्ट संख्या 2 ने दोषी माना है. अदालत ने 208 पेज के फैसले में सभी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही कोर्ट ने प्रत्येक आरोपी को 5-5 लाख रुपए के आर्थिक दंड से भी दंडित किया है. बता दें कि प्रकरण में कुल 18 आरोपी थे. इनमें से 1 आरोपी फरार है. वहीं, एक आरोपी पूर्व में आत्महत्या कर चुका है. शेष आरोपियों को प्रकरण में सजा हो चुकी है.

बचाव पक्ष के वकील अजय वर्मा ने बताया कि पॉक्सो एक्ट की विशेष कोर्ट संख्या 2 ने प्रत्येक आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही आरोपियों को 5-5 लाख रुपए के आर्थिक दंड से भी दंडित किया है. प्रकरण को लेकर बचाव पक्ष की ओर से इसी प्रकरण में पूर्व में अन्य आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से दी गई 10 वर्ष की सजा का हवाला दिया गया था, लेकिन कोर्ट ने बचाव पक्ष की दलील को नहीं माना. वर्मा ने बताया कि छह आरोपियों में से इकबाल भाटी की अंतरिम जमानत के लिए अर्जी लगाई गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है. उन्होंने बताया कि फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की जाएगी. फिलहाल सभी छह आरोपियों सैयद नफीस चिश्ती, इकबाल भाटी, सलीम चिश्ती, सोहेल गनी, जमीर और नसीम उर्फ टार्जन को कोर्ट ने जेल भेज दिया है. बता दें कि इससे पहले यह सभी 6 आरोपी जमानत पर थे. वहीं, यह आरोपी पूर्व में जेल में भी रह चुके हैं. इनमें सैयद नफीस चिश्ती 8 साल, मुंबई निवासी इकबाल भाटी साढ़े 3 वर्ष, सोहेल गनी 4 वर्ष, जमीर (जेल में नहीं रहा), नसीम 7 वर्ष और सलीम चिश्ती 7 वर्ष जेल में रह चुका है.

पढ़ें. Ajmer 1992 : अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड में 6 आरोपियों के खिलाफ मामला विचाराधीन, प्रकरण में सुनवाई आज...अभी इतनों की गवाही बाकी

अभियोजन पक्ष की ओर से 245 दस्तावेज, 104 गवाह और 22 आर्टिकल पेश किए गए थे, जिनके आधार पर कोर्ट ने आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. प्रकरण में कुल 18 आरोपी थे. इनमें से 4 आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया था, जबकि 5 आरोपियों को कोर्ट से सजा हो चुकी है. शेष 6 आरोपियों को अजमेर की पॉक्सो की विशेष कोर्ट संख्या दो ने सजा सुनाई है. इनमें सैयद नफीस चिश्ती, नसीम उर्फ टार्जन, सैयद सलीम चिश्ती, सोहेल गनी, सैयद जमीर हुसैन और इकबाल भाटी शामिल है. : वीरेंद्र सिंह, विशिष्ट लोक अभियोजक, अभियोजन विभाग

फैसले को जानने के लिए उमड़े लोग : बहुचर्चित अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड में आरोपियों के खिलाफ सजा सुनाए जाने के वक्त कोर्ट में लोगों की भीड़ जमा हो गई. कोर्ट का फैसला जानने के लिए लोग काफी उत्सुक नजर आए. डीवाईएसपी रूद्रप्रकाश, सिविल लाइन थाना प्रभारी छोटू लाल, क्रिश्चियन गंज थाना प्रभारी अरविंद चारण, महिला थाना प्रभारी विद्या समेत दर्जनों पुलिस कर्मी कोर्ट में मौजूद रहे. सजा सुनाए जाने के बाद आरोपियों के मुंह उतरे हुए थे. आरोपियों में मुख्य आरोपी सैयद नफीस चिश्ती सिर झुकाकर जा रहा था, जबकि कुछ आरोपी अपना मुंह छुपाते हुए नजर आए. आरोपियों को केंद्रीय कारागार जेल में भेजा गया है.

पढ़ें. Ajmer Files Controversy : 'अजमेर 92' का विरोध, मुस्लिम संगठन बोले- दरगाह को बदनाम करने की साजिश

इनको भी मिल चुकी है सजा : अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड के मामले इशरत, अनवर चिश्ती, शमशु भिश्ती और पुत्तन इलाहाबादी को कोर्ट पूर्व में आजीवन कारावास की सजा सुना चुकी है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट से इन्हें 10 वर्ष की सजा हुई थी. इसी तरह मामले में मुख्य आरोपी सैयद फारूक चिश्ती को भी 2007 में कोर्ट आजीवन कारावास की सजा सुना चुकी है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फारूक चिश्ती को 10 साल की सजा सुनाई थी.

यह आरोपी हुए थे बरी : अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड मामले में वर्ष 2001 में महेश लोधानी, हरीश तोलानी, कैलाश सोनी और परवेज अंसारी को कोर्ट ने बरी किया था. प्रकरण में आरोपी अलमास महाराज अभी भी फरार है. बताया जा रहा है कि अलमास महाराज प्रकरण में नाम आने के बाद से ही अमेरिका भाग गया था, जहां उसने अमेरिका की नागरिकता भी हासिल कर ली है. फरारी के बावजूद भी उसके खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में पेश हो चुका है, लेकिन उस पर फैसला अभी तक नहीं हुआ.

यह था अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड : अजमेर में यूथ कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष फारुख चिश्ती, उसका साथी नफीस चिश्ती और उसके गुर्गे स्कूल और कॉलेज की लड़कियों को शिकार बनाते थे. फार्म हाउस और रेस्टोरेंट में पार्टियों के नाम पर छात्राओं को बुलाकर उन्हें नशीला पदार्थ पिलाकर सामूहिक दुराचार किया जाता. इस दौरान उनके अश्लील फोटो खींच लिए जाते था. इसके बाद इन अश्लील फोटो के आधार पर लड़कियों से अन्य लड़कियों को लाने के लिए मजबूर किया जाता था. यानी एक शिकार से दूसरे शिकार को फंसाया जाता था. प्रकरण दर्ज होने से पहले कुछ लड़कियां हिम्मत कर पुलिस के पास गईं थी, लेकिन पुलिस ने उन पीड़िताओं के खाली बयान लेकर उन्हें चलता कर दिया. बाद में उन पीड़िताओ को धमकियां मिलती रही. लिहाजा वह दोबारा पुलिस के सामने आने की हिम्मत नहीं जुटा पाईं. इसके बाद लोक लज्जा के डर से कोई सामने आकर पुलिस में शिकायत करने को तैयार नहीं थी. बाद में 18 पीड़िताओं ने आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में बयान दिए.

पढे़ं. अजमेर के 1992 ब्लैकमेल कांड पर बनीं फिल्म Ajmer Files, रिलीज होने के पहले ही विवादों में घिरी

ऐसे हुआ घिनौने कांड का खुलासा : सन 1992 में अजमेर के एक कलर लैब से कुछ अश्लील फोटो लीक हो गए. यह फोटो शहर भर में वायरल होने लगे. तब पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर अश्लील फोटो की जांच की और इस घिनौने अपराध और षड्यंत्र का भांडा फूट गया. अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड में 100 से ज्यादा लड़कियों के साथ दुष्कर्म हुआ. आरोपियों की गुंडागर्दी और ऊंचे रासुखातों की वजह से प्रकरण दर्ज होने के बाद भी किसी भी लड़की ने सामने आने की हिम्मत नहीं दिखाई. तब पुलिस ने फोटो के आधार पर पीड़िताओं को खोजना शुरू किया. दुष्कर्म और ब्लैकमेल की शिकार हुईं कुछ लड़कियों ने आत्महत्या कर ली. वहीं, कुछ ने चुप्पी साधते हुए शहर ही छोड़ दिया. पुलिस ने मशक्कत करके कुछ पीड़िताओं के बयान दर्ज करवाए और मामले में चालान कोर्ट में पेश की. अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड उस दौर में सामने आया जब अयोध्या में राम जन्मभूमि को लेकर देशभर में सियासत गर्म थी. वहीं, साम्प्रदायिक माहौल बना हुआ था. तब दंगे की आशंका के मद्देनजर भी अजमेर पुलिस ने मामले को लंबित रखा. तत्कालीन समय में भैरू सिंह शेखावत सरकार ने मामले की जांच सीआईडी सीबी को सौंपने का निर्णय लिया. तब इस मामले में पुलिस को मुकदमा दर्ज करना पड़ा.

ऐसे हुई अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड की शुरुआत : राजनीति और धार्मिक स्थल से जुड़े होने के कारण आरोपियों के रसूख ऊंचे थे. वहीं, धनबल की भी उनके पास कमी नहीं थी. एक लड़की को पद और रसोई गैस सिलेंडर का कनेक्शन दिलवाने का लालच देकर शिकार बनाया और उसके जरिए अन्य लड़कियों को फंसाया गया. इतना ही नहीं एक लड़के को भी अश्लील फोटो के जरिए ब्लैकमेल कर उसकी परिचित लड़कियों को शिकार बनाया. इस तरह ब्लैकमेल की शिकार लड़कियों की चेन काफी लंबी होती गई. मगर आरोपियों को अंजाम तक पहुंचाने की हिम्मत 18 पीड़िताएं ही जुटा पाईं.

मामला उजागर होने के बाद : प्रकरण से संबंधित फोटो सार्वजनिक होने के बाद से शहर में लड़कियों के आत्महत्या करने की कई घटनाएं हुईं. सीधे तौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि उनका इस प्रकरण से जुड़ाव था, क्योंकि न तो वह कोई सुसाइड नोट छोड़कर गईं और न ही उनके परिजनों ने कोई प्रकरण के संबंध में बयान दिए. मगर इतना जरूर था कि जिन लड़कियों ने सुसाइड किए थे, उसकी कोई वजह सामने नहीं आई.

पुलिस की गलती पीड़िता के लिए बनी वेदना : अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेलकांड में 100 से अधिक स्कूल और कॉलेज की छात्राएं ब्लैकमेल और दुष्कर्म का शिकार हुई थी. इनमें से आरोपियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने की हिम्मत केवल 16 पीड़िताओं ने दिखाई. आरोपियों को सजा तक पहुंचाने के लिए पीड़िताओं को भी काफी वेदना झेलनी पड़ी. इसका कारण पुलिस की ओर से अलग-अलग चार्जशीट आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में पेश करना था. पहले चार्जशीट आठ आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने पेश की थी. इसके बाद चार आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश हुई. आरोपी गिरफ्तार होते गए उसी तरह से उनके खिलाफ प्रकरण शुरू से चलता गया और पीड़िताओं को भी हर बार बयान देने के लिए कोर्ट में आना पड़ता था. दादी नानी बन चुकी पीड़िताओ के लिए यह वेदना उनके साथ हुई घिनोनी घटना से भी अधिक पीड़ादायक थी.

कोर्ट के फैसले से मिली कुछ राहत : एक पीड़िता से बातचीत करके ईटीवी भारत उनकी वेदना को भी सामने लाया था. कोर्ट से आरोपियों को सजा होने के बाद जब उस पीड़िता से ईटीवी भारत ने फिर से संपर्क किया तो उनका कहना था कि आरोपियों ने उनकी जिंदगी तबाह कर दी. उनके साथ आरोपियों ने दुराचार किया उसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि कोर्ट के इस फैसले से कुछ राहत जरूर मिली है. उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट का यह फैसला उन लोगों के लिए सबक होगा जो दूसरे की बहन बेटियों पर गंदी नजर रखते हैं.

अजमेर ब्लैकमेल कांड में 32 साल बाद फैसला (वीडियो ईटीवी भारत अजमेर)

अजमेर : साल 1992 में देश के बहुचर्चित अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड के मामले में शेष रहे 6 आरोपियों को मंगलवार को पॉक्सो कोर्ट संख्या 2 ने दोषी माना है. अदालत ने 208 पेज के फैसले में सभी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही कोर्ट ने प्रत्येक आरोपी को 5-5 लाख रुपए के आर्थिक दंड से भी दंडित किया है. बता दें कि प्रकरण में कुल 18 आरोपी थे. इनमें से 1 आरोपी फरार है. वहीं, एक आरोपी पूर्व में आत्महत्या कर चुका है. शेष आरोपियों को प्रकरण में सजा हो चुकी है.

बचाव पक्ष के वकील अजय वर्मा ने बताया कि पॉक्सो एक्ट की विशेष कोर्ट संख्या 2 ने प्रत्येक आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही आरोपियों को 5-5 लाख रुपए के आर्थिक दंड से भी दंडित किया है. प्रकरण को लेकर बचाव पक्ष की ओर से इसी प्रकरण में पूर्व में अन्य आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से दी गई 10 वर्ष की सजा का हवाला दिया गया था, लेकिन कोर्ट ने बचाव पक्ष की दलील को नहीं माना. वर्मा ने बताया कि छह आरोपियों में से इकबाल भाटी की अंतरिम जमानत के लिए अर्जी लगाई गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है. उन्होंने बताया कि फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की जाएगी. फिलहाल सभी छह आरोपियों सैयद नफीस चिश्ती, इकबाल भाटी, सलीम चिश्ती, सोहेल गनी, जमीर और नसीम उर्फ टार्जन को कोर्ट ने जेल भेज दिया है. बता दें कि इससे पहले यह सभी 6 आरोपी जमानत पर थे. वहीं, यह आरोपी पूर्व में जेल में भी रह चुके हैं. इनमें सैयद नफीस चिश्ती 8 साल, मुंबई निवासी इकबाल भाटी साढ़े 3 वर्ष, सोहेल गनी 4 वर्ष, जमीर (जेल में नहीं रहा), नसीम 7 वर्ष और सलीम चिश्ती 7 वर्ष जेल में रह चुका है.

पढ़ें. Ajmer 1992 : अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड में 6 आरोपियों के खिलाफ मामला विचाराधीन, प्रकरण में सुनवाई आज...अभी इतनों की गवाही बाकी

अभियोजन पक्ष की ओर से 245 दस्तावेज, 104 गवाह और 22 आर्टिकल पेश किए गए थे, जिनके आधार पर कोर्ट ने आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. प्रकरण में कुल 18 आरोपी थे. इनमें से 4 आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया था, जबकि 5 आरोपियों को कोर्ट से सजा हो चुकी है. शेष 6 आरोपियों को अजमेर की पॉक्सो की विशेष कोर्ट संख्या दो ने सजा सुनाई है. इनमें सैयद नफीस चिश्ती, नसीम उर्फ टार्जन, सैयद सलीम चिश्ती, सोहेल गनी, सैयद जमीर हुसैन और इकबाल भाटी शामिल है. : वीरेंद्र सिंह, विशिष्ट लोक अभियोजक, अभियोजन विभाग

फैसले को जानने के लिए उमड़े लोग : बहुचर्चित अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड में आरोपियों के खिलाफ सजा सुनाए जाने के वक्त कोर्ट में लोगों की भीड़ जमा हो गई. कोर्ट का फैसला जानने के लिए लोग काफी उत्सुक नजर आए. डीवाईएसपी रूद्रप्रकाश, सिविल लाइन थाना प्रभारी छोटू लाल, क्रिश्चियन गंज थाना प्रभारी अरविंद चारण, महिला थाना प्रभारी विद्या समेत दर्जनों पुलिस कर्मी कोर्ट में मौजूद रहे. सजा सुनाए जाने के बाद आरोपियों के मुंह उतरे हुए थे. आरोपियों में मुख्य आरोपी सैयद नफीस चिश्ती सिर झुकाकर जा रहा था, जबकि कुछ आरोपी अपना मुंह छुपाते हुए नजर आए. आरोपियों को केंद्रीय कारागार जेल में भेजा गया है.

पढ़ें. Ajmer Files Controversy : 'अजमेर 92' का विरोध, मुस्लिम संगठन बोले- दरगाह को बदनाम करने की साजिश

इनको भी मिल चुकी है सजा : अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड के मामले इशरत, अनवर चिश्ती, शमशु भिश्ती और पुत्तन इलाहाबादी को कोर्ट पूर्व में आजीवन कारावास की सजा सुना चुकी है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट से इन्हें 10 वर्ष की सजा हुई थी. इसी तरह मामले में मुख्य आरोपी सैयद फारूक चिश्ती को भी 2007 में कोर्ट आजीवन कारावास की सजा सुना चुकी है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फारूक चिश्ती को 10 साल की सजा सुनाई थी.

यह आरोपी हुए थे बरी : अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड मामले में वर्ष 2001 में महेश लोधानी, हरीश तोलानी, कैलाश सोनी और परवेज अंसारी को कोर्ट ने बरी किया था. प्रकरण में आरोपी अलमास महाराज अभी भी फरार है. बताया जा रहा है कि अलमास महाराज प्रकरण में नाम आने के बाद से ही अमेरिका भाग गया था, जहां उसने अमेरिका की नागरिकता भी हासिल कर ली है. फरारी के बावजूद भी उसके खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में पेश हो चुका है, लेकिन उस पर फैसला अभी तक नहीं हुआ.

यह था अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड : अजमेर में यूथ कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष फारुख चिश्ती, उसका साथी नफीस चिश्ती और उसके गुर्गे स्कूल और कॉलेज की लड़कियों को शिकार बनाते थे. फार्म हाउस और रेस्टोरेंट में पार्टियों के नाम पर छात्राओं को बुलाकर उन्हें नशीला पदार्थ पिलाकर सामूहिक दुराचार किया जाता. इस दौरान उनके अश्लील फोटो खींच लिए जाते था. इसके बाद इन अश्लील फोटो के आधार पर लड़कियों से अन्य लड़कियों को लाने के लिए मजबूर किया जाता था. यानी एक शिकार से दूसरे शिकार को फंसाया जाता था. प्रकरण दर्ज होने से पहले कुछ लड़कियां हिम्मत कर पुलिस के पास गईं थी, लेकिन पुलिस ने उन पीड़िताओं के खाली बयान लेकर उन्हें चलता कर दिया. बाद में उन पीड़िताओ को धमकियां मिलती रही. लिहाजा वह दोबारा पुलिस के सामने आने की हिम्मत नहीं जुटा पाईं. इसके बाद लोक लज्जा के डर से कोई सामने आकर पुलिस में शिकायत करने को तैयार नहीं थी. बाद में 18 पीड़िताओं ने आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में बयान दिए.

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ऐसे हुआ घिनौने कांड का खुलासा : सन 1992 में अजमेर के एक कलर लैब से कुछ अश्लील फोटो लीक हो गए. यह फोटो शहर भर में वायरल होने लगे. तब पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर अश्लील फोटो की जांच की और इस घिनौने अपराध और षड्यंत्र का भांडा फूट गया. अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड में 100 से ज्यादा लड़कियों के साथ दुष्कर्म हुआ. आरोपियों की गुंडागर्दी और ऊंचे रासुखातों की वजह से प्रकरण दर्ज होने के बाद भी किसी भी लड़की ने सामने आने की हिम्मत नहीं दिखाई. तब पुलिस ने फोटो के आधार पर पीड़िताओं को खोजना शुरू किया. दुष्कर्म और ब्लैकमेल की शिकार हुईं कुछ लड़कियों ने आत्महत्या कर ली. वहीं, कुछ ने चुप्पी साधते हुए शहर ही छोड़ दिया. पुलिस ने मशक्कत करके कुछ पीड़िताओं के बयान दर्ज करवाए और मामले में चालान कोर्ट में पेश की. अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड उस दौर में सामने आया जब अयोध्या में राम जन्मभूमि को लेकर देशभर में सियासत गर्म थी. वहीं, साम्प्रदायिक माहौल बना हुआ था. तब दंगे की आशंका के मद्देनजर भी अजमेर पुलिस ने मामले को लंबित रखा. तत्कालीन समय में भैरू सिंह शेखावत सरकार ने मामले की जांच सीआईडी सीबी को सौंपने का निर्णय लिया. तब इस मामले में पुलिस को मुकदमा दर्ज करना पड़ा.

ऐसे हुई अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेल कांड की शुरुआत : राजनीति और धार्मिक स्थल से जुड़े होने के कारण आरोपियों के रसूख ऊंचे थे. वहीं, धनबल की भी उनके पास कमी नहीं थी. एक लड़की को पद और रसोई गैस सिलेंडर का कनेक्शन दिलवाने का लालच देकर शिकार बनाया और उसके जरिए अन्य लड़कियों को फंसाया गया. इतना ही नहीं एक लड़के को भी अश्लील फोटो के जरिए ब्लैकमेल कर उसकी परिचित लड़कियों को शिकार बनाया. इस तरह ब्लैकमेल की शिकार लड़कियों की चेन काफी लंबी होती गई. मगर आरोपियों को अंजाम तक पहुंचाने की हिम्मत 18 पीड़िताएं ही जुटा पाईं.

मामला उजागर होने के बाद : प्रकरण से संबंधित फोटो सार्वजनिक होने के बाद से शहर में लड़कियों के आत्महत्या करने की कई घटनाएं हुईं. सीधे तौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि उनका इस प्रकरण से जुड़ाव था, क्योंकि न तो वह कोई सुसाइड नोट छोड़कर गईं और न ही उनके परिजनों ने कोई प्रकरण के संबंध में बयान दिए. मगर इतना जरूर था कि जिन लड़कियों ने सुसाइड किए थे, उसकी कोई वजह सामने नहीं आई.

पुलिस की गलती पीड़िता के लिए बनी वेदना : अश्लील छायाचित्र ब्लैकमेलकांड में 100 से अधिक स्कूल और कॉलेज की छात्राएं ब्लैकमेल और दुष्कर्म का शिकार हुई थी. इनमें से आरोपियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने की हिम्मत केवल 16 पीड़िताओं ने दिखाई. आरोपियों को सजा तक पहुंचाने के लिए पीड़िताओं को भी काफी वेदना झेलनी पड़ी. इसका कारण पुलिस की ओर से अलग-अलग चार्जशीट आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में पेश करना था. पहले चार्जशीट आठ आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने पेश की थी. इसके बाद चार आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश हुई. आरोपी गिरफ्तार होते गए उसी तरह से उनके खिलाफ प्रकरण शुरू से चलता गया और पीड़िताओं को भी हर बार बयान देने के लिए कोर्ट में आना पड़ता था. दादी नानी बन चुकी पीड़िताओ के लिए यह वेदना उनके साथ हुई घिनोनी घटना से भी अधिक पीड़ादायक थी.

कोर्ट के फैसले से मिली कुछ राहत : एक पीड़िता से बातचीत करके ईटीवी भारत उनकी वेदना को भी सामने लाया था. कोर्ट से आरोपियों को सजा होने के बाद जब उस पीड़िता से ईटीवी भारत ने फिर से संपर्क किया तो उनका कहना था कि आरोपियों ने उनकी जिंदगी तबाह कर दी. उनके साथ आरोपियों ने दुराचार किया उसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि कोर्ट के इस फैसले से कुछ राहत जरूर मिली है. उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट का यह फैसला उन लोगों के लिए सबक होगा जो दूसरे की बहन बेटियों पर गंदी नजर रखते हैं.

Last Updated : Aug 21, 2024, 8:34 AM IST
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