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मौनी अमावस्या पर मिलेगा पितरों का आशीर्वाद, काल सर्प दोष से भी मिलेगी मुक्ति

Mauni Amavasya: इस 9 फरवरी को मौनी अमावस्या है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान कर पूरी विधि विधान से पूजन करने पर पितर प्रसन्न होते हैं. साथ ही काल सर्प दोष से भी मुक्ति मिलती है. पढ़िए पूरी खबर...

Mauni Amavasya
Mauni Amavasya

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Feb 3, 2024, 8:13 PM IST

कुल्लू:सनातन धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या का विशेष महत्व है. वहीं, इस बार फरवरी माह में मौनी अमावस्या मनाई जाएगी. मौनी अमावस्या इस साल 9 फरवरी को मनाई जाएगी. मौनी अमावस्या के दिन भगवान विष्णु और शिव के विशेष रूप से पूजा की जाएगी. मौनी अमावस्या 9 फरवरी शुक्रवार को सुबह 7:23 पर शुरू होगी और 10 फरवरी को सुबह 4:28 बजे समाप्त होगी. ऐसे में शुक्रवार के दिन मौनी अमावस्या का व्रत रखा जाएगा और इस दिन भक्त पवित्र नदी में स्नान करके तिल, लड्डू और तेल का दान करेंगे. वही इस दिन मौन व्रत रखने का भी विशेष महत्व है. मौनी अमावस्या के दिन ही सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है. मौनी अमावस्या पर मौन व्रत रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. इसके अलावा पितृ दोष, काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए भी यह अच्छा दिन कहा गया है.

आचार्य दीप कुमार शर्मा का कहना है कि इस दिन भक्त पहले पवित्र नदी में स्नान करें और अपने घर में दीप प्रज्वलित करें. भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद उपवास भी रखें. मौनी अमावस्या के दिन पितरों के नाम पर तर्पण और दान करें. साथ ही भगवान विष्णु और भगवान शिव की विधि विधान के साथ पूजा करें. शास्त्रों के अनुसार इस मौनी अमावस्या पर पितर संबंधी कार्य करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है और दान करने से उसका कई गुना अधिक फल भी मिलता है. आचार्य का कहना है कि इस दिन सुबह 8:02 से लेकर सुबह 11:15 तक स्नान व दान का शुभ मुहूर्त भी बन रहा है. ऐसे में इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से चर्म रोग से भी मुक्ति मिलती है.

धार्मिक मान्यता के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन पितर धरती पर आते हैं और सूर्यास्त होने के बाद में वापस अपने लोक लौट जाते हैं. वहीं, पितृ लोक लौटते समय उनके रास्ते में अंधेरा ना हो. इसके लिए भी पितरों के नाम का दीपक जलाया जाता है. इससे पितर खुश होकर आशीर्वाद व सुख समृद्धि का वरदान भी देते हैं.

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