शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक सीमित (केसीसीबी) को बिना कोर्ट की अनुमति के ग्रेड-IV से ग्रेड-III में पदोन्नति के लिए किसी भी नई डीपीसी यानी विभागीय पदोन्नति कमेटी की मीटिंग योजित करने पर रोक लगा दी है. अदालत ने प्रतिवादी बैंक को प्रबंध निदेशक के माध्यम से कारण बताओ नोटिस जारी किया है. नोटिस में अदालत ने पूछा है कि हाईकोर्ट द्वारा डीपीसी को अंतिम रूप देने से जुड़े निर्देशों का उल्लंघन करने के लिए क्यों ना उसके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए.
मामले की सुनवाई के दौरान बैंक की ओर से कोर्ट को बताया गया कि विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) की कार्यवाही पर बैंक के अध्यक्ष द्वारा अभी तक हस्ताक्षर नहीं किए गए हैं. इस पर हाई कोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्योत्स्ना रिवाल दुआ ने कहा कि रिट याचिका में क्रमशः 25 नवम्बर 2024, 20 दिसंबर 2024, 26 दिसम्बर 2024 और 30 दिसम्बर 2024 को पारित विशिष्ट आदेशों के बावजूद डीपीसी कार्यवाही पर अभी तक अंतिम निर्णय नहीं हुआ है.
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि डीपीसी 7 दिसंबर 2024 को बुलाई गई थी और 23 दिसंबर 2024 को निदेशक मंडल के समक्ष अनुमोदन के लिए रखी गई थी. सेम डे निदेशक मंडल ने डीपीसी को अनुमोदित किया था, लेकिन प्रतिवादियों की निष्क्रियता के कारण डीपीसी का अंतिम रूप लंबित है. कोर्ट ने अपने आदेशों में स्पष्ट किया कि इस मामले में हुई डीपीसी की कार्यवाही को कैलेंडर वर्ष की समाप्ति के कारण खत्म नहीं माना जाएगा. इन्हें सक्रिय माना जाएगा क्योंकि अंतिम रूप ना देने में प्रथम दृष्टया प्रतिवादी-बैंक की ओर से गलती है. मामले की सुनवाई अब 9 जनवरी को निर्धारित की गई है.
मामले के अनुसार हाईकोर्ट ने 25 नवम्बर 2024 को कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक सीमित (केसीसीबी) को दो सप्ताह के भीतर डीपीसी के आदेश दिए थे. डीपीसी ना होने पर बैंक के ग्रेड-IV अनुबंध लिपिकों के संघ ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. सैकड़ों कर्मचारी होने पर इन कर्मचारियों की पदोन्नति के लिए बैंक प्रबंधन की ओर से 8 सितंबर 2024 को पदोन्नति परीक्षा का आयोजन किया गया था. इस परीक्षा में करीब 269 अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए, लेकिन काफी लंबे समय से इनके पदोन्नति आदेश जारी नहीं किए गए इसलिए उन्हें हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा. हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद बैंक डीपीसी की कार्यवाही को अंतिम रूप देने में असफल रहा.
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