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विद्वान और दलाई लामा के वार्ताकार रहे प्रो. जामयांग ग्यालत्सान का निधन, लद्दाख के लोगों ने दी श्रद्धांजलि - PROF JAMYANG GYALTSAN

प्रो. जामयांग ग्यालत्सन के निधन पर लद्दाख में शोक सभा आयोजित की गई, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने उनके योगदान को याद किया.

Ladakh paid tribute to Renowned Scholar Prof Jamyang Gyaltsen who passed away in Delhi
प्रो. जामयांग ग्यालत्सान का निधन (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 2, 2025, 10:52 PM IST

लेह: लद्दाख के लोगों ने अपने सबसे प्रतिष्ठित सांस्कृतिक विद्वानों में से एक प्रो. जामयांग ग्यालत्सन (Prof Jamyang Gyaltsen) के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनका 31 दिसंबर, 2024 को दिल्ली में निधन हो गया. उनकी स्मृति में गुरुवार 2 जनवरी को लेह में लद्दाख कला संस्कृति और भाषा अकादमी और लद्दाख सांस्कृतिक मंच द्वारा शोक सभा आयोजित की गई. उनके योगदान के प्रभाव को दर्शाते हुए राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक संगठनों की ओर से श्रद्धांजलि दी गई.

प्रो. ग्यालत्सन का जन्म 1952 में लद्दाख के माथो गांव (Matho village) में हुआ था. वह केंद्रीय बौद्ध अध्ययन संस्थान (CIBS) के अग्रणी छात्रों में से एक थे, जहां उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की. उच्च शिक्षा के लिए, उन्होंने वाराणसी के सारनाथ में केंद्रीय उच्च तिब्बती अध्ययन संस्थान से बौद्ध दर्शन में आचार्य (M.A.) की उपाधि हासिल की.

1978 में, उन्होंने CIBS में भोटी भाषा के लेक्चरर के रूप में अपना शैक्षणिक जीवन शुरू किया और तीन दशकों से अधिक समय तक प्रोफेसर के रूप में काम किया, जिससे संस्थान और उसके छात्रों पर अमिट छाप छोड़ी. उन्होंने दर्शन, व्याकरण, इतिहास, कविता और कथा साहित्य सहित कई विषयों पर 15 से अधिक प्रमुख रचनाएं लिखीं. उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो, लेह के लिए 30 से अधिक गीतों की रचना भी की और तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा के लिए वार्ताकार के रूप में कार्य किया.

प्रो. ग्यालत्सन को मिले पुरस्कारों में वर्ष 1976, 1982, 1984 और 2006 के लिए जम्मू-कश्मीर संस्कृति, कला और भाषा अकादमी से सर्वश्रेष्ठ पुस्तक पुरस्कार के साथ 1977 और 1987 में सर्वश्रेष्ठ नाटक पुरस्कार शामिल हैं. साहित्य और संस्कृति में उनके योगदान के सम्मान में, उन्हें 2024 में लद्दाख साहित्य दिवस के दौरान लद्दाख साहित्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

लद्दाख के उपराज्यपाल पर निधन पर शोक जताया
लद्दाख के उपराज्यपाल ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) बीडी मिश्रा ने प्रो. ग्यालत्सन ने निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए उन्हें 'लद्दाखी साहित्यिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में महान हस्ती' बताया. उन्होंने आधिकारिक बयान में कहा, "बौद्ध दर्शन, व्याकरण, इतिहास, कविता और कथा साहित्य पर उनकी प्रकाशित रचनाएं लद्दाखी पीढ़ियों के लिए हमेशा खजाना की तरह रहेंगी. ईश्वर उनके शोक संतप्त परिवार को इस अपूरणीय क्षति को सहन करने की शक्ति और सांत्वना प्रदान करें. उनकी आत्मा को शांति मिले."

यह भी पढ़ें- 'आरएसएस की शाखा में आए थे आंबेडकर, कहा था- मतभेद के बावजूद अपनेपन की भावना से देखता हूं'

लेह: लद्दाख के लोगों ने अपने सबसे प्रतिष्ठित सांस्कृतिक विद्वानों में से एक प्रो. जामयांग ग्यालत्सन (Prof Jamyang Gyaltsen) के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनका 31 दिसंबर, 2024 को दिल्ली में निधन हो गया. उनकी स्मृति में गुरुवार 2 जनवरी को लेह में लद्दाख कला संस्कृति और भाषा अकादमी और लद्दाख सांस्कृतिक मंच द्वारा शोक सभा आयोजित की गई. उनके योगदान के प्रभाव को दर्शाते हुए राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक संगठनों की ओर से श्रद्धांजलि दी गई.

प्रो. ग्यालत्सन का जन्म 1952 में लद्दाख के माथो गांव (Matho village) में हुआ था. वह केंद्रीय बौद्ध अध्ययन संस्थान (CIBS) के अग्रणी छात्रों में से एक थे, जहां उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की. उच्च शिक्षा के लिए, उन्होंने वाराणसी के सारनाथ में केंद्रीय उच्च तिब्बती अध्ययन संस्थान से बौद्ध दर्शन में आचार्य (M.A.) की उपाधि हासिल की.

1978 में, उन्होंने CIBS में भोटी भाषा के लेक्चरर के रूप में अपना शैक्षणिक जीवन शुरू किया और तीन दशकों से अधिक समय तक प्रोफेसर के रूप में काम किया, जिससे संस्थान और उसके छात्रों पर अमिट छाप छोड़ी. उन्होंने दर्शन, व्याकरण, इतिहास, कविता और कथा साहित्य सहित कई विषयों पर 15 से अधिक प्रमुख रचनाएं लिखीं. उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो, लेह के लिए 30 से अधिक गीतों की रचना भी की और तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा के लिए वार्ताकार के रूप में कार्य किया.

प्रो. ग्यालत्सन को मिले पुरस्कारों में वर्ष 1976, 1982, 1984 और 2006 के लिए जम्मू-कश्मीर संस्कृति, कला और भाषा अकादमी से सर्वश्रेष्ठ पुस्तक पुरस्कार के साथ 1977 और 1987 में सर्वश्रेष्ठ नाटक पुरस्कार शामिल हैं. साहित्य और संस्कृति में उनके योगदान के सम्मान में, उन्हें 2024 में लद्दाख साहित्य दिवस के दौरान लद्दाख साहित्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

लद्दाख के उपराज्यपाल पर निधन पर शोक जताया
लद्दाख के उपराज्यपाल ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) बीडी मिश्रा ने प्रो. ग्यालत्सन ने निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए उन्हें 'लद्दाखी साहित्यिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में महान हस्ती' बताया. उन्होंने आधिकारिक बयान में कहा, "बौद्ध दर्शन, व्याकरण, इतिहास, कविता और कथा साहित्य पर उनकी प्रकाशित रचनाएं लद्दाखी पीढ़ियों के लिए हमेशा खजाना की तरह रहेंगी. ईश्वर उनके शोक संतप्त परिवार को इस अपूरणीय क्षति को सहन करने की शक्ति और सांत्वना प्रदान करें. उनकी आत्मा को शांति मिले."

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