रांची:प्रतिबिंब एप और साइबर हेल्पलाइन 1930 के आने के बाद साइबर अपराधियों के द्वारा ठगी किए गए पैसों की रिकवरी भी शुरू हो गई है. डीजी के अनुसार साइबर अपराधियों के खातों को फ्रिज कर अदालत से लोगों के पैसे वापस करवाए जा रहे हैं. सीआईडी डीजी के अनुसार एक महिला के तो 25 लाख रुपये तक वापस हुए हैं जो साइबर अपराधियों ने ठग लिए थे.
साइबर हेल्पलाइन में शिकायत के बाद खाता होता है फ्रिज
साइबर अपराधियों के खिलाफ हेल्पलाइन नंबर 1930 पर हाथ कारगर है. झारखंड में सायबर हेल्पलाइन की शुरुआत मार्च 2022 महीने में हुई थी. 2022 से 2024 के मार्च महीने के बीच साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कुल एक लाख से ज्यादा शिकायतें आयीं, जिस पर कार्रवाई करते हुए अब तक 2 करोड़ रुपए की राशि ब्लाक कर वापस कराई गई है.
वहीं, 20 करोड़ रूपए की ठगी होने से बचाई गई. राज्य में सीआईडी के अधीन साइबर हेल्पलाइन 1930 बेहद सक्रिय है. झारखंड सीआईडी के मुताबिक, भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने नागरिक वित्तिय धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली के लिए टोल फ्री नंबर जारी किया था. इसके अंतर्गत ही साइबर अपराध की शिकायत 1930 पर की जा सकती है, शिकायत होने पर 1930 के द्वारा तत्काल ट्रांजेक्शन को ब्लॉक कराया जाता है.
साइबर गोल्डन ऑवर का उठाएं फायदा
साइबर ठग अलग-अलग हथकंडे अपनाकर लोगों को अपना शिकार बनाते है. रिवार्ड, कैशबैक, लॉटरी, सेक्सटॉर्शन, इंटरनेट पर मदद करने जैसे लालच देकर फोन कॉल, एसएमएस, ईमेल जैसी टेक्नोलॉजी की मदद से साइबर ठगी को अंजाम दिया जाता है, लेकिन आपको यह जानकारी होनी चाहिए कि जिस तरह से अगर किसी व्यक्ति के साथ सड़क हादसा हो जाए और उसे गोल्डन आवर में अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो उसकी जान बच सकती है. कुछ ऐसा ही साइबर अपराध को लेकर भी है, अगर आप गोल्डन आवर में कुछ स्टेप्स उठा लें, तो आप से ठगी की गई रकम भी वापस लौट सकती है और साइबर अपराधी भी शिकंजे में आ सकते हैं.
इंटरनेट की पहुंच अब हर वर्ग के हाथों तक है लेकिन काफी कम इंटरनेट यूजर्स हैं, जिन्हें साइबर सिक्योरिटी और प्राइवेसी जैसे मामलो की जानकारी है. इस बारे में जागरूक न होने का मतलब है, साइबर क्रिमिनल्स की चांदी होना और आपका ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार होना. इंटरनेट की दुनिया पहले से ही खतरनाक थी, लेकिन कोविड संक्रमण के बाद उपजे हालात में इसका खतरा व्यापक हो गया है.