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उम्र के हिसाब से हीमोग्लोबिन का लेवल कितना होना चाहिए? 2-5 वर्ष के बच्चे में खून की मात्रा कितनी होनी चाहिए? - HEMOGLOBIN LEVEL ACCORDING TO AGE

हीमोग्लोबिन हमारी रेड ब्लड सेल्स यानी (आरबीसी) में पाया जाने वाला महत्वपूर्ण प्रोटीन है. खबर में जानें उम्र के हिसाब से हीमोग्लोबिन कितना होना चाहिए...

What should be the level of hemoglobin according to age? What should be the amount of blood in a child between 2 and 5 years of age?
उम्र के हिसाब से हीमोग्लोबिन का लेवल कितना होना चाहिए? (FREEPIK)
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By ETV Bharat Health Team

Published : Feb 19, 2025, 12:55 PM IST

डॉक्टर और विशेषज्ञ हमेशा जरूरी मात्रा में स्वस्थ और पौष्टिक भोजन खाने की सलाह देते हैं. दरअसल, आहार से प्राप्त पोषण इम्यून सिस्टम और हमारे शरीर की सभी प्रणालियों के सुचारू रूप से कार्य करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. आहार से मिलने वाले न्यूट्रिएंट्स और मिनरल्स जैसे कि आयरन, प्रोटीन, विटामिन और कैल्शियम आदि शरीर की सभी इंटरनल सिस्टम को सही और स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. साथ ही, इन न्यूट्रिएंट्स और कई आंतरिक शारीरिक गतिविधियों के कारण हमारे शरीर में कुछ खास तरह के तत्व और तरल पदार्थ भी बनते हैं, जो शरीर को अलग-अलग तरह से पूरी तरह स्वस्थ रखने में अपनी भूमिका निभाते हैं.

हीमोग्लोबिन भी एक तरह का प्रोटीन है जो रेड ब्लड सेल्स में पाया जाता है. खून में हीमोग्लोबिन की कमी एनीमिया यानी खून की कमी का संकेत माना जाता है. वहीं, अगर खून में हीमोग्लोबिन जरूरत से ज्यादा कम होने लगे तो इससे न सिर्फ हमारी शारीरिक और मानसिक गतिविधियां प्रभावित होती हैं बल्कि कई बार कम या ज्यादा गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं.

इस खबर में पोषण विशेषज्ञ डॉ. दिव्या शर्मा से जानें कि उम्र के हिसाब से हीमोग्लोबिन कितना होना चाहिए? इसके साथ ही जानें कि 2 से 5 साल के बच्चे में ब्लड की मात्रा कितना होना चाहिए?

खून में हीमोग्लोबिन का आदर्श स्तर होना महत्वपूर्ण है
दिल्ली की पोषण विशेषज्ञ डॉ दिव्या शर्मा बताती हैं कि हीमोग्लोबिन हमारी रेड ब्लड सेल्स यानी (आरबीसी) में पाया जाने वाला महत्वपूर्ण प्रोटीन है, जो खून के माध्यम से हमारे पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने का कार्य करता है. शरीर में जब हीमोग्लोबिन की मात्रा ज्यादा कम हो जाती है, तो शरीर के सभी अंगों, उत्तकों और कोशिकाओं में आवश्यक ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होने लगती हैं. यह स्थिति कई रोगों तथा समस्याओं का कारण बन सकती हैं.

उम्र के हिसाब से हीमोग्लोबिन कितना होना चाहिए
डॉ. दिव्या बताती हैं कि पुरुष, महिला और बच्चों में इसकी आदर्श मात्रा अलग-अलग होती है, उदाहरण के लिए सामान्य स्थिति में नवजात शिशु में हीमोग्लोबिन का सामान्य स्तर 17.22 ग्राम/डीएल माना जाता है, जबकि बच्चों में यह 11.13 ग्राम/डीएल होता है. वहीं, एक वयस्क पुरुष के रक्त में हीमोग्लोबिन का आदर्श स्तर 14 से 18 ग्राम/डीएल और एक वयस्क महिला में 12 से 16 ग्राम/डीएल माना जाता है. वयस्कों में इस संख्या में एक या दो अंकों की कमी आमतौर पर बहुत गंभीर नहीं मानी जाती है, लेकिन अगर रक्त में हीमोग्लोबिन का स्तर 8 ग्राम या उससे नीचे चला जाए तो इसे चिंताजनक स्थिति माना जाता है. इस स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करना बहुत जरूरी हो जाता है.

2 से 5 वर्ष के बच्चे में खून की मात्रा कितनी होनी चाहिए?
2 से 5 साल की उम्र के बच्चे में हीमोग्लोबिन का स्तर 11.5 से 13.5 ग्राम प्रति डेसीलिटर (g/dL) होना चाहिए. यह स्तर बच्चे के विकास और अच्छे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है.

शरीर में एनीमिया के लक्षण
रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी या एनीमिया की समस्या होने पर पीड़ित लोगों में कई बार कम या ज्यादा तीव्रता में कुछ शारीरिक व मानसिक समस्याएं नजर आने लगती हैं. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  • लगातार या जल्दी जल्दी सिर दर्द होना
  • सांस फूलना तथा चक्कर आना
  • थकान और कमजोरी
  • शरीर में अकड़न महसूस होना
  • लो ब्लड प्रेशर या लो बीपी
  • शरीर में एनर्जी में कमी
  • चिड़चिड़ापन तथा घबराहट होना
  • सीने में दर्द
  • तेज या अनियमित दिल की धड़कन
  • खून की कमी
  • ज्यादा ठंड लगना और हाथ और पैर ठंडे होना
  • एकाग्रता में कमी
  • हड्डियों में कमजोरी
  • कमजोर इम्यूनिटी या इम्यूनिटी से संबंधित रोग
  • महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान ज्यादा दर्द होना , आदि.

ये हैं खून की कमी के कारण
डॉ. दिव्या बताती हैं कि हमेशा शरीर में पोषण की कमी ही ब्लड में हीमोग्लोबिन कम होने का कारण नहीं होती. कई बार आनुवंशिक कारणों, सिकल सेल एनीमिया जैसी आनुवंशिक समस्याओं, कैंसर, थैलेसीमिया, किडनी की समस्याओं, लिवर की बीमारी जैसी कुछ बीमारियों या शारीरिक समस्याओं, ऑटोइम्यून बीमारी, बोन मैरो डिसऑर्डर और थायरॉयड रोग जैसी कुछ पुरानी स्वास्थ्य स्थितियों के कारण भी हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो सकता है. इसके अलावा, जिन लोगों के ब्लड में हीमोग्लोबिन की मात्रा अपेक्षित संख्या से कम होती है, उन्हें कभी-कभी अवसाद, उदासीनता, उनींदापन और चिड़चिड़ापन और संज्ञानात्मक और तार्किक क्षमता में कमी जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है.

(डिस्क्लेमर: इस रिपोर्ट में आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी सामान्य जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान करते हैं. आपको इसके बारे में विस्तार से जानना चाहिए और इस विधि या प्रक्रिया को अपनाने से पहले अपने निजी चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए.)

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डॉक्टर और विशेषज्ञ हमेशा जरूरी मात्रा में स्वस्थ और पौष्टिक भोजन खाने की सलाह देते हैं. दरअसल, आहार से प्राप्त पोषण इम्यून सिस्टम और हमारे शरीर की सभी प्रणालियों के सुचारू रूप से कार्य करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. आहार से मिलने वाले न्यूट्रिएंट्स और मिनरल्स जैसे कि आयरन, प्रोटीन, विटामिन और कैल्शियम आदि शरीर की सभी इंटरनल सिस्टम को सही और स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. साथ ही, इन न्यूट्रिएंट्स और कई आंतरिक शारीरिक गतिविधियों के कारण हमारे शरीर में कुछ खास तरह के तत्व और तरल पदार्थ भी बनते हैं, जो शरीर को अलग-अलग तरह से पूरी तरह स्वस्थ रखने में अपनी भूमिका निभाते हैं.

हीमोग्लोबिन भी एक तरह का प्रोटीन है जो रेड ब्लड सेल्स में पाया जाता है. खून में हीमोग्लोबिन की कमी एनीमिया यानी खून की कमी का संकेत माना जाता है. वहीं, अगर खून में हीमोग्लोबिन जरूरत से ज्यादा कम होने लगे तो इससे न सिर्फ हमारी शारीरिक और मानसिक गतिविधियां प्रभावित होती हैं बल्कि कई बार कम या ज्यादा गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं.

इस खबर में पोषण विशेषज्ञ डॉ. दिव्या शर्मा से जानें कि उम्र के हिसाब से हीमोग्लोबिन कितना होना चाहिए? इसके साथ ही जानें कि 2 से 5 साल के बच्चे में ब्लड की मात्रा कितना होना चाहिए?

खून में हीमोग्लोबिन का आदर्श स्तर होना महत्वपूर्ण है
दिल्ली की पोषण विशेषज्ञ डॉ दिव्या शर्मा बताती हैं कि हीमोग्लोबिन हमारी रेड ब्लड सेल्स यानी (आरबीसी) में पाया जाने वाला महत्वपूर्ण प्रोटीन है, जो खून के माध्यम से हमारे पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने का कार्य करता है. शरीर में जब हीमोग्लोबिन की मात्रा ज्यादा कम हो जाती है, तो शरीर के सभी अंगों, उत्तकों और कोशिकाओं में आवश्यक ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होने लगती हैं. यह स्थिति कई रोगों तथा समस्याओं का कारण बन सकती हैं.

उम्र के हिसाब से हीमोग्लोबिन कितना होना चाहिए
डॉ. दिव्या बताती हैं कि पुरुष, महिला और बच्चों में इसकी आदर्श मात्रा अलग-अलग होती है, उदाहरण के लिए सामान्य स्थिति में नवजात शिशु में हीमोग्लोबिन का सामान्य स्तर 17.22 ग्राम/डीएल माना जाता है, जबकि बच्चों में यह 11.13 ग्राम/डीएल होता है. वहीं, एक वयस्क पुरुष के रक्त में हीमोग्लोबिन का आदर्श स्तर 14 से 18 ग्राम/डीएल और एक वयस्क महिला में 12 से 16 ग्राम/डीएल माना जाता है. वयस्कों में इस संख्या में एक या दो अंकों की कमी आमतौर पर बहुत गंभीर नहीं मानी जाती है, लेकिन अगर रक्त में हीमोग्लोबिन का स्तर 8 ग्राम या उससे नीचे चला जाए तो इसे चिंताजनक स्थिति माना जाता है. इस स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करना बहुत जरूरी हो जाता है.

2 से 5 वर्ष के बच्चे में खून की मात्रा कितनी होनी चाहिए?
2 से 5 साल की उम्र के बच्चे में हीमोग्लोबिन का स्तर 11.5 से 13.5 ग्राम प्रति डेसीलिटर (g/dL) होना चाहिए. यह स्तर बच्चे के विकास और अच्छे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है.

शरीर में एनीमिया के लक्षण
रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी या एनीमिया की समस्या होने पर पीड़ित लोगों में कई बार कम या ज्यादा तीव्रता में कुछ शारीरिक व मानसिक समस्याएं नजर आने लगती हैं. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  • लगातार या जल्दी जल्दी सिर दर्द होना
  • सांस फूलना तथा चक्कर आना
  • थकान और कमजोरी
  • शरीर में अकड़न महसूस होना
  • लो ब्लड प्रेशर या लो बीपी
  • शरीर में एनर्जी में कमी
  • चिड़चिड़ापन तथा घबराहट होना
  • सीने में दर्द
  • तेज या अनियमित दिल की धड़कन
  • खून की कमी
  • ज्यादा ठंड लगना और हाथ और पैर ठंडे होना
  • एकाग्रता में कमी
  • हड्डियों में कमजोरी
  • कमजोर इम्यूनिटी या इम्यूनिटी से संबंधित रोग
  • महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान ज्यादा दर्द होना , आदि.

ये हैं खून की कमी के कारण
डॉ. दिव्या बताती हैं कि हमेशा शरीर में पोषण की कमी ही ब्लड में हीमोग्लोबिन कम होने का कारण नहीं होती. कई बार आनुवंशिक कारणों, सिकल सेल एनीमिया जैसी आनुवंशिक समस्याओं, कैंसर, थैलेसीमिया, किडनी की समस्याओं, लिवर की बीमारी जैसी कुछ बीमारियों या शारीरिक समस्याओं, ऑटोइम्यून बीमारी, बोन मैरो डिसऑर्डर और थायरॉयड रोग जैसी कुछ पुरानी स्वास्थ्य स्थितियों के कारण भी हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो सकता है. इसके अलावा, जिन लोगों के ब्लड में हीमोग्लोबिन की मात्रा अपेक्षित संख्या से कम होती है, उन्हें कभी-कभी अवसाद, उदासीनता, उनींदापन और चिड़चिड़ापन और संज्ञानात्मक और तार्किक क्षमता में कमी जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है.

(डिस्क्लेमर: इस रिपोर्ट में आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी सामान्य जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान करते हैं. आपको इसके बारे में विस्तार से जानना चाहिए और इस विधि या प्रक्रिया को अपनाने से पहले अपने निजी चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए.)

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