हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

जब राम से जुड़ी है दिवाली की परंपरा, तो लक्ष्मी-गणेश की पूजा क्यों होती है ?

भगवान राम के अयोध्या लौटने पर दिवाली मनाई जाती है और इसी दिन लक्ष्मी पूजन भी होता है. जानें क्या कहतें हैं हिंदू शास्त्र...

WHY LAXMI POOJA ON DIWALI
दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा का विधान (ETV Bharat GFX)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 4 hours ago

Updated : 3 hours ago

कुल्लू: देशभर में दिवाली का त्योहार 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस दिन लोग घरों में भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हैं. मान्यता है कि इस दिन भगवान राम 14 वर्ष का वनवास काटकर पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे. उनके आगमन पर अयोध्यावासियों ने दीपमाला जलाई. दीये जलाकर उत्सव मनाया गया और उनका स्वागत किया गया. तबसे हर साल कार्तिक मास की अमवास्या को दिवाली का त्योहार मनाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर श्रीराम के अयोध्या लौटने पर दिवाली मनाई जाती है तो फिर इस दिन लक्ष्मी-गणेश की पूजा क्यों होती है ?

भगवान राम से जुड़ी दिवाली तो लक्ष्मी पूजा क्यों ?

लक्ष्मी पूजा के बगैर दिवाली का त्योहार अधूरा है. जबकि दिवाली मनाने की कहानी भगवान राम से जुड़ी है. ऐसे में जानना जरूरी है कि दिवाली पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का विधान क्यों है और हिंदू शास्त्र इसको लेकर क्या कहते हैं. कुल्लू के आचार्य शशिकांत शर्मा ने बताया कि "हिंदू शास्त्रों के मुताबिक कार्तिक मास की अमावस्या को लक्ष्मी पूजा का विधान है और इसकी मान्यता विष्णु के राम अवतार से भी पहले की है. भगवान विष्णु के 7वें अवतार के रूप में भगवान विष्णु ने राम अवतार के रूप में जन्म लिया था. लेकिन लक्ष्मी पूजन की कहानी उससे भी एक युग पहले अर्थात सतयुग की है."

आचार्य शशिकांत बताते हैं कि सतयुग में सुर-असुर संग्राम के बाद समुद्र मंथन हुआ था, जिसमें अमृत, विष, ऐरावत हाथी, कामधेनु गाय समेत 14 रत्न निकले थे. इनमें महालक्ष्मी भी एक थीं. जिनका देवी-देवताओं ने स्वागत किया था. कहते हैं कि माता लक्ष्मी ने जिसके बाद कार्तिक मास की अमावस्या के दिन ही माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु का विवाह हुआ था. मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन से ही धन्वंतरि निकले थे और वो अंत में अमृत कलश लेकर बाहर निकले थे. धन्वंतरि की पूजा धनतेरस पर की जाती है.

ये भी पढ़ें:दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति खरीदने से पहले इन बातों का रखें ध्यान, मिलेगा सुख-समृद्धि का वरदान!

ये भी पढ़ें:राशियों के हिसाब से जातक करें धनतेरस पर पूजा, मिलेगा मां लक्ष्मी, गणेश और कुबेर देवता का आशीर्वाद!

ये भी पढ़ें:मां लक्ष्मी की पूजा करते समय इन बातों का रखें विशेष ध्यान, दिवाली पर घर आएगी सुख समृद्धि!

दिवाली पर भगवान गणेश की पूजा का प्रावधान

दिवाली पर लक्ष्मी पूजन की मान्यता का तो पता चल गया लेकिन दिवाली पर लक्ष्मी के साथ गणेश जी की पूजा क्यों की जाती है. इसके जवाब में आचार्य शशिकांत शर्मा पजा की वजह औऱ उसका महत्व भी समझाते हैं. वैसे तो भगवान गणेश की पूजा हिंदू धर्म में हर शुभ काम से पहले की जाती है लेकिन दिवाली के दिन लक्ष्मी के साथ गणेश पूजन की एक और वजह है. आचार्य शशिकांत ने कहा कि माता लक्ष्मी का जन्म समुद्र मंथन के दौरान जल से हुआ और जैसे जल का स्वभाव जैसे चलना होता है वही लक्ष्मी का भी स्वभाव है. कहते भी हैं कि लक्ष्मी एक स्थान पर नहीं रहती, उनका कोई स्थाई वास नहीं है. वहीं दूसरी ओर भगवान गणेश बुद्धि के स्वामी हैं. लक्ष्मी को संभालने के लिए बुद्धि की आवश्यकता होती है. बुद्धिमान के पास ही लक्ष्मी हमेशा स्थिर रहती है. इसलिये लक्ष्मी को स्थिर रखने के लिए ही भगवान गणेश की पूजा की जाती है.

क्या कहते हैं हिंदू शास्त्र ?

आचार्य शशिकांत शर्मा ने बताया "हिंदू शास्त्रों के मुताबिक समुद्र मंथन सतयुग की घटना है जबकि भगवान श्री राम का लंका पर विजय पाकर अयोध्या लौटना त्रेता युग की घटना है. संयोगवश ये दोनों घटनाएं कार्तिक मास की अमावस्या को ही घटी थीं इसलिए कार्तिक मास की अमावस्या पर दिवाली, माता लक्ष्मी और गणेश का पूजन करने का विधान है."

दिवाली और कार्तिक मास की अमावस्या

आचार्य शशिकांत शर्मा ने बताया भगवान श्रीराम भी लंका पर विजय पाकर कार्तिक मास की अमावस्या को ही अयोध्या लौटे थे. अयोध्या के लोगों ने इस शुभ अवसर पर दीप जलाकर उनका स्वागत किया था. भगवान श्रीराम ने लंका पर विजय त्रेता युग में पाई थी इसलिए दिवाली का पर्व, माता लक्ष्मी और गणेश की पूजा एक ही दिन की जाती है.

ये भी पढ़ें:Diwali 2024: 31 अक्टूबर या 1 नवंबर? कब है दिवाली? जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

Last Updated : 3 hours ago

ABOUT THE AUTHOR

...view details