लखनऊ: रो-रो बेवा हसन की पुकारी, आज मेंहदी है कासिम तुम्हारी.... बैंड पर बजती नौहे की यह धुन अजादारों को गमगीन कर रही थी. रविवार को नवासए रसूल हजरत इमाम हसन के बेटे और इमाम हुसैन के भतीजे जनाबे कासिम की याद में हुसैनाबाद एंड एलाइड ट्रस्ट की ओर से आसिफी इमामबाड़े से शाही मेंहदी का जुलूस रवायती अंदाज में निकाला गया. इस जुलूस में शामिल मातमी बैंड से जनाबे कासिम की मेंहदी के नौहे और मर्सिए की धुनें जुलूस में शामिल अकीदतमंदों को बेकरार रही थीं.
आसिफी इमामबाड़े से रविवार रात शाही मेंहदी का जुलूस निकाला गया. जुलूस से पहले हुई मजलिस को मौलाना मोहम्मद अली हैदर ने खिताब किया, जिसके बाद शाही शानो-शौकत के साथ इमामबाड़े में गश्त कर मेंहदी का जुलूस निकाला गया. जुलूस में हजरत अब्बास की निशानी अलम, ताबूत, इमाम हुसैन की सवारी का प्रतीक जुलजनाह और पीछे-पीछे मातमी अंजुमन गुंचए मेहदिया नौहाख्वानी और सीनाजनी करती चल रही थी.
जुलूस आसिफी इमामबाड़े से निकल कर रूमी गेट, घण्टाघर और सतखण्डा के सामने से होता हुआ हुसैनाबाद स्थित छोटा इमामबाड़ा पहुंच कर सम्पन्न हुआ. जहां अकीदतमंदों ने देर तक तबर्रुकात की जियारत की और दुआएं मांगी. जुलूस के मार्ग में सड़क के दोनों तरफ सबीलों का इंतजाम किया गया था, जहां से अकीदतमंदों को चाय-पानी, शर्बत और हिस्सा बांटा जा रहा था.
इसे भी पढ़े-मजलिस और मातम में अजादारो ने नम आंखों से इमाम हुसैन को याद किया - muharram 2024
औरत इंसानों में सबसे ज्यादा इज्जत की हकदार है:इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया की ओर से ऐशबाग ईदगाह स्थित जामा मस्जिद में हुए जलसे को मौलाना कारी हारून निजामी ने खिताब करते हुए इस्लाम में औरतों के अधिकारों पर चर्चा की. कारी हारून निजामी ने कहा, कि इस्लाम ने औरतों को जो इज्जत और मुकाम दिया है. दूसरे धर्म में उसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती. रसूले अकरम का फरमान है, कि जन्नत मां के कदमों के नीचे है औरत जमीन पर. तमाम इंसानों में सबसे ज्यादा इज्जत की हकदार है. इस्लाम ने हर औरत के लिए शिक्षा को जरूरी करार दिया है. इस्लाम ने औरतों को हर मैदान चाहे राजनैतिक हो, व्यापारिक हो, इबादत हो या शिक्षा या सामाजिक हर मैदान में उनकी सलाहियतों के मुताबिक हक दिये.
मौलाना कारी हारून निजामी खिताब करते हुए (etv bharat)
हुसैन (अ.स) के ग़म में रोना इबादत है:इमामबाड़ा गुफरानमआब में अशरा ए मुहर्रम की सातवीं मजलिस को मौलाना कल्बे जवाद नकवी ने खिताब करते हुए कहा, कि गमे हुसैन (अ.स) में रोना इबादत है. हुसैन (अ.स) के गम में तमाम रसूलों और अम्बिया ने गिरया किया है. इसलिए, रोने पर एतेराज नहीं करना चाहिए. मौलाना ने कहा, कि गमे हुसैन (अ.स) में रोने वालों से सवाल नहीं होना चाहिए की क्यों रो रहे हो? बल्कि जो तमाशाई है, या नहीं रोते हैं उनसे सवाल होना चाहिए की नबी (स.अ.व) के लाल की शहादत पर क्यों गिरया नहीं करते? उन्होंने कहा, कि जो लोग हुसैन (अ.स) की शहादत पर गिरया करते हैं, उससे उनकी हुसैन (अ.स) से मुहब्बत का अंदाजा होता है. मजलिस के अंत में मौलाना ने इमाम हसन (अ.स) के बेटे हजरत कासिम (अ.स) की शहादत के वाकिये को बयान किया. मजलिस के बाद हजरत कासिम (अ.स) के ताबूत की शबीह की जियारत भी कराई गयी. जिसमे मोमनीन ने नौहा ख्वानी और सीना जनी भी की.
मौलाना कल्बे जवाद नकवी खिताब करते हुए (etv bharat) यह भी पढ़े-हजरत इमाम हुसैन को दो तरह से दुश्मनों ने नुकसान पहुंचाने की कोशिशें की: मौलाना अजहरुद्दीन - muharram 2024