गिरिडीह: पीरटांड़, इस इलाके का नाम आते ही पहले जहां नक्सलवाद की तस्वीर जहन में आती थी, अब वहां बदलाव की तस्वीर दिखाई पड़ती है. बारूदों की इस फिजा में काफी कुछ बदला है. नक्सलवाद पर लगाम लगा है तो आमजनों के नजदीक भी पुलिस पहुंची है. जिले के वरीय अधिकारियों के प्रयास से जनता और पुलिस की दूरी कम हुई है. इस बीच यहां एक ऐसी घटना घटी है, एक ऐसा आरोप यहां की पुलिस पर लगा है, जिससे पुलिस की छवि दागदार हो गई. मामला पीरटांड थाना से जुड़ा है. यहां के थानेदार समेत कुछ जवानों पर आरोप लगा है. आरोप बेरहमी से पिटाई करने का, थाना के हाजत में बंद करके पीटने का, पानी मांगने पर पानी नहीं देने का, नक्सली कांड में जेल भेजने की धमकी देकर पैसे की उगाही का है.
क्या है पूरा मामला और ग्रामीणों का आरोप
घटना को लेकर सिमरकोढ़ी के उपमुखिया अताउल्ला अंसारी ने बताया कि सोमवार की शाम को पीरटांड थाना इलाके के बिशनपुर टावर चौक के पास पुलिस द्वारा एक ट्रैक्टर को पकड़ा गया. ड्राइवर की सूचना पर हरलाडीह के डेगलाल महतो की कार लेकर डेगलाल के साथ सब्बीर अंसारी, अहमद अंसारी, लतीफ अंसारी और मुस्कान तुरी बिशनपुर पहुंचे. जहां पुलिस ने उनलोगों को घेर लिया और फिर जमकर पिटाई कर दी. इसके बाद सभी को थाना लाया गया. इस दौरान सभी को नक्सली केस में जेल भेजने की धमकी दी गई. उन्होंने बताया कि सुबह में वे गए तो थानेदार ने दो सिपाही से मिलने को कहा, जिसपर दोनों सिपाहियों ने कहा कि ढाई लाख देंगे तभी सभी छूटेगा नहीं तो नक्सली केस में जेल भेज दिए जाएंगे.
डेगलाल के भाई मनोज कुमार ने भी इसी तरह की कहानी बतायी. उन्होंने कहा कि सभी पांचों को छुड़ाने के लिए 1,14,900 दिया गया. इसमें से 65 हजार नकद सिपाही को दिया गया. बाकी रकम पुलिस के कहने पर एक मोबाइल दुकान और सरकारी शराब दुकान में ऑनलाइन किया गया. झामुमो के मो ताज, सिमरकोढ़ी पंचायत के मुखिया पति मो युसूफ के अलावा अशोक हेम्ब्रम ने थानेदार और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है. साथ ही साथ ली गई रिश्वत को वापस करवाने की भी मांग रखी गई है.
प्यास लगी फिर भी नहीं दिया पानी
पुलिस गिरफ्त से छूटे डेगलाल ने बताया कि थाना प्रभारी के द्वारा उन सभी पांचो लोगों को बार-बार नक्सली केस में फंसाने की धमकी के साथ-साथ पिटाई भी की गई. पहले बिशनपुर में पीटा गया, फिर थाना में लाकर पीटा गया. पिटाई के बाद सभी को हाजत में बंद कर दिया गया. जब सभी को प्यास लगी तो उन्हें पानी भी नहीं दिया गया. बार-बार वे लोग पानी के लिए चिल्लाते रहे, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था.