दिल की बीमारी खराब आहार, लाइफस्टाइल और स्ट्रेस के साथ-साथ कई स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से ट्रिगर होती है. कोरोना काल के बाद से हार्ट डिजीज के कारण मौत के मामले बढ़ गए हैं. किसी को नाचते-गाते या चलते-फिरते हार्ट अटैक आ जाता है, तो किसी को जिम करते समय, वहीं, अब तो कम उम्र में ही लोग दिल के मरीज बन रहे है. जी हां, हाल ही में गुजरात और कर्नाटक से दो दिल दहला देने वाली घटनाएं सामने आई हैं, जहां 8 साल की दो बच्चियों को अचानक दिल का दौरा पड़ा और वहीं उनकी मौत हो गई. ये दोनों घटनाएं इस वक्त करोड़ों लोगों के मन में डर और चिंता पैदा कर रखा है.
दरअसल, 10 जनवरी 2025 को गुजरात के अहमदाबाद के थलतेज इलाके में आठ साल की एक बच्ची की उसके स्कूल में मौत हो गई. घटना सुबह के समय हुई, जब कक्षा 3 में पढ़ने वाली लड़की गार्गी ने स्कूल पहुंचने के बाद सीने में दर्द की शिकायत की. स्कूल के अधिकारियों ने कहा कि लड़की कुर्सी पर गिर गई और उसका इलाज करने के प्रयासों के बावजूद, अस्पताल पहुंचने के कुछ ही देर बाद उसकी मौत हो गई.
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो में दिख रहा है कि छात्रा सुबह करीब 7:30 बजे अपने स्कूल बैग के साथ अपनी कक्षा की ओर जा रही है. तभी अचानक उसे कुछ परेशानी महसूस हुई बगल की कुर्सी पर बैठे-बैठे उसे अचानक बहुत दर्द होने लगा, आसपास खड़े शिक्षक व अन्य स्कूली बच्चे बच्ची की हालत खराब होता देख उसे अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. डॉक्टरों ने बताया कि लड़की की कार्डियक अरेस्ट (दिल का दौरा पड़ने) के कारण मौत हुई है.
वहीं, कुछ दिन पहले कर्नाटक के मैसूर जिले में एक स्कूल परिसर में 8 साल की बच्ची की कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई थी यह छात्रा तीसरी कक्षा की छात्रा थी और जब उसकी तबीयत खराब हुई तो वह अपनी क्लास में ही थी उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाया गया लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया इन दो घटनाओं ने अब लाखों लोगों को भ्रमित कर दिया है कि आखिर बचपन में ही दिल कमजोर क्यों होने लगता है. जीवनशैली, बदली हुई आदतें या कुछ और? आइए इस खतरनाक पहलू के बारे में विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं और यह जानने की कोशिश करते हैं कि बच्चों में दिल की बीमारी क्यों बढ़ रही है-
कार्डियक अरेस्ट क्या है?
कार्डियक अरेस्ट एक खतरनाक स्थिति है जिसमें व्यक्ति का दिल काम करना बंद कर देता है. इससे हृदय रक्त पंप करना बंद कर देता है, जिसका असर पूरे शरीर पर पड़ता है. अगर इसे आसान शब्दों में समझें तो दिल अचानक धड़कना बंद कर देता है, इसलिए इसे सडन कार्डिएक अरेस्ट भी कहा जाता है. कार्डियक अरेस्ट के निम्नलिखित लक्षण कुछ इस प्रकार हैं...
कार्डियक अरेस्ट के लक्षण
- छाती में दर्द
- चक्कर आना
- सांस लेने में दिक्कत
- तेज़ दिल की धड़कन
- बेहोशी
- उल्टी करना
- पेट में दर्द
बच्चों में हृदय गति रुकने का क्या कारण है?
मुंबई के लीलावती अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. विद्या सुरतकल का कहना है कि दिल का दौरा, दिल की विफलता और अचानक कार्डियक अरेस्ट, जिसमें अतालता (arrhythmia), एनजाइना, कोरोनरी धमनी रोग (सीएडी) शामिल हैं, हार्ट डिजीज मरीजों की संख्या इन दिनों तेजी से बढ़ रहा है, जो चिंता का विषय है. यह जानलेवा स्थिति देश भर में लाखों लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार है. डॉक्टर का कहना है कि बच्चों में हार्ट अटैक आने के कई कारण है, इसमें शामिल है...
- जंक फूड और अस्वास्थ्यकर भोजन: आजकल बच्चे जंक फूड, मीठे पेय और तैलीय खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करते हैं इससे मोटापा और हाई कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ता है, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है
- शारीरिक गतिविधि का अभाव: प्रौद्योगिकी के युग में, बच्चे वीडियो गेम और मोबाइल फोन देखने में अधिक समय बिताते हैं, जिससे शारीरिक गतिविधि कम हो जाती है इससे हृदय पर दबाव बढ़ जाता है
- जन्मजात हृदय रोग: कुछ बच्चे हृदय रोग के साथ पैदा होते हैं, जिसका अगर समय पर पता न चले तो यह घातक हो सकता है
- वर्तमान स्वास्थ्य समस्याएं: बच्चों में उच्च रक्तचाप, मोटापा और डायबिटीज जैसी बीमारियों में भी वृद्धि हो रही है, जो हृदय विफलता का कारण बन सकती हैं
- तनाव: स्कूल और पढ़ाई का तनाव बच्चे के दिल पर भी असर डाल सकता है.
- थायरॉइड डिसऑर्डर: थायरॉइड डिसऑर्डर की वजह से दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है.
कार्डियक अरेस्ट के कारण
कार्डियक अरेस्ट का मुख्य कारण वेंट्रिकुलर फाइब्रिलेशन या वेंट्रिकुलर टैचीकार्डिया है. वहीं, इसके महत्वपूर्ण जोखिम कारकों में पिछला हृदय ब्लॉक, कोरोनरी हृदय रोग, हृदय वाल्व रोग, जन्मजात हृदय दोष और दोषपूर्ण जीन शामिल हैं. इसके अलावा, कुछ मामलों में, हृदय रोग की दवाएं हृदय को असामान्य रूप से धड़कने का कारण बन सकती हैं, जिससे कार्डियक अरेस्ट हो सकता है.
इससे कैसे बचा जा सकता है?
- बच्चे के आहार में फल, सब्जियां और फाइबर जैसे पौष्टिक आहार शामिल होने चाहिए
- नियमित बाहरी गतिविधियों और व्यायाम को प्रोत्साहित करें
- किसी भी समस्या का समय पर पता लगाने के लिए वार्षिक स्वास्थ्य जांच की जानी चाहिए
- स्क्रीन पर बिताए जाने वाले समय को सीमित करें और अपने बच्चे को तनाव मुक्त वातावरण दें
(डिस्क्लेमर: इस रिपोर्ट में आपको दी गई सभी स्वास्थ्य और जीवन शैली संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी सामान्य जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान करते हैं. इस विधि या प्रक्रिया का पालन करने से पहले आपको यह जानना चाहिए विवरण और अपने निजी चिकित्सक से परामर्श लें.)