नई दिल्लीः दिल्ली में फुटपाथ पर चाय बेचने वाला एक साधारण सा आदमी आज फाइव स्टार होटल शांग्रीला में टी कंसल्टेंट के पद पर कार्यरत है. यह कहानी लक्ष्मण राव की है, जिन्होंने 40 साल की उम्र में 12वीं, इसके बाद 50 की उम्र में बीए व 63 साल की उम्र में एमए की पढाई की. उन्होंने शिक्षा को अपना हथियार बनाकर जिंदगी की जंग जीती और दुनिया के सामने मिसाल पेश की. उनकी कहानी इस बात का सबूत है कि शिक्षा न केवल व्यक्ति को ज्ञान देती है, बल्कि उसे सम्मान और सफलता के शिखर तक पहुंचाती है.
संघर्ष से हुई शुरुआत और फिर सपनों की उड़ानः महाराष्ट्र के अमरावती जिले के एक छोटे से गांव में 1952 में जन्मे लक्ष्मण राव का बचपन आर्थिक तंगी में बीता. 10वीं पास करने के बाद परिवार की जिम्मेदारी ने उन्हें पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर कर दिया. उन्होंने अमरावती के एक मिल में मजदूरी की, लेकिन मिल बंद होने के बाद 1975 में दिल्ली आ गए. यहां उन्होंने होटलों में बर्तन धोने से लेकर मजदूरी तक का काम किया. बाद में उन्होंने आईटीओ स्थित विष्णु दिगंबर मार्ग पर फुटपाथ पर चाय और पान की दुकान खोल ली.
फुटपाथ से फाइव स्टार होटल तक का सफरः लक्ष्मण राव का कहना है कि उन्होंने चाय बेचते हुए पढ़ाई जारी रखा. हांगकांग में प्रकाशित उनका एक आर्टिकल पढ़कर शांग्रीला होटल के वाइस प्रेसिडेंट प्रभावित हुए और उन्होंने दिल्ली स्थित शांग्रीला होटल के अधिकारियों को उनसे मिलने भेजा. शुरुआत में लक्ष्मण राव ने तीन बार नौकरी ठुकरा दी, लेकिन चौथी बार वे मान गए और आज वे शांग्रीला होटल में सम्मानित टी कंसलटेंट के पद पर कार्यरत हैं. जहां उनका सभी सम्मान करते हैं.
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शिक्षा किसी भी उंचाई पर पहुंचा सकती हैः लक्ष्मण राव का कहना है कि शिक्षा व्यक्ति को आत्मसम्मान और पहचान देती है. अगर उन्होंने 40 साल की उम्र में पढ़ाई न शुरू की होती, तो शायद वे आज फाइव स्टार होटल में न होते. वे कहते हैं कि पढ़ाई के लिए कभी देर नहीं होती. उनका संदेश है कि "अगर आप जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं, तो शिक्षा को गले लगाइए. ये आपको दुनिया में कहीं भी और किसी भी ऊंचाई तक ले जा सकती है. जो उम्र, आर्थिक तंगी या समाज के तानों के कारण पढ़ाई नहीं कर पाते हैं. लक्ष्मण राव कहते हैं कि मेरे संघर्ष व सफलता को देखकर कई लोगों ने पढ़ाई शुरू की और वे आज बेहतर जिंदगी जी रहे हैं. भारत में शिक्षा व्यवस्था को और मजबूत बनाया जाए, जिससे बच्चों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके.

नेता बनने के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता ज़रूरी: लक्ष्मण राव कहते हैं कि अगर नेता बनने के लिए भी न्यूनतम शैक्षिक योग्यता तय हो, तो समाज और देश दोनों की सोच बदल सकती है." लक्ष्मण राव ने न केवल खुद को बदला, बल्कि अपने परिवार को भी एक नई दिशा दी है. उन्होंने चाय की दुकान चलाकर दोनों बेटों को एमबीए कराया. दोनों बेटे आज बैंक में नौकरी कर रहे हैं. उनके रिश्तेदार भी उनकी सफलता से प्रभावित होकर अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.
लक्ष्मण राव की यह कहानी ये सीख देती है कि संघर्ष चाहे जितना भी बड़ा हो, अगर आपके पास शिक्षा का हथियार है, तो आप किसी भी मुश्किल को हरा सकते हैं. इसके साथ ही "पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती, सपने देखिए और उन्हें शिक्षा के पंखों से उड़ान दीजिए."