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तेलंगाना सुरंग हादसा: बचाव अभियान जारी, नहीं मिल रही सफलता, फंसे 8 लोगों के बचने की उम्मीद कम - TELANGANA TUNNEL COLLAPSE

तेलंगाना सुरंग हादसे में फंसे 8 लोगों तक पहुंचने में अभी और वक्त लगेगा. पानी, कीचड़ निकालने का काम युद्ध स्तर पर जारी है.

Telangana tunnel collapse Rescue ops
तेलंगाना सुरंग हादसे के बाद बचाव अभियान जारी (PTI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 25, 2025, 10:51 AM IST

हैदराबाद: श्रीशैलम सुरंग नहर परियोजना के निर्माणाधीन टनल की छत का कुछ हिस्सा ढहने की घटना के तीन दीन बाद इसमें फंसे हुए 8 लोगों की बचने की संभावना बहुत कम दिख रही है. हालांकि उन तक पहुंचने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं.

तेलंगाना के टनल हादसे में फंसे लोगों को बचाने के लिए देश के लिए अब उत्तराखंड के सिलक्यारा बेंड बरकोट सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने वाले रैट माइनर्स की टीम को इस अभियान में लगाया गया है. वहीं, सेना, नौसेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य एजेंसियों के अथक प्रयासों के बावजूद बचाव अभियान में अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है. बचाव दल का दुर्घटना स्थल तक पहुंचना संभव नहीं हो पा रहा है.

बता दें कि शनिवार की सुबह तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) परियोजना में सुरंग का एक हिस्सा अचानक ढह गया. इस दौरान वहां काम करने वाले कई मजदूरों को बचा लिया गया जबकि 8 मजदूर इसमें फंस गए. पीटीआई के अनुसार सेना, नौसेना, सिंगरेनी कोलियरीज और अन्य एजेंसियों के 584 कुशल कर्मियों की टीम ने एनडीआरएफ, एसडीआरएफ टीमों के साथ मिलकर सात बार सुरंग का निरीक्षण किया.

तेलंगाना सुरंग हादसे के बाद बचाव अभियान जारी (PTI)

उन्होंने बताया कि लोहे की छड़ को काटने के लिए गैस कटर लगातार काम कर रहे हैं. सुरंग के अंदर मौजूद लोगों का पता लगाने के लिए खोजी कुत्तों को भी बुलाया गया. हालांकि, पानी की मौजूदगी के कारण वे आगे नहीं बढ़ पाए.

राजनीतिक विवाद शुरू

इस घटना ने राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है. बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव ने सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी पर निशाना साधते हुए कहा कि एमएलसी चुनाव प्रचार में सक्रिय रूप से भाग लेने वाले सीएम के पास दुर्घटना स्थल पर जाने का समय नहीं है.

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सड़क एवं भवन मंत्री कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी ने दावा किया कि विपक्षी नेता सिरसिला नहीं गए, जहां कालेश्वरम परियोजना के कारण सात लोगों की मौत हो गई. मंत्री ने कहा कि उनके दो कैबिनेट सहयोगी बचाव कार्यों की देखरेख के लिए सुरंग स्थल पर मौजूद थे.

मंत्री बोले- सुरंग में फंसे लोगों के बचने की संभावना 'बहुत कम'

मंत्री जुपल्ली कृष्ण राव ने सोमवार को कहा कि सुरंग में फंसे लोगों बचने की संभावना 'बहुत कम' है. फंसे हुए लोगों को बचाने में कम से कम तीन से चार दिन लगेंगे, क्योंकि दुर्घटना स्थल कीचड़ और मलबे से भरा हुआ है. इससे बचावकर्मियों के लिए यह एक कठिन काम बन गया है.

तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को फंसे हुए लोगों को बचाने के प्रयासों में कोई कसर नहीं छोड़ने का निर्देश दिया है जबकि सेना, नौसेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य एजेंसियों के साथ रैट माइनर्स की एक टीम बचाव अभियान में शामिल हो गई है.

मंत्री कृष्णा राव ने पीटीआई से कहा, 'ईमानदारी से कहूं तो उनके बचने की संभावना बहुत कम है क्योंकि मैं खुद अंत तक गया था. दुर्घटना स्थल से करीब 50 मीटर दूर था. हमने तस्वीरें लीं इसमें सुरंग का अंत दिखाई दे रहा था. सुरंग के 9 मीटर व्यास में से लगभग 25 फीट तक कीचड़ जमा हो गया है.'

उन्होंने कहा, 'फंसे लोगों के नाम भी पुकारे तो कोई जवाब नहीं मिला. इसलिए, ऐसा लगता है कि बचने की कोई संभावना नहीं है.' सुरंग में फंसे लोगों की पहचान उत्तर प्रदेश के मनोज कुमार और श्री निवास, जम्मू-कश्मीर के सनी सिंह, पंजाब के गुरप्रीत सिंह और झारखंड के संदीप साहू, जेगता जेस, संतोष साहू और अनुज साहू के रूप में हुई है.

आठ लोगों में से दो इंजीनियर, दो ऑपरेटर और चार मजदूर हैं. कृष्ण राव ने कहा कि कई मशीनों की मदद से मलबा हटाने का काम चल रहा है. उनके अनुसार, सुरंग खोदने वाली मशीन (टीबीएम), जिसका वजन कुछ सौ टन है, ढहने के बाद और पानी के तेज बहाव के कारण लगभग 200 मीटर दूर तक बह गई.

उन्होंने कहा, 'यहां तक ​​कि अगर यह मान भी लिया जाए कि वे (फंसे हुए लोग) टीबीएम मशीन के निचले हिस्से में हैं, और अगर यह ऊपर भी सही सलामत हैं तो हवा (ऑक्सीजन) कहां है? नीचे ऑक्सीजन कैसे जाएगी? हालांकि ऑक्सीजन की पंपिंग और पानी निकालने का काम लगातार किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें- तेलंगाना सुरंग हादसा: युद्धस्तर पर बचाव अभियान जारी, शाम तक फंसे लोगों तक पहुंचने की उम्मीद

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तेलंगाना के टनल हादसे में फंसे लोगों को बचाने के लिए देश के लिए अब उत्तराखंड के सिलक्यारा बेंड बरकोट सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने वाले रैट माइनर्स की टीम को इस अभियान में लगाया गया है. वहीं, सेना, नौसेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य एजेंसियों के अथक प्रयासों के बावजूद बचाव अभियान में अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है. बचाव दल का दुर्घटना स्थल तक पहुंचना संभव नहीं हो पा रहा है.

बता दें कि शनिवार की सुबह तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) परियोजना में सुरंग का एक हिस्सा अचानक ढह गया. इस दौरान वहां काम करने वाले कई मजदूरों को बचा लिया गया जबकि 8 मजदूर इसमें फंस गए. पीटीआई के अनुसार सेना, नौसेना, सिंगरेनी कोलियरीज और अन्य एजेंसियों के 584 कुशल कर्मियों की टीम ने एनडीआरएफ, एसडीआरएफ टीमों के साथ मिलकर सात बार सुरंग का निरीक्षण किया.

तेलंगाना सुरंग हादसे के बाद बचाव अभियान जारी (PTI)

उन्होंने बताया कि लोहे की छड़ को काटने के लिए गैस कटर लगातार काम कर रहे हैं. सुरंग के अंदर मौजूद लोगों का पता लगाने के लिए खोजी कुत्तों को भी बुलाया गया. हालांकि, पानी की मौजूदगी के कारण वे आगे नहीं बढ़ पाए.

राजनीतिक विवाद शुरू

इस घटना ने राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है. बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव ने सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी पर निशाना साधते हुए कहा कि एमएलसी चुनाव प्रचार में सक्रिय रूप से भाग लेने वाले सीएम के पास दुर्घटना स्थल पर जाने का समय नहीं है.

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सड़क एवं भवन मंत्री कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी ने दावा किया कि विपक्षी नेता सिरसिला नहीं गए, जहां कालेश्वरम परियोजना के कारण सात लोगों की मौत हो गई. मंत्री ने कहा कि उनके दो कैबिनेट सहयोगी बचाव कार्यों की देखरेख के लिए सुरंग स्थल पर मौजूद थे.

मंत्री बोले- सुरंग में फंसे लोगों के बचने की संभावना 'बहुत कम'

मंत्री जुपल्ली कृष्ण राव ने सोमवार को कहा कि सुरंग में फंसे लोगों बचने की संभावना 'बहुत कम' है. फंसे हुए लोगों को बचाने में कम से कम तीन से चार दिन लगेंगे, क्योंकि दुर्घटना स्थल कीचड़ और मलबे से भरा हुआ है. इससे बचावकर्मियों के लिए यह एक कठिन काम बन गया है.

तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को फंसे हुए लोगों को बचाने के प्रयासों में कोई कसर नहीं छोड़ने का निर्देश दिया है जबकि सेना, नौसेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य एजेंसियों के साथ रैट माइनर्स की एक टीम बचाव अभियान में शामिल हो गई है.

मंत्री कृष्णा राव ने पीटीआई से कहा, 'ईमानदारी से कहूं तो उनके बचने की संभावना बहुत कम है क्योंकि मैं खुद अंत तक गया था. दुर्घटना स्थल से करीब 50 मीटर दूर था. हमने तस्वीरें लीं इसमें सुरंग का अंत दिखाई दे रहा था. सुरंग के 9 मीटर व्यास में से लगभग 25 फीट तक कीचड़ जमा हो गया है.'

उन्होंने कहा, 'फंसे लोगों के नाम भी पुकारे तो कोई जवाब नहीं मिला. इसलिए, ऐसा लगता है कि बचने की कोई संभावना नहीं है.' सुरंग में फंसे लोगों की पहचान उत्तर प्रदेश के मनोज कुमार और श्री निवास, जम्मू-कश्मीर के सनी सिंह, पंजाब के गुरप्रीत सिंह और झारखंड के संदीप साहू, जेगता जेस, संतोष साहू और अनुज साहू के रूप में हुई है.

आठ लोगों में से दो इंजीनियर, दो ऑपरेटर और चार मजदूर हैं. कृष्ण राव ने कहा कि कई मशीनों की मदद से मलबा हटाने का काम चल रहा है. उनके अनुसार, सुरंग खोदने वाली मशीन (टीबीएम), जिसका वजन कुछ सौ टन है, ढहने के बाद और पानी के तेज बहाव के कारण लगभग 200 मीटर दूर तक बह गई.

उन्होंने कहा, 'यहां तक ​​कि अगर यह मान भी लिया जाए कि वे (फंसे हुए लोग) टीबीएम मशीन के निचले हिस्से में हैं, और अगर यह ऊपर भी सही सलामत हैं तो हवा (ऑक्सीजन) कहां है? नीचे ऑक्सीजन कैसे जाएगी? हालांकि ऑक्सीजन की पंपिंग और पानी निकालने का काम लगातार किया जा रहा है.

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