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महाराष्ट्र - कर्नाटक सीमा पर क्यों छिड़ा विवाद, जानें असली वजह - BELAGAVI PROTESTS

कर्नाटक के बेलगावी में महाराष्ट्र-कर्नाटक विवाद फिर से सामने आया. यहां पर क्यों होता है बार-बार विवाद, इसे समझें.

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कन्नड़ समर्थक नेताओं ने आज बेलगावी में प्रदर्शन किया. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 25, 2025, 1:49 PM IST

Updated : Feb 25, 2025, 2:35 PM IST

हैदराबाद: बीते सप्ताह महाराष्ट्र और कर्नाटक के सीमावर्ती जिले बेलगावी में एक बार फिर भाषा का विवाद गरमा गया है. महाराष्ट्र की सीमा से लगे कर्नाटक के इस जिले में एक छात्रा और बस कंडक्टर के बीच हुए विवाद ने बड़ा रूप धारण कर लिया. जब छात्रा ने आरोप लगाया कि बस के कंडक्टर ने उसके साथ खराब बर्ताव किया. इसके साथ ही छात्रा ने आरोप लगाया कि बस कंडक्टर ने उसे कन्नड़ में बात करने के लिए कहा, जबकि वह मराठी बोल रही थी. बता दें कि बेलगावी में आमतौर से आबादी मराठी बोलती है. इस जिले के तहत आने वाले कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच सीमा पर कई सौ गांव हैं जहां कन्नड़ और मराठी भाषा को लेकर अक्सर विवाद की घटनाएं मिलती है.

क्या है बस कंडक्टर से जुड़ा ताजा विवाद:

ताजा मामला तब शुरू हुआ जब कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) के एक बस कंडक्टर पर कथित तौर पर हमला किया गया. आरोप है कि दो छात्रों के साथ विवाद के बाद उसने मराठी के बजाय कन्नड़ में बात की. बीते शुक्रवार दोपहर को बेलगावी के एक गांव में हुई यह घटना शनिवार को अंतर-राज्यीय विवाद में बदल गई. इस घटना के बाद कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच बस सेवाएं निलंबित कर दी गईं.

दोनों राज्यों में बंद कर दी गई बस सेवाएं: जहां कर्नाटक ने बेलगावी से महाराष्ट्र के लिए बस संचालन रोक दिया, वहीं महाराष्ट्र ने भी कर्नाटक के लिए सेवाएं बंद कर दीं. दोनों राज्यों के बीच सीमा क्षेत्र कागल तालुक तक ही अपने संचालन को सीमित कर दिया. शनिवार को कर्नाटक के चित्रदुर्ग में एक महाराष्ट्र बस चालक पर हमला किया गया और उसके चेहरे पर कालिख पोत दी गई. जवाबी कार्रवाई में महाराष्ट्र के कोल्हापुर में शिवसेना (यूबीटी) के कार्यकर्ताओं ने कोल्हापुर केंद्रीय बस स्टैंड पर कर्नाटक की एक बस पर पार्टी का झंडा बांध दिया और उसे काला रंग दिया.

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कन्नड़ समर्थक नेताओं ने आज बेलगावी में प्रदर्शन किया. (ETV Bharat)

यहां से शुरू हुआ विवाद: शुक्रवार को, मराठी न बोलने पर बेलगावी में केएसआरटीसी बस कंडक्टर पर हमला करने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया और एक नाबालिग लड़की को हिरासत में लिया गया. नाबालिग द्वारा यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए जवाबी शिकायत दर्ज कराने के बाद, कंडक्टर पर यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया.

यह घटना शुक्रवार दोपहर बेलगावी तालुक के एक गांव में हुई. आरोप है कि 51 वर्षीय केएसआरटीसी कंडक्टर महादेव हुक्केरी पर कथित तौर पर हमला किया गया. वह कॉलेज से घर लौट रहे दो छात्रों के साथ भाषायी बहस में उलझ गया. बताया जा रहा है कि कंडक्टर ने उनसे कन्नड़ में बात करने का अनुरोध किया, यह कहते हुए कि वह मराठी नहीं समझता. इससे बहस और तेज हो गई, जिसके बाद कथित तौर पर उसके साथ मारपीट की गई.

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कन्नड़ समर्थक नेताओं ने आज बेलगावी में प्रदर्शन किया. (ETV Bharat)

कन्नड़ संगठनों ने किया विरोध प्रदर्शन: कन्नड़ संगठनों ने शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने शनिवार को गांव में मार्च निकाला. चित्रदुर्ग में, कर्नाटक नव निर्माण सेना के सदस्यों ने महाराष्ट्र के एक बस कंडक्टर के चेहरे पर कालिख पोत दी और बस की विंडशील्ड को तोड़ दिया.

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करीब सात दशक पूराना है विवाद. (ETV GFX)

लगभग 70 साल पहले पड़ गई थी विवाद की नींव: यह विवाद 1956 में मानचित्र पर रेखाएं खींचने के साथ शुरू हुआ. इसी दौरान भारत में राज्यों को भाषा के आधार पर पुनर्गठित किया गया था. इसने एक संघर्ष को जन्म दिया जो महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच पीढ़ियों तक चलता रहा. जब 1960 में महाराष्ट्र का गठन हुआ, तो इसने एक साहसिक दावा किया- बेलगावी, निपानी और कारवार सहित 865 गांवों को उसके क्षेत्र का हिस्सा होना चाहिए. उनका तर्क सरल था: ये क्षेत्र मुख्य रूप से मराठी भाषी थे, और इसलिए महाराष्ट्र के होने चाहिए. हालांकि, कर्नाटक अपने विरोध में दृढ़ रहा.

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करीब सात दशक पूराना है विवाद. (ETV GFX)

सुप्रीम कोर्ट में लंबित है मामला: 1966 में, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मेहर चंद महाजन की अध्यक्षता में महाजन आयोग की स्थापना करके विवाद को सुलझाने का प्रयास किया. आयोग के फैसले ने बेलगावी के मामले में कर्नाटक का पक्ष लिया, लेकिन एक समझौता प्रस्तावित किया: महाराष्ट्र के 247 गांव (जट्ट, अक्कलकोट और सोलापुर सहित) कर्नाटक में जाने चाहिए, जबकि 264 गांव (निप्पनी, खानपुर और नंदगढ़ सहित) महाराष्ट्र में स्थानांतरित किए जाने चाहिए. महाराष्ट्र ने इस समाधान को सिरे से खारिज कर दिया, यह तर्क देते हुए कि उनकी चिंताओं को पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं किया गया था. 2004 में, महाराष्ट्र ने इस लड़ाई को सुप्रीम कोर्ट में ले जाया, जहां मामला अभी भी लंबित है.

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कन्नड़ समर्थक नेताओं ने आज बेलगावी में प्रदर्शन किया. (ETV Bharat)

दूसरी राजधानी बनाने पर हो चुका है विचार: केंद्र सरकार ने 2010 में, मूल 1956 के सीमा निर्णयों का बचाव करते हुए कहा कि वे न तो मनमाने थे और न ही गलत. हमेशा तनाव बना रहता है पिछले कुछ वर्षों में, विवाद विभिन्न तरीकों से सामने आया है. कर्नाटक ने अपने अधिकार को साबित करने के लिए प्रतीकात्मक कदम उठाए हैं, जैसे बेलगाम का नाम बदलकर बेलगावी करना और वहां सुवर्ण विधान सौधा का निर्माण करना - एक विधान भवन जहां वे वार्षिक सत्र आयोजित करते हैं. उन्होंने इसे अपनी दूसरी राजधानी बनाने पर भी विचार किया है.

महाराष्ट्र सरकार ने कर्नाटक के स्वतंत्रता सेनानियों के लिए की थी घोषणाएं:

उल्लेखनीय रूप से, यह सीमा विवाद प्रत्येक राज्य के भीतर राजनीतिक विभाजन से परे है. राजनीतिक दल, अपने वैचारिक मतभेदों के बावजूद, अपने-अपने राज्य की स्थिति का समर्थन करने के लिए एकजुट होते हैं. हाल के वर्षों में संघर्ष ने नए रूप लिए हैं. 2022 में, तनाव तब बढ़ गया जब महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बेलगावी और कर्नाटक के अन्य मराठी भाषी क्षेत्रों में स्वतंत्रता सेनानियों के लिए कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की. इसने कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को महाराष्ट्र में कन्नड़ स्कूलों के लिए अनुदान के साथ जवाब देने के लिए प्रेरित किया.

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कन्नड़ समर्थक नेताओं ने आज बेलगावी में प्रदर्शन किया. (ETV Bharat)

कर्नाटक सरकार ने किया पलट कर किया दावा, महाराष्ट्र के 40 गांवों को बताया अपना: बोम्मई ने महाराष्ट्र के सांगली जिले के जट्ट तालुक के 40 गांवों और सोलापुर के सीमावर्ती गांवों पर दावा करने की अपनी सरकार की मंशा भी घोषित की. उल्लेखनीय रूप से, दोनों राज्य उस समय भाजपा के शासन में थे. पिछले एक दशक में, इस विवाद के कारण कभी-कभी हिंसा की घटनाएं हुई हैं, जैसे कि हाल ही में भाषा संबंधी मुद्दों पर बस कंडक्टरों पर हमला हुआ. 27 दिसंबर, 2022 को, महाराष्ट्र राज्य विधानसभा ने विवाद पर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया. प्रस्ताव के अनुसार, बेलगाम, निप्पनी, कारवार, बीदर, भालकी और कर्नाटक के सभी मराठी भाषी गांव महाराष्ट्र का अभिन्न अंग हैं.

प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में कानूनी उपायों को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाकर इन क्षेत्रों पर अपने दावे का बचाव करने के लिए प्रतिबद्ध है. दूसरी ओर, कर्नाटक मौजूदा सीमाओं में किसी भी बदलाव का विरोध करता रहा.

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हैदराबाद: बीते सप्ताह महाराष्ट्र और कर्नाटक के सीमावर्ती जिले बेलगावी में एक बार फिर भाषा का विवाद गरमा गया है. महाराष्ट्र की सीमा से लगे कर्नाटक के इस जिले में एक छात्रा और बस कंडक्टर के बीच हुए विवाद ने बड़ा रूप धारण कर लिया. जब छात्रा ने आरोप लगाया कि बस के कंडक्टर ने उसके साथ खराब बर्ताव किया. इसके साथ ही छात्रा ने आरोप लगाया कि बस कंडक्टर ने उसे कन्नड़ में बात करने के लिए कहा, जबकि वह मराठी बोल रही थी. बता दें कि बेलगावी में आमतौर से आबादी मराठी बोलती है. इस जिले के तहत आने वाले कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच सीमा पर कई सौ गांव हैं जहां कन्नड़ और मराठी भाषा को लेकर अक्सर विवाद की घटनाएं मिलती है.

क्या है बस कंडक्टर से जुड़ा ताजा विवाद:

ताजा मामला तब शुरू हुआ जब कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) के एक बस कंडक्टर पर कथित तौर पर हमला किया गया. आरोप है कि दो छात्रों के साथ विवाद के बाद उसने मराठी के बजाय कन्नड़ में बात की. बीते शुक्रवार दोपहर को बेलगावी के एक गांव में हुई यह घटना शनिवार को अंतर-राज्यीय विवाद में बदल गई. इस घटना के बाद कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच बस सेवाएं निलंबित कर दी गईं.

दोनों राज्यों में बंद कर दी गई बस सेवाएं: जहां कर्नाटक ने बेलगावी से महाराष्ट्र के लिए बस संचालन रोक दिया, वहीं महाराष्ट्र ने भी कर्नाटक के लिए सेवाएं बंद कर दीं. दोनों राज्यों के बीच सीमा क्षेत्र कागल तालुक तक ही अपने संचालन को सीमित कर दिया. शनिवार को कर्नाटक के चित्रदुर्ग में एक महाराष्ट्र बस चालक पर हमला किया गया और उसके चेहरे पर कालिख पोत दी गई. जवाबी कार्रवाई में महाराष्ट्र के कोल्हापुर में शिवसेना (यूबीटी) के कार्यकर्ताओं ने कोल्हापुर केंद्रीय बस स्टैंड पर कर्नाटक की एक बस पर पार्टी का झंडा बांध दिया और उसे काला रंग दिया.

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कन्नड़ समर्थक नेताओं ने आज बेलगावी में प्रदर्शन किया. (ETV Bharat)

यहां से शुरू हुआ विवाद: शुक्रवार को, मराठी न बोलने पर बेलगावी में केएसआरटीसी बस कंडक्टर पर हमला करने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया और एक नाबालिग लड़की को हिरासत में लिया गया. नाबालिग द्वारा यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए जवाबी शिकायत दर्ज कराने के बाद, कंडक्टर पर यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया.

यह घटना शुक्रवार दोपहर बेलगावी तालुक के एक गांव में हुई. आरोप है कि 51 वर्षीय केएसआरटीसी कंडक्टर महादेव हुक्केरी पर कथित तौर पर हमला किया गया. वह कॉलेज से घर लौट रहे दो छात्रों के साथ भाषायी बहस में उलझ गया. बताया जा रहा है कि कंडक्टर ने उनसे कन्नड़ में बात करने का अनुरोध किया, यह कहते हुए कि वह मराठी नहीं समझता. इससे बहस और तेज हो गई, जिसके बाद कथित तौर पर उसके साथ मारपीट की गई.

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कन्नड़ समर्थक नेताओं ने आज बेलगावी में प्रदर्शन किया. (ETV Bharat)

कन्नड़ संगठनों ने किया विरोध प्रदर्शन: कन्नड़ संगठनों ने शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने शनिवार को गांव में मार्च निकाला. चित्रदुर्ग में, कर्नाटक नव निर्माण सेना के सदस्यों ने महाराष्ट्र के एक बस कंडक्टर के चेहरे पर कालिख पोत दी और बस की विंडशील्ड को तोड़ दिया.

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करीब सात दशक पूराना है विवाद. (ETV GFX)

लगभग 70 साल पहले पड़ गई थी विवाद की नींव: यह विवाद 1956 में मानचित्र पर रेखाएं खींचने के साथ शुरू हुआ. इसी दौरान भारत में राज्यों को भाषा के आधार पर पुनर्गठित किया गया था. इसने एक संघर्ष को जन्म दिया जो महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच पीढ़ियों तक चलता रहा. जब 1960 में महाराष्ट्र का गठन हुआ, तो इसने एक साहसिक दावा किया- बेलगावी, निपानी और कारवार सहित 865 गांवों को उसके क्षेत्र का हिस्सा होना चाहिए. उनका तर्क सरल था: ये क्षेत्र मुख्य रूप से मराठी भाषी थे, और इसलिए महाराष्ट्र के होने चाहिए. हालांकि, कर्नाटक अपने विरोध में दृढ़ रहा.

BELAGAVI PROTESTS
करीब सात दशक पूराना है विवाद. (ETV GFX)

सुप्रीम कोर्ट में लंबित है मामला: 1966 में, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मेहर चंद महाजन की अध्यक्षता में महाजन आयोग की स्थापना करके विवाद को सुलझाने का प्रयास किया. आयोग के फैसले ने बेलगावी के मामले में कर्नाटक का पक्ष लिया, लेकिन एक समझौता प्रस्तावित किया: महाराष्ट्र के 247 गांव (जट्ट, अक्कलकोट और सोलापुर सहित) कर्नाटक में जाने चाहिए, जबकि 264 गांव (निप्पनी, खानपुर और नंदगढ़ सहित) महाराष्ट्र में स्थानांतरित किए जाने चाहिए. महाराष्ट्र ने इस समाधान को सिरे से खारिज कर दिया, यह तर्क देते हुए कि उनकी चिंताओं को पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं किया गया था. 2004 में, महाराष्ट्र ने इस लड़ाई को सुप्रीम कोर्ट में ले जाया, जहां मामला अभी भी लंबित है.

BELAGAVI PROTESTS
कन्नड़ समर्थक नेताओं ने आज बेलगावी में प्रदर्शन किया. (ETV Bharat)

दूसरी राजधानी बनाने पर हो चुका है विचार: केंद्र सरकार ने 2010 में, मूल 1956 के सीमा निर्णयों का बचाव करते हुए कहा कि वे न तो मनमाने थे और न ही गलत. हमेशा तनाव बना रहता है पिछले कुछ वर्षों में, विवाद विभिन्न तरीकों से सामने आया है. कर्नाटक ने अपने अधिकार को साबित करने के लिए प्रतीकात्मक कदम उठाए हैं, जैसे बेलगाम का नाम बदलकर बेलगावी करना और वहां सुवर्ण विधान सौधा का निर्माण करना - एक विधान भवन जहां वे वार्षिक सत्र आयोजित करते हैं. उन्होंने इसे अपनी दूसरी राजधानी बनाने पर भी विचार किया है.

महाराष्ट्र सरकार ने कर्नाटक के स्वतंत्रता सेनानियों के लिए की थी घोषणाएं:

उल्लेखनीय रूप से, यह सीमा विवाद प्रत्येक राज्य के भीतर राजनीतिक विभाजन से परे है. राजनीतिक दल, अपने वैचारिक मतभेदों के बावजूद, अपने-अपने राज्य की स्थिति का समर्थन करने के लिए एकजुट होते हैं. हाल के वर्षों में संघर्ष ने नए रूप लिए हैं. 2022 में, तनाव तब बढ़ गया जब महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बेलगावी और कर्नाटक के अन्य मराठी भाषी क्षेत्रों में स्वतंत्रता सेनानियों के लिए कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की. इसने कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को महाराष्ट्र में कन्नड़ स्कूलों के लिए अनुदान के साथ जवाब देने के लिए प्रेरित किया.

BELAGAVI PROTESTS
कन्नड़ समर्थक नेताओं ने आज बेलगावी में प्रदर्शन किया. (ETV Bharat)

कर्नाटक सरकार ने किया पलट कर किया दावा, महाराष्ट्र के 40 गांवों को बताया अपना: बोम्मई ने महाराष्ट्र के सांगली जिले के जट्ट तालुक के 40 गांवों और सोलापुर के सीमावर्ती गांवों पर दावा करने की अपनी सरकार की मंशा भी घोषित की. उल्लेखनीय रूप से, दोनों राज्य उस समय भाजपा के शासन में थे. पिछले एक दशक में, इस विवाद के कारण कभी-कभी हिंसा की घटनाएं हुई हैं, जैसे कि हाल ही में भाषा संबंधी मुद्दों पर बस कंडक्टरों पर हमला हुआ. 27 दिसंबर, 2022 को, महाराष्ट्र राज्य विधानसभा ने विवाद पर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया. प्रस्ताव के अनुसार, बेलगाम, निप्पनी, कारवार, बीदर, भालकी और कर्नाटक के सभी मराठी भाषी गांव महाराष्ट्र का अभिन्न अंग हैं.

प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में कानूनी उपायों को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाकर इन क्षेत्रों पर अपने दावे का बचाव करने के लिए प्रतिबद्ध है. दूसरी ओर, कर्नाटक मौजूदा सीमाओं में किसी भी बदलाव का विरोध करता रहा.

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Last Updated : Feb 25, 2025, 2:35 PM IST
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