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भारत सरकार द्वारा लिथियम और रेयर अर्थ मिनरल आधारित वैकल्पिक ऊर्जा परियोजना के लिए विभावि का हुआ चयन, शोध के लिए 10 करोड़ रुपए - VINOBA BHAVE UNIVERSITY

लिथियम और रेयर अर्थ मिनरल आधारित वैकल्पिक ऊर्जा परियोजना के लिए भारत सरकार ने विनोबा भावे विश्वविद्यालय का चयन किया है.

Vinoba Bhave University
विनोबा भावे विश्वविद्यालय (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 11, 2025, 5:40 PM IST

हजारीबाग: विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर की वैकल्पिक ऊर्जा परियोजना में अनुसंधान के लिए चुना गया है. यह जानकारी देते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर पवन कुमार पोद्दार ने बताया कि वर्तमान युग में जहां एक ओर जीवाश्म ईंधन पेट्रोलियम के भंडार कम होते जा रहे हैं, वहीं इससे होने वाले प्रदूषण ने भी दुनिया को वैकल्पिक ऊर्जा के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया है.

उन्होंने कहा कि वैकल्पिक ऊर्जा के रूप में लिथियम और रेयर अर्थ एलिमेंट्स जैसे क्रिटिकल मिनरल पर आधारित ऊर्जा का युग आने वाला है. भारत और खासकर झारखंड में लिथियम और यर अर्थ एलिमेंट्स के भंडार की सूचना है. कुलपति ने कहा कि इस पर आगे के अनुसंधान के लिए आईआईटी आईएसएम के साथ विनोबा भावे विश्वविद्यालय को चुनना बहुत गर्व की बात है. यह एक क्रांतिकारी पहल है और भारत के साथ-साथ पूरी विश्व मानवता के हित में है.

कुलपति ने कहा कि इस संबंध में उन्होंने आईएसएम में अपने एक मित्र के प्रस्ताव को तुरंत स्वीकार कर लिया और इस कार्य को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी विनोबा भावे विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय के डीन और भूविज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ एच एन सिन्हा को दी. डॉ. सिन्हा से बातचीत के बाद आईएसएम आईआईटी के अधिकारी इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने तुरंत विनोबा भावे विश्वविद्यालय के नाम की अनुशंसा कर दी, जिसे भारत सरकार ने मंजूरी दे दी है. कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय को इस योजना से जोड़ने में डॉ. सिन्हा की भूमिका और उनके शोध कार्यों को देखते हुए डॉ. एचएन सिन्हा को प्रधान शोधकर्ता नियुक्त किया गया है.

डॉ. एचएन सिंह ने बताया कि इस शोध के लिए विश्वविद्यालय को शुरुआती चरण में 10 करोड़ रुपये मिलेंगे. इसके लिए 15 जनवरी तक प्रस्ताव प्रस्तुत करना है. बड़ी बात यह है कि विनोबा भावे विश्वविद्यालय को भविष्य की ऊर्जा निर्धारित करने के लिए भारत में चलाए जा रहे अभियान का अभिन्न अंग बनने का गौरव प्राप्त हुआ है. उन्होंने बताया कि भारत के अन्य आईआईटी के साथ-साथ धनबाद स्थित आईएसएम आईआईटी को भी इसका हब बनाया गया है. इसके तहत विनोबा भावे को एसपीआईके इकाई के रूप में चुना गया है.

डॉ. एचएन सिन्हा के अधीन दो सह-शोधकर्ता होंगे. वीबीयू के भौतिकी विभाग के डॉ. नवीन चंद्रा और आईएसएम आईआईटी धनबाद के प्रोफेसर शैलेंद्र सिंह को सह-प्रधान शोधकर्ता के रूप में चुना गया है. उल्लेखनीय है कि डॉ. नवीन चंद्रा का चयन उनके इलेक्ट्रॉनिक्स संबंधी शोध और प्रतिष्ठित शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित लेखों के आधार पर किया गया है.

हजारीबाग: विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर की वैकल्पिक ऊर्जा परियोजना में अनुसंधान के लिए चुना गया है. यह जानकारी देते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर पवन कुमार पोद्दार ने बताया कि वर्तमान युग में जहां एक ओर जीवाश्म ईंधन पेट्रोलियम के भंडार कम होते जा रहे हैं, वहीं इससे होने वाले प्रदूषण ने भी दुनिया को वैकल्पिक ऊर्जा के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया है.

उन्होंने कहा कि वैकल्पिक ऊर्जा के रूप में लिथियम और रेयर अर्थ एलिमेंट्स जैसे क्रिटिकल मिनरल पर आधारित ऊर्जा का युग आने वाला है. भारत और खासकर झारखंड में लिथियम और यर अर्थ एलिमेंट्स के भंडार की सूचना है. कुलपति ने कहा कि इस पर आगे के अनुसंधान के लिए आईआईटी आईएसएम के साथ विनोबा भावे विश्वविद्यालय को चुनना बहुत गर्व की बात है. यह एक क्रांतिकारी पहल है और भारत के साथ-साथ पूरी विश्व मानवता के हित में है.

कुलपति ने कहा कि इस संबंध में उन्होंने आईएसएम में अपने एक मित्र के प्रस्ताव को तुरंत स्वीकार कर लिया और इस कार्य को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी विनोबा भावे विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय के डीन और भूविज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ एच एन सिन्हा को दी. डॉ. सिन्हा से बातचीत के बाद आईएसएम आईआईटी के अधिकारी इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने तुरंत विनोबा भावे विश्वविद्यालय के नाम की अनुशंसा कर दी, जिसे भारत सरकार ने मंजूरी दे दी है. कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय को इस योजना से जोड़ने में डॉ. सिन्हा की भूमिका और उनके शोध कार्यों को देखते हुए डॉ. एचएन सिन्हा को प्रधान शोधकर्ता नियुक्त किया गया है.

डॉ. एचएन सिंह ने बताया कि इस शोध के लिए विश्वविद्यालय को शुरुआती चरण में 10 करोड़ रुपये मिलेंगे. इसके लिए 15 जनवरी तक प्रस्ताव प्रस्तुत करना है. बड़ी बात यह है कि विनोबा भावे विश्वविद्यालय को भविष्य की ऊर्जा निर्धारित करने के लिए भारत में चलाए जा रहे अभियान का अभिन्न अंग बनने का गौरव प्राप्त हुआ है. उन्होंने बताया कि भारत के अन्य आईआईटी के साथ-साथ धनबाद स्थित आईएसएम आईआईटी को भी इसका हब बनाया गया है. इसके तहत विनोबा भावे को एसपीआईके इकाई के रूप में चुना गया है.

डॉ. एचएन सिन्हा के अधीन दो सह-शोधकर्ता होंगे. वीबीयू के भौतिकी विभाग के डॉ. नवीन चंद्रा और आईएसएम आईआईटी धनबाद के प्रोफेसर शैलेंद्र सिंह को सह-प्रधान शोधकर्ता के रूप में चुना गया है. उल्लेखनीय है कि डॉ. नवीन चंद्रा का चयन उनके इलेक्ट्रॉनिक्स संबंधी शोध और प्रतिष्ठित शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित लेखों के आधार पर किया गया है.

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