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अवर अभियंता को पांच साल की जेल, विजिलेंस कोर्ट ने सुनाई सजा, ठेकेदार से रिश्वत लेते हुआ था अरेस्ट - junior engineer imprisonment

Haridwar bribery case, Vigilance court 25 हजार रुपए की रिश्वत देते हुए गिरफ्तार किए गए अवर अभियंता को विजिलेंस कोर्ट ने 5 साल की सजा सुनाई है. इसके अलावा कोर्ट ने दोषी अवर अभियंता पर 25 हजार रुपए का अतिरिक्त जुर्माना भी लगाया है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 31, 2024, 8:08 PM IST

देहरादून: साल 2010 में हरिद्वार से रिश्वत मामले में गिरफ्तार किए गए अवर अभियंता को आज 31 अगस्त शनिवार को कोर्ट ने दोषी माना है. विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम गढ़वाल परिक्षेत्र मनीष मिश्रा की कोर्ट ने दोषी अवर अभियंता को 5 साल का कठोर कारावास और 25 हजार का जुर्माना भी लगाया है. इसके अलावा कोर्ट ने दोषी पर धारा 13 (1) डी तहत 5 साल का सक्षम कारावास और 25000 का अलग से जुर्माना भी लगाया है.

जानकारी के मुताबिक 16 जुलाई 2010 को एक व्यक्ति ने सतर्कता सेक्टर देहरादून में शिकायत दर्ज कराई थी. पीड़ित ने अपनी शिकायत में विजिलेंस को बताया था कि वह डी श्रेणी का ठेकेदार है. उससे फायर स्टेशन सिडकुल हरिद्वार के निर्माण और सुधार कार्य के भुगतान के अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रदान करने की एवज में परीक्षेत्रीय अवर अभियंता सुधाकर त्रिपाठी ने 25000 रुपए की मांग की है.

पीड़ित की शिकायत के आधार पर सतर्कता अधिष्ठान सेक्टर देहरादून की ट्रैप टीम ने नियम के अनुसार अग्रिम कार्रवाई करते हुए अवर अभियंता सुधाकर त्रिपाठी को 17 जुलाई 2010 को पीड़ित से 25000 की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया था. इसके बाद विजिलेंस की टीम ने आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत मुकदमा दर्ज कर चार्जशीट न्यायालय में दाखिल की गई थी.

आज विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम गढ़वाल परिक्षेत्र मनीष मिश्रा ने आरोपी सुधाकर त्रिपाठी को दोषी पाते हुए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में 5 साल का कठोर कारावास और 25000 रुपए का अर्थ दंड सुनाया गया. साथ ही धारा 13(1) डी के तहत 5 साल का सक्षम कारावास और 25000 रुपए का अर्थ दंड सुनाया गया.

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