ETV Bharat / state

उपेक्षित है टिहरी के पलेठी का प्राचीन सूर्य मंदिर, राजा कल्याण बर्मन से जुड़ी कहानी - SUN TEMPLE IN TEHRI GARHWAL

पलेठी गांव में स्थित है भगवान सूर्य का प्राचीन मंदिर. राजा कल्याण बर्मन के लेख अभी भी मौजूद.

SUN TEMPLE IN TEHRI
टिहरी का सूर्य मंदिर (photo- ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 22, 2025, 4:54 PM IST

Updated : Jan 22, 2025, 5:33 PM IST

टिहरी: हिंडोलाखाल विकासखंड मुख्यालय से पांच किमी दूर वनगढ़ क्षेत्र के पलेठी गांव में प्राचीन सूर्य मंदिर स्थित है. इस सूर्य मंदिर का मुख्य द्वार पूर्व की ओर स्थित है. मंदिर में शिलापट्ट पर राजा कल्याण बर्मन और आदि बर्मन का लेख मौजूद है, जिसे उत्तर गुप्त (ब्राह्मी) लिपि में लिखा गया है. आज ये मंदिर प्रचार-प्रसार के अभाव में अपना अस्तिव खो रहा है.

12वीं सदी में बना था गुजरात का मोढेरा सूर्य मंदिर: बता दें कि भारत के प्रसिद्ध सूर्य मंदिरों में से गुजरात का मोढेरा सूर्य मंदिर, ओडिशा का कोणार्क सूर्य मंदिर और अल्मोड़ा के कटारमल सूर्य मंदिर 12वीं सदी के आसपास बने हुए हैं. इन मंदिरों को देखने के लिए देश के कोने-कोने से सैलानी पहुंचते हैं और भगवान भास्कर के दर्शन करते हैं.

मंदिर फांसणा शैली में बना हुआ है: उत्तर गुप्त लिपि छठी और सातवीं शताब्दी में प्रचलित थी. पलेठी का शिलालेख उत्तराखंड के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, लेकिन यह धरोहर नष्ट होती जा रही है. मंदिर में मिले लेख की लिपि के आधार पर पलेठी सूर्य मंदिर के निर्माण का समय 675 से 700 ईस्वी के मध्य का माना गया है. मंदिर फांसणा शैली में बना है और इसके प्रवेश द्वार के ऊपर सात घोड़ों के रथ पर सवार सूर्यदेव की पत्थर से निर्मित भव्य प्रतिमा विराजमान है.

मंदिर की कुल ऊंचाई 7.50 मीटर है: बता दें कि मंदिर के शिखर का निर्माण 12 क्षैतिज पत्थर की पट्टियों से हुआ है और मंदिर की कुल ऊंचाई 7.50 मीटर है. मंदिर में सूर्यदेव की पत्थर से बनी 1.2 मीटर ऊंची दो प्रतिमाएं हैं. इस सूर्य मंदिर के रखरखाव में कमी के कारण यहां स्थित गणेश और पार्वती के मंदिर ध्वस्त हो चुके हैं. सूर्य, गंगा, यमुना, पार्वती और गणेश की मूर्तियां खुले में पड़ी हैं.

उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार और खासकर टिहरी पर अध्ययन कर चुके राजीव में बहुगुणा कहते हैं कि-

मैं यह नहीं कह सकता कि यह देश का पहला सूर्य मंदिर है. क्योंकि हिमालय या उत्तराखंड में शंकराचार्य के साथ और शंकराचार्य के बाद यहां पर लोग आए हैं. यानी आप कह सकते हैं यहां के मंदिर 1000 साल प्राचीन हैं, इसमें कोई दो राय नहीं है. उससे पहले यहां पर आदिवासी रहा करते थे. आदिवासियों का मंदिर मस्जिद से कोई लेना-देना नहीं था. टिहरी में जो भी मंदिर है, वह ऐतिहासिक है, प्राचीन है, लेकिन यह कह देना यह मान लेना कि यह देश का पहला सूर्य मंदिर है यह सही नहीं है.
-राजीव नयन बहुगुणा, वरिष्ठ पत्रकार और उत्तराखंड के जानकार-

ये भी पढ़ें-

टिहरी: हिंडोलाखाल विकासखंड मुख्यालय से पांच किमी दूर वनगढ़ क्षेत्र के पलेठी गांव में प्राचीन सूर्य मंदिर स्थित है. इस सूर्य मंदिर का मुख्य द्वार पूर्व की ओर स्थित है. मंदिर में शिलापट्ट पर राजा कल्याण बर्मन और आदि बर्मन का लेख मौजूद है, जिसे उत्तर गुप्त (ब्राह्मी) लिपि में लिखा गया है. आज ये मंदिर प्रचार-प्रसार के अभाव में अपना अस्तिव खो रहा है.

12वीं सदी में बना था गुजरात का मोढेरा सूर्य मंदिर: बता दें कि भारत के प्रसिद्ध सूर्य मंदिरों में से गुजरात का मोढेरा सूर्य मंदिर, ओडिशा का कोणार्क सूर्य मंदिर और अल्मोड़ा के कटारमल सूर्य मंदिर 12वीं सदी के आसपास बने हुए हैं. इन मंदिरों को देखने के लिए देश के कोने-कोने से सैलानी पहुंचते हैं और भगवान भास्कर के दर्शन करते हैं.

मंदिर फांसणा शैली में बना हुआ है: उत्तर गुप्त लिपि छठी और सातवीं शताब्दी में प्रचलित थी. पलेठी का शिलालेख उत्तराखंड के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, लेकिन यह धरोहर नष्ट होती जा रही है. मंदिर में मिले लेख की लिपि के आधार पर पलेठी सूर्य मंदिर के निर्माण का समय 675 से 700 ईस्वी के मध्य का माना गया है. मंदिर फांसणा शैली में बना है और इसके प्रवेश द्वार के ऊपर सात घोड़ों के रथ पर सवार सूर्यदेव की पत्थर से निर्मित भव्य प्रतिमा विराजमान है.

मंदिर की कुल ऊंचाई 7.50 मीटर है: बता दें कि मंदिर के शिखर का निर्माण 12 क्षैतिज पत्थर की पट्टियों से हुआ है और मंदिर की कुल ऊंचाई 7.50 मीटर है. मंदिर में सूर्यदेव की पत्थर से बनी 1.2 मीटर ऊंची दो प्रतिमाएं हैं. इस सूर्य मंदिर के रखरखाव में कमी के कारण यहां स्थित गणेश और पार्वती के मंदिर ध्वस्त हो चुके हैं. सूर्य, गंगा, यमुना, पार्वती और गणेश की मूर्तियां खुले में पड़ी हैं.

उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार और खासकर टिहरी पर अध्ययन कर चुके राजीव में बहुगुणा कहते हैं कि-

मैं यह नहीं कह सकता कि यह देश का पहला सूर्य मंदिर है. क्योंकि हिमालय या उत्तराखंड में शंकराचार्य के साथ और शंकराचार्य के बाद यहां पर लोग आए हैं. यानी आप कह सकते हैं यहां के मंदिर 1000 साल प्राचीन हैं, इसमें कोई दो राय नहीं है. उससे पहले यहां पर आदिवासी रहा करते थे. आदिवासियों का मंदिर मस्जिद से कोई लेना-देना नहीं था. टिहरी में जो भी मंदिर है, वह ऐतिहासिक है, प्राचीन है, लेकिन यह कह देना यह मान लेना कि यह देश का पहला सूर्य मंदिर है यह सही नहीं है.
-राजीव नयन बहुगुणा, वरिष्ठ पत्रकार और उत्तराखंड के जानकार-

ये भी पढ़ें-

Last Updated : Jan 22, 2025, 5:33 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.