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मातृभाषा बोलने से नहीं रोक सकता कोई शिक्षण संस्थान, बाल संरक्षण आयोग ने शिक्षा विभाग दिए ये सुझाव - Uttarakhand Education Department - UTTARAKHAND EDUCATION DEPARTMENT

Uttarakhand Child Protection Commission उत्तराखंड में छात्रों में चरित्र निर्माण और सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग ने कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं. जिससे छात्रों का चरित्र निर्माण हो सके.

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निदेशालय माध्यमिक शिक्षा उत्तराखंड (Photo-Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 28, 2024, 6:45 AM IST

बाल संरक्षण आयोग ने शिक्षा विभाग दिए कई सुझाव (Video-ETV Bharat)

देहरादून: उत्तराखंड के विद्यालयों में छात्रों के चरित्र निर्माण और सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखने के लिए बाल संरक्षण आयोग ने शिक्षा विभाग को कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं. इसमें एक तरफ किसी भी विद्यालय में मातृभाषा बोलने से ना रोकने की सिफारिश की गई है. वहीं स्कूल, मदरसे या बाकी शैक्षणिक संस्थान में सांस्कृतिक विरासत को जानने के लिए महापुरुषों की जयंती अनिवार्य रूप से मनाने के सुझाव दिए गए. इस दौरान भारत माता और मां सरस्वती की प्रतिमा को भी विद्यालयों में लगाए जाने के सुझाव शिक्षा विभाग को मिले हैं.

उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग ने छात्रों में चरित्र निर्माण के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं. बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष गीता खन्ना के अनुसार स्कूली छात्रों के लिए चरित्र निर्माण और सांस्कृतिक विरासत को जानना बेहद जरूरी है, छात्र धीरे-धीरे न केवल अपनी संस्कृति से दूर हो रहे हैं बल्कि चरित्र निर्माण की दिशा में भी उनका सही तौर पर विकास नहीं हो पा रहा है. देश के महापुरुषों की जानकारी की बात हो या अपने उत्सवों को मनाने का उत्साह इन सभी चीजों में छात्र अपनी रुचि खत्म कर रहे हैं.

ऐसे में विद्यालयों की यह जिम्मेदारी बन जाती है कि छात्रों को इस दिशा में भी सही मार्गदर्शन दें.बाल संरक्षण आयोग ने उत्तराखंड शिक्षा विभाग को इसके लिए विशेष प्रयास करने के लिए कहा है और कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए हैं. इस तरफ आयोग की तरफ से यह स्पष्ट किया गया है कि किसी भी विद्यालय में छात्र को उसकी मातृभाषा बोलने से ना रोका जाए, इतना ही नहीं छात्रों को महापुरुषों की जानकारी हो और अपने इतिहास के बारे में पता रहे. इसके लिए तमाम महापुरुषों की जयंती के साथ उनके बारे में भी छात्रों को बताया जाए.

छात्रों के सांस्कृतिक विकास के लिए तमाम उत्सवों को पूरे उत्साह के साथ छात्रों को मनाना चाहिए जो हमारी विरासत से जुड़े हैं.उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग ने शिक्षण विभाग को सुझाव देते हुए कहा कि विद्यालयों, मदरसों और दूसरे शिक्षण संस्थानों को भी इसके लिए प्रेरित किया जाए. इस दौरान विद्यालय में महापुरुषों की प्रतिमा के साथ भारत मां और सरस्वती मां की प्रतिमा भी लगाने के सुझाव दिए गए हैं.

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