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जोधपुर के सरकारी स्कूल में डेढ़ साल से मोबाइल का उपयोग है बंद - mobile ban in jodhpur

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के स्कूलों में मोबाइल पर रोक के आदेश से जहां शिक्षा जगत में बवाल मचा हुआ है, वहीं जोधपुर के एक स्कूल में पहले से ही मोबाइल फोन पर प्रतिबंध है. स्कूल प्राचार्य ने डेढ़ साल से मोबाइल पर बैन लगा रखा है. सारे शिक्षक इस आदेश की पालना कर रहे हैं.

Use of mobile has been banned in Jodhpur's government school for one and a half years.
जोधपुर के सरकारी स्कूल में डेढ़ साल से मोबाइल का उपयोग है बंद (photo etv bharat jodhpur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 9, 2024, 4:03 PM IST

जोधपुर के सरकारी स्कूल में डेढ़ साल से मोबाइल का उपयोग है बंद (video etv bharat jodhpur)

जोधपुर.प्रदेश में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर की ओर से सरकारी विद्यालयों में अध्यापकों द्वारा मोबाइल फोन के उपयोग पर रोक लगाने के निर्देश जारी होने के बाद से शिक्षा कर्मियों के तेवर तीखे हैं. वहीं, जोधपुर में एक ऐसा स्कूल भी है, जहां शिक्षक स्कूल समय में मोबाइल अपने पास नहीं रखते. इसके लिए बाकायदा प्रिंसिपल के कक्ष में एक होल्डर बनाकर लगाया गया है, जिसमें सभी टीचर्स अपने मोबाइल रखते हैं. जरूरत पड़ने पर उसका उपयोग करते हैं तो उसकी जानकारी भी वहां रखे एक रजिस्टर में लिखी जाती है.

यह सब यहां की प्रिंसिपल देवी बिजाणी की पहल से हुआ है. इसके चलते करीब डेढ़ साल से राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय तनावड़ा में व्यवस्था सफलता पूर्वक चल रही है. प्रिंसिपल ने बताया कि तनावाडा स्कूल से पहले भी जहां वे प्रिंसिपल रही. वहीं, उन्होंने मोबाइल का उपयोग बंद करवाया. इसमें उनको हमेशा शिक्षकों का साथ मिलता रहा. यहां के शिक्षकों का कहना है कि बच्चों के सामने मोबाइल का उपयोग करना सही नहीं है. हमारा काम उनको पढ़ना है. प्रिंसिपल देवी बिजाणी का कहना है कि हम भी चाहते हैं कि विभागीय आदेश व्हाट्सएप की जगह ईमेल पर आए उसी पर जवाब जाए तो ज्यादा अच्छा रहेगा.

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प्रिंसिपल के मोबाइल पर आता है कॉल: सभी शिक्षकों के घर पर आवश्यकता होने पर प्रिंसिपल के नंबर पर कॉल करने का कहा गया है. इसके अलावा प्रिंसिपल खुद ध्यान रखती है कि होल्डर में किसका फोन लगातार वाइब्रेट हो रहा है. अगर एक ही नंबर पर तीन-चार बार लगातार कॉल आता है तो प्रिंसिपल शिक्षक को सूचित कर देती है. लेकिन क्लास में मोबाइल नहीं ले जाने दिया जाता है. शिक्षक पीरियड पूरा कर मोबाइल देख सकता है. इसके अलावा खाली पीरियड, लंच ब्रेक में वह मोबाइल का उपयोग कर सकते हैं. वे उनको मिली सरकारी जिम्मेदारी का निर्वहन भी करते हैं.

खाली पीरियड में करते हैं कार्यालय का काम:शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार शाला दर्पण का काम ऑनलाइन होता है, जिसकी जिम्मेादारी अलग-अलग शिक्षकों को दी गई है. उन्हें यह काम स्कूल समय में ही पूरा करना होता है. मोबाइल से होने वाले इस कार्य को लेकर राज्य के शिक्षक मोबाइल पर रोक लगाने के फैसले से नाराज हैं, लेकिन तनावाड़ा स्कूल के टीचर यह काम अपने खाली पीरियड में करते हैं.

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ऑनलाइन काम के लिए व्यवस्था करे सरकार:यहां की भूगोल की व्याख्याता रिंकू रानी ने बताया कि वह कार्यालय का तो ऑनलाइन काम अपने खाली पीरियड में कर लेती हैं, लेकिन बाकी स्कूलों में टीचर्स के पास खाली पीरियड नहीं होते हैं. सरकार उनके लिए अलग व्यवस्था करे. उनको सिर्फ पढ़ाने का काम ही दें.

पहले भी जारी हो चुके आदेश: शिक्षा विभाग के तत्कालीन निदेशक बीएल स्वर्णकार ने भी 2016 में मोबाइल के नियंत्रण को लेकर आदेश जारी किए थे. उस समय मोबाइल का उपयोग ज्यादातर बातचीत करने में होता था, इसलिए क्लास व परिसर में मोबाइल पर वार्ता करने पर रोक लगाई थी. अब बीते सालों में मोबाइल पर सोशल मीडिया पर ही लोग ज्यादा व्यस्त रहते हैं. यही कारण है कि शिक्षा मंत्री ने मोबाइल पर शेयर मार्केट का काम करने और रील देखने जैसी बात करते हुए इस बार नए सिरे से उपयोग पर रोक लगाई है.

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