आगरा: यूपी सरकार ने यमुना के डूब क्षेत्र का निर्धारण करके नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में अपना हलफनामा दाखिल कर दिया है. यूपी सरकार ने अपने हलफनामा में नोएडा से लेकर प्रयागराज तक के 17 जिलों में यमुना का डूब क्षेत्र तय कर दिया है. जिससे यमुना के डूब क्षेत्र में निर्माण की मंजूरी देने वाली संस्था और अधिकारियों में खलबली मच गई है. जिसमें आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) भी शामिल है.
सरकार ने एनजीटी को दिए हलफनामे में पिछले 100 साल में आई बाढ़ को आधार मानकर यमुना के दोनों किनारों पर डूब क्षेत्र निर्धारित किया है. ऐसे में अब यमुना के दाएं किनारे पर अधिकतम 5.09 किमी और बाएं किनारे पर 2.55 किमी क्षेत्र में सभी तरह के नए निर्माण नहीं हो सकेंगे. ऐसे ही मथुरा में एक ओर 4.65 किलोमीटर और दूसरी ओर 3.71 किलोमीटर का डूब क्षेत्र तय किया है.
फिरोजाबाद की बात करें तो इसमें यमुना का डूब क्षेत्र 1.90 किलोमीटर तय किया गया है. आगरा की बात करें तो यमुना डूब क्षेत्र में 5000 से अधिक निर्माण खड़े हैं. जिनकी एडीए ने स्वीकृत दी है. एनजीटी में सरकार की ओर से दाखिल किए गए हलफनामा से एडीए में खलबली मच गई है. पहले नोएडा से लेकर प्रयागराज तक के जिलों में अधिकारी यमुना के डबू क्षेत्र में हुए निर्माण का लेकर एक दूसरे पर डाल रहे थे.
अब अलग अलग विभाग के अधिकारियों में भी हडकंप मच गया है. आगरा के पर्यावरण कार्यकर्ता डॉ. शरद गुप्ता की ओर से एनजीटी में सॉलिसिटर अंशुल गुप्ता ने डूब क्षेत्र के लिए पैरवी की.
बता दें कि आगरा जिले की सीमा में यमुना नदी करीब 167 किमी लंबाई में बहती है. जबकि, असगरपुर से प्रयागराज तक यमुना की लंबाई 1056 किमी है. यमुना का क्षेत्रफल 15925 वर्ग किमी है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में तीन साल से डूब क्षेत्र को लेकर सुनवाई चल रही थी.
पर्यावरण कार्यकर्ता डॉ. शरद गुप्ता की याचिका पर सुनवाई करके एनजीटी ने 11 सितंबर 2024 को डूब क्षेत्र तय करने का आदेश दिया था. जिसके बाद 21 दिसंबर को डूब क्षेत्र निर्धारण की अधिसूचना जारी की गई. इसके बाद 29 जनवरी को सिंचाई विभाग ने अनुपालन आख्या एनजीटी में प्रस्तुत की है.
कैसे किया गया यमुना के डूब क्षेत्र का निर्धारण: पर्यावरण कार्यकर्ता डॉ. शरद गुप्ता ने बताया कि एनजीटी में सरकार की ओर से दाखिल किए गए हलफनामे में पिछले 100 साल में यमुना में आई बाढ़ को आधार मानकर दोनों किनारों पर किया गया है. किस इलाके में कितना डूब क्षेत्र आएगा. ये तय करने के लिए अक्षांश देशांतर (कोआर्डिनेट) चिह्नित हो चुके हैं. अब यमुना किनारे नए निर्माणों पर संकट खड़ा होगा. नए निर्माण प्रतिबंधित हो गए हैं.
जिला प्रशासन और सिंचाई विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दयालबाग क्षेत्र में जगनपुर, मनोहरपुर, खासपुर से लेकर नगला बूढ़ी तक 2010 में आई बाढ़ के दौरान पानी घुस गया था. इससे पहले आगरा में सन 1978 में जो बाढ़ आई थी. तब बेलनगंज, बल्केश्वर, दयालबाग और रुनकता तक कई क्षेत्र प्रभावित हुए थे.