उज्जैन। 21 और 22 जून को उज्जैन के जीवाजी राव वेधशाला जंतर मंतर पर किसी की भी परछाई गायब हो जाती है और साया भी साथ छोड़ देता है. यह नजारा उज्जैन में इसलिए दिखता है क्योंकि उज्जैन से कर्क रेखा गुजरती है. पृथ्वी सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती है. 21 जून और 22 जून को सूर्य उत्तराणायन से दक्षिणायन की ओर प्रवेश करता है. जिसके चलते सूर्य कर्क रेखा पर लम्बवत की स्थिति में रहता है, जिससे दोपहर में कुछ क्षण के लिए परछाई गायब हो जाती है, लेकिन 21 जून को बादल छाए रहने के कारण यह खगोलीय घटना देखने को नहीं मिली.
सूर्य की रोशनी से नहीं बनती है परछाई
भारत में तीन वेधशालाएं है, जिसमें से एक उज्जैन में स्थित है. यहां कालगणना का केंद्र होने के साथ ही उज्जैन से होकर गुजरी कर्क रेखा भी शामिल है. दरअसल कर्क रेखा पर स्थित शंकु यंत्र पर 21 या 22 जून को 12 बजकर 28 मिनट पर पड़ने वाली सूर्य की किरण गायब ही जाती है. जब सूर्य भूमध्य रेखा पर आता है तो पूरे विश्व में दिन और रात बराबर होते हैं. इस खगोलीय घटना के चलते भूमध्य रेखा और कर्क रेखा के बीच रहने वाले लोगों की दोपहर में सूर्य की रोशनी से परछाई नहीं बनती है. उज्जैन के जीवाजी वेधशाला पर कई लोगों को ये अनोखा नजारा देखने को मिलता, लेकिन बादल छाए होने के कारण यह खगोलीय घटना देखने को नहीं मिली.
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