बीकानेर.हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार सोमवार का नाम चंद्रमा यानी सोम से पड़ा है, जिसका अर्थ सौम्य या सरल होता है. भगवान भोलेनाथ इतने सरल हैं कि वो सिर्फ एक लोटे जल पर ही प्रसन्न हो जाते हैं. वहीं, सोमवार सप्ताह का पहला दिन भी है और भगवान शिव को देवाधिदेव कहा जाता है. ऐसे में अगर सोमवार को जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा-अर्चना करता है, प्रभु उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. हालांकि, भगवान शिव की पूजा करने वाले भक्तों को कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना होता है, जिसके पालन मात्र से ही वो भगवान भोलेनाथ के कृपा पात्र बन जाते हैं.
इसलिए सोमेश्वर पड़ा नाम :चंद्र देव ने सोमवार के दिन भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए तप किया था. सोम यानी चंद्रमा की पूजा से शिव प्रसन्न हुए और उन्हें क्षय रोग से मुक्ति मिल गई. इसलिए सोमवार का दिन सोमेश्वर यानी चंद्रमा के ईश्वर को समर्पित हो गया. इसलिए पौराणिक काल से शिव कृपा पाने के लिए सोमवार का व्रत करने की परंपरा चली आ रही है.
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सफलता के लिए करें ये काम :जो व्यक्ति बार-बार प्रयत्नों के बावजूद सफलता प्राप्त न कर पा रहा हो अथवा सफलता-प्राप्ति के प्रति पूर्णत: निराश हो चुका हो, उसे प्रत्येक सोमवार को पीपल के वृक्ष के नीचे शाम के समय एक दीपक जलाकर 5 बार परिक्रमा करनी चाहिए. इस प्रयोग को कुछ ही दिनों तक संपन्न करने वाले को कार्यों में धीरे-धीरे सफलता प्राप्त होने लगती है. सोमवार को बाल कटवाने से शिव भक्त की हानि होती है. सोमवार को दोपहर के बाद बेलपत्र न तोड़ें.
महामृत्युंजय का करें जाप :ज्योतिषाचार्य पंडित विष्णु व्यास कहते हैं कि लंबी आयु प्राप्ति और रोग मुक्ति के लिए सोमवार के दिन सुबह जल्दी स्नान और पूजा पाठ करने के बाद महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए. सोमवार के दिन सुबह शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं और साथ ही 'ऊँ नम: शिवाय:' का जाप करते रहें. इसके अलावा शिवलिंग की पूजा के दौरान बेलपत्र, अक्षत (चावल) का उपयोग जरूर करें.
कम होता शनि प्रकोप :भगवान शिव को देवाधिदेव कहा जाता है. मान्यता है कि किसी भी तरह का किसी भी राशि का दोष भगवान शिव की पूजा करने से दूर हो जाता है. खास तौर से शनि दोष को दूर करने के लिए भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है. द्वादश ज्योतिर्लिंग के नामों का उच्चारण करने से भी शनि का प्रकोप कम होता है.