कोटा : कहते हैं पढ़ाई करने की कोई उम्र नहीं होती है. इसी कहावत को चरितार्थ किया है मुंबई में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में जनरल मैनेजर की पद पर कार्यरत डॉ. अनिल कुमार यादव ने. अनिल 58 साल के हो गए हैं और एक बड़े अधिकारी के तौर पर सेवाएं भी दे रहे हैं. इसके बावजूद उन्हें पढ़ाई का जुनून ऐसा है कि अब तक वह देश के 17 स्टेट या यूनियन टेरिटरी के 20 विश्वविद्यालय से 32 कोर्स कर चुके हैं. यहां तक कि उन्होंने डिग्रियां भी प्राप्त कर ली हैं. हाल ही में 24 जनवरी को उन्हें कोटा के वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय से जून 2022 मास्टर्स इन आर्ट्स में पुलिस एडमिनिस्ट्रेशन की डिग्री में गोल्ड मेडल मिला है. डिग्रियों और कोर्स के लिए लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी उनका नाम दर्ज है. इसके अलावा गोल्डन और इंडिया बुक का रिकॉर्ड में भी उनके नाम डिग्रियां लेने के मामले में दर्ज हैं.
देश की इन 17 यूनिवर्सिटी से ले चुके हैं डिग्रियां : डॉ. अनिल यादव सर्वाधिक तीन डिग्रियां IGNOU से MA फिलॉसफी, डिस्टेंस एजुकेशन और एंथ्रोपोलॉजी से प्राप्त कर चुके हैं. इसके अलावा VMOU कोटा से पुलिस एडमिनिस्ट्रेशन, कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज्म, गुवाहाटी यूनिवर्सिटी से नेपाली भाषा, नॉर्थ बंगाल यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस, मुंबई यूनिवर्सिटी से सोशियोलॉजी गुजरात यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से हिस्ट्री, EFLU से अंग्रेजी, NLSIU बेंगलुरु से बिजनेस लॉ, मदुरई कमराज यूनिवर्सिटी से MPhil, महाराजा अग्रसेन यूनिवर्सिटी से LLM, अन्नामलाई से MCom, ICFAI त्रिपुरा से चार्टर्ड फाइनेंशियल एनालिटिक्स, मद्रास यूनिवर्सिटी से फिजियोलॉजी और International Relations, जादवपुर यूनिवर्सिटी से एनवायरनमेंट एंड डेवलपमेंट, दिल्ली यूनिवर्सिटी से MBA, पंजाब यूनिवर्सिटी से MBA एग्जीक्यूटिव, लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी से यूनिवर्सिटी एजुकेशन और सेंट्रल यूनिवर्सिटी हिमाचल प्रदेश से जम्मू कश्मीर स्टडीज में मास्टर्स कोर्स किया हुआ है.
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बैंकिंग में 50 से ज्यादा कोर्स, 11 सब्जेक्ट में नेट क्लियर : डॉ. यादव ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग एंड फाइनेंस (IIBF) से अब तक 50 से ज्यादा कोर्स कर चुके हैं, जिसमें वह एशिया में सबसे ज्यादा इस तरह के कोर्स करने का रिकॉर्ड भी बना चुके हैं. इसके अलावा यूजीसी नेट को भी 11 सब्जेक्ट में भी क्लियर कर चुके हैं. ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट, साइकोलॉजी, एजुकेशन, इकोनॉमिक्स, एंथ्रोपोलॉजी, वूमेन स्टडीज, लोक प्रशासन, मैनेजमेंट, पॉलिटिकल साइंस, कॉमर्स और जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन शामिल है. साथ ही 12वीं सब्जेक्ट भूगोल का एग्जाम भी दे चुके हैं. तीन बैचलर और 32 मास्टर कोर्स भी कर चुके हैं, जिन्हें मिलाकर 95 से ज्यादा कोर्स उनके पास हैं. डॉ. अनिल यादव का टारगेट है कि वह 100 से ज्यादा डिग्रियां और कोर्सेज कर लें. इसके बाद भी लगातार पढ़ते रहेंगे. परिवार में बेटी ने साइकोलॉजी काउंसलिंग में कोर्स किया हुआ है और पत्नी गृहणी हैं. उनकी सरकारी सेवा में अभी साढ़े तीन साल बाकी हैं, इसके बाद भी वह पढ़ाई जारी रखेंगे.
पहले पढ़ाया, फिर आरबीआई में हुए सिलेक्ट : डॉ. यादव मूल रूप से यूपी के बस्ती जिले के निवासी हैं. उनके पिता भगवती प्रसाद यादव बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन में थे. ऐसे में उनकी पोस्टिंग अलग-अलग जगह होने के चलते शुरुआती पढ़ाई डॉ. अनिल यादव की पिलानी और सिक्किम में हुई है. उनकी कॉलेज शिक्षा सिक्किम से हुई और इसके बाद पढ़ाना भी शुरू कर दिया. गंगटोक के निजी स्कूलों में टीचर के रूप में 2 साल सेवाएं दे चुके हैं. उन्होंने पहली सरकारी नौकरी केंद्र सरकार के कस्टम विभाग में की. इस दौरान गंगटोक, कोलकाता, दार्जिलिंग और सिलीगुड़ी में पोस्टेड रहे. आठ साल के बाद रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (आरबीआई) में सिलेक्शन होने के चलते उन्होंने रिजाइन कर दिया. साथ ही आरबीआई में जनवरी 2000 में गुवाहाटी में पोस्टेड हुए. अलग-अलग पदों पर जगह पर पोस्टिंग के साथ वर्तमान में मुंबई में जनरल मैनेजर के रूप में सेवाएं दे रहे हैं.
ऐसे बनाया रिकॉर्ड : डॉ. यादव का कहना है कि उनके पिताजी पढ़ाई को काफी महत्व देते थे. इसके चलते पढ़ने का शौक बचपन में ही उनको लग गया, जिसके चलते पढ़ाई के लिए वह लगातार पॉजिटिव रहे. पिता का ट्रांसफर दूसरी जगह हो गया, लेकिन पढ़ाई डिस्टर्ड न हो, इसलिए हमें सिक्किम में ही रखा. मैगजीन में किसी व्यक्ति की डिग्रियों के संबंध में एक खबर छपी थी, इसके बाद ही इसको लेकर इंटरेस्ट जाग गया. तभी रिकॉर्ड बनाने के बारे में सोच लिया था. अब इन रिकॉर्ड को बरकरार रखने के लिए लगातार कोर्स कर डिग्रियां लेता जा रहा हूं. अब अगला लक्ष्य इग्नू से वैदिक अध्ययन में कोर्स करने का है. डॉ. यादव का कहना है कि शिक्षा कभी बर्बाद नहीं जाती है.
आज सोशल मीडिया डिस्ट्रक्शन दे रहा : डॉ. यादव का मानना है कि सोशल मीडिया से वर्तमान में बच्चों को डिस्ट्रैक्शन हो जाता है. इससे टाइम भी काफी खराब होता है. हमारे बचपन या युवावस्था में यह नहीं था, इसीलिए पढ़ाई की आदत भी बन गई. वर्तमान में ऑफिस का भी काफी काम होता है और काफी जिम्मेदारियां हैं. इसके बावजूद टाइम निकालता हूं. पढ़ाई की आदत है, इसलिए सुबह के समय या फिर छुट्टियां मिलती है तो पढ़ लेता हूं. अभी तो यूनिवर्सिटी में कोर्सेज करने के लिए काफी असाइनमेंट लिखने पड़ते हैं, जिसके लिए भी काफी मशक्कत और समय निकालना पड़ता है. मैं शौक और पैशन के लिए समय निकालता हूं. मेरा सेल्फ मोटिवेशन है.