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PGI की डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर 2.81 करोड़ रुपये हड़पने वाले गिरफ्तार, साइबर ठगों में महिला भी शामिल - Three cyber thugs arrested

पीजीआई की डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर दो करोड़ से ज्यादा हड़पने वाले गिरोह के तीन सदस्यों को यूपी एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है.

पीजीआई की डॉक्टर को दो करोड़ से ज्यादा की चपत लगाने वाले गिरोह के सदस्य गिरफ्तार.
पीजीआई की डॉक्टर को दो करोड़ से ज्यादा की चपत लगाने वाले गिरोह के सदस्य गिरफ्तार. (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 5, 2024, 6:23 PM IST

लखनऊ:यूपी एसटीएफ ने PGI की डॉक्टर को 7 दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर 2.81 करोड़ रुपये हड़पने वाले गिरोह के 3 सदस्यों को गिरफ्तार किया है. इसमें उड़ीसा की महिला के साथ ही प्रयागराज और गाजीपुर के दो शातिर शामिल हैं. बता दें कि पुलिस इससे पहले 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है.

गिरफ्तार अभियुक्तों ने पूछताछ में बताया कि उनका एक गिरोह है, जो लोगों के मोबाइल नंबर पर कॉल कर खुद को पुलिस/सीबीआई अधिकारी बताता है. गिरोह के सदस्य किसी न किसी बहाने से डराते-धमकाते हैं. लोगों की व्यक्तिगत जानकारी लेकर उनके खाते से रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करते थे. इसके लिए बायनेंस एप का इस्तेमाल करते थे. ठगी के पैसों से गिरोह के सदस्य ट्रेडिंग करते थे. अधिकतर थर्ड पार्टी को प्रलोभन देकर उनसे खाता खुलवाते और उस खाते की किट (एटीएम, पासबुक, चेकबुक, रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर) अपने पास रख लेते. जिससे कि ओटीपी व अन्य वेयरिफिकेशन में कोई समस्या न आए. साथ ही पैसा आसानी से निकाला जा सके. पुलिस के मुताबिक अभियुक्तों द्वारा बताए गए बैंक खाते, वालेट आदि की जानकारी लेने के साथ ही गिरोह के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं. गिरोह के गिरफ्तार सदस्यों में उड़ीसा की हरिप्रिया प्रधान, प्रयागराज का जितेंद्र कुमार और गाजीपुर का हितेश शामिल है.

आरोपितों ने डॉक्टर के खाते से रुपये बायनेंस एक्सचेंज के जरिए क्रिप्टो करेंसी और डॉलर में बदलकर अपने खातों में ट्रांसफर किए. एसटीएफ के सीओ दीपक कुमार सिंह ने बताया कि आरोपियों ने पीजीआई की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रुचिका टंडन को मनी लांड्रिंग के एक चर्चित मुकदमे में शामिल होने का भय दिखा कर एक हफ्ते तक डिजिटल अरेस्ट रखा. डॉक्टर से करीब दो करोड़ 81 लाख रुपये विभिन्न खातों में ट्रांसफर करा लिए. आरोपियों ने बताया कि वे लोग सोशल मीडिया, सरकारी संस्थान व अन्य वेबसाइट के जरिए हाईप्रोफाइल लोगों का डाटा जुटाते हैं. कॉल कर उन्हें मनी लांड्रिंग, ड्रग्स तस्करी जैसे मुकदमे में शामिल होने का भय दिखा कर जाल में फंसा लेते हैं. डॉ. रुचिका टण्डन को भी इसी तरह से फंसाया गया था.

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