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क्या है ग्रूमिंग गैंग की घिनौनी कहानी, ऐसे फंसाते थे गोरी लड़कियों को पाकिस्तानी - GROOMING GANGS SCANDAL

ब्रिटेन में इस समय ग्रूमिंग गैंग का मुद्दा छाया हुआ है. इसके बारे में जानकर हर कोई हैरान है. यहां डिटेल्स में जानें...

what is grooming gangs scanda
ब्रिटेन में पाकिस्तानियों की ग्रूमिंग गैंग की घिनौनी कहानी (प्रतीकात्मक फोटो) (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 11, 2025, 2:21 PM IST

हैदराबाद: ब्रिटेन की राजनीति को हिलाकर रख देने वाला ग्रूमिंग गैंग की चर्चा इन दिनों पूरी दुनिया में है. इस मुद्दे को किसी और ने नहीं बल्कि ट्रंप के करीबी माने जानें वाले और दुनिया के सबसे अमीर आदमी एलन मस्क ने उठाया है. ये मामला बेहद संगीन है.

ग्रूमिंग गैंग कांड अब सुर्खियों में क्यों है

यह सब तब शुरू हुआ जब अरबपति टेक दिग्गज एलन मस्क ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स का इस्तेमाल करते हुए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर और लेबर सरकार के अन्य सदस्यों पर ब्रिटेन के तथाकथित ग्रूमिंग गैंग को लेकर निष्क्रियता का आरोप लगाया. उन्होंने आरोप लगाया कि स्टारमर ने पद पर रहते हुए इसके खिलाफ उचित कदम नहीं उठाए. इसपर स्टारमर ने आपत्ति जताई और इसका जवाब दिया. इस तरह विवाद बढ़ गया.

एलन मस्क अब इस मुद्दे को क्यों उठा रहे हैं

आलोचकों का तर्क है कि एलन मस्क ने स्टारमर की सरकार को निशाना बनाने और दक्षिणपंथी पार्टी रिफॉर्म यूके को बढ़ावा देने के लिए इस मुद्दे को उठाया है. ये अपने अप्रवासी विरोधी रुख के लिए जानी जाती है.

ब्रिटेन में ग्रूमिंग गैंग कांड के बारे में

वर्ष 1990 के दशक के अंत से लेकर 2012 तक रॉदरहैम, ब्रिस्टल, कॉर्नवाल और ऑक्सफोर्ड जैसे ब्रिटिश शहरों में बच्चों का शोषण करने वाले गिरोहों के कई मामले सामने आए. इनमें से कई मामलों में अपराधी पाकिस्तानी मूल के थे. गिरोह अक्सर देखभाल गृहों में रहने वाली लड़कियों या टूटे हुए परिवारों की लड़कियों को अपना शिकार बनाते थे. हजारों लड़कियों से दोस्ती की गई, उन्हें शराब और नशीले पदार्थ दिए गए. इस तरह उन्हें जाल में फंसाकर उनका साथ यौन शोषण किया गया.

इस घोटाले का खुलासा कैसे हुआ:

टाइम्स ने सबसे पहले 2005 में इस बारे में रिपोर्ट की थी. पत्रकार एंड्रयू नॉरफॉक ने 2009 के एक मामले में एक पैटर्न देखा और 2011 से 2015 तक ऐसे कई मामलों की जांच की. हालांकि, नॉरफॉक ने एप्पल पॉडकास्ट के न्यूज एजेंट से बात करते हुए कहा कि शुरू से ही दक्षिणपंथी लोगों ने इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने की कोशिश की थी.

लंदन में 2011 में टाइम्स ने 1997 से इंग्लैंड के उत्तरी और मिडलैंड्स में आपराधिक गिरोहों द्वारा लड़कियों के यौन शोषण पर खोजी लेखों की एक श्रृंखला प्रकाशित की. उस समय के एक जासूस मुख्य निरीक्षक एलन एडवर्ड्स ने अखबार को बताया, 'हर कोई जातीयता कारक को संबोधित करने से बहुत डरता है.' इन मामलों को 'ग्रूमिंग गैंग' कांड के रूप में जाना जाता है.

2014 में उत्तरी इंग्लैंड के शहर रॉदरहैम में इस तरह के दुर्व्यवहार की कई वर्षों तक चली आधिकारिक जांच के निष्कर्षों ने राष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा दी. 1997 से 2013 के बीच कम से कम 1,400 बच्चों जिनमें से कुछ की उम्र 11 साल थी उन्हें यौन शोषण के लिए तैयार किया गया. जबकि स्थानीय अधिकारी कई वर्षों तक इस पर ध्यान नहीं दिया. इंग्लैंड के अन्य शहरों और कस्बों में भी इसी तरह के गिरोह सक्रिय पाए गए.

जाल में फंसाने के लिए ये तरीके अपनाते थे

करीब ढाई लाख से अधिक की आबादी वाले रॉदरहैम में लड़कियों को फंसाने का तरीका चौंकाने वाला था. शहर के केंद्रों और शॉपिंग मॉल जैसे सार्वजनिक स्थानों पर युवाओं द्वारा लड़कियों को प्रलोभन दिया गया. धीरे-धीरे शराब और ड्रग्स दिए गए. फिर यौन संबंध बनाने के लिए दबाव बनाया जाता था. ये लड़कियों से यौन संबंध बनाकर अपने प्यार का सबूत देने की मांगा करते थे.

गिरोहों की कार्यप्रणाली

इन सभी मामलों में पुरुषों द्वारा युवा गोरी लड़कियों को फैंसी स्पोर्ट्स कारों में ले जाने, उन्हें अपने बॉयफ्रेंड के रूप में लुभाने और फिर उन्हें बड़ी उम्र के पुरुषों के पास भेजने के मामले सामने आए. इन पुरुषों को यह भी लगा कि इन महिलाओं ने 'खुद की अच्छी तरह से सुरक्षा नहीं की' पुरुषों ने किशोरियों, युवतियों को फैंसी कारों और महंगे उपहारों का लालच दिया.

द गार्जियन की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार कई पीड़ितों को गिरोह के सदस्यों ने नकदी, डिजाइनर कपड़ों और लग्जरी कारों की तस्वीरें दिखाकर फंसाया था. कमजोर लड़कियों को भी रोमांटिक रिश्ते का भ्रम पैदा करके निशाना बनाया गया था. इसके बाद उनका यौन शोषण किया गया. 11 साल की उम्र की लड़कियों को अक्सर यह विश्वास दिलाया जाता था कि ये पुरुष उनके बॉयफ्रेंड हैं और उनकी जीवनशैली शानदार है.

ब्रिटेन के पीएम कीर स्टारमर ग्रूमिंग गैंग घोटाले में कैसे शामिल हैं

वर्ष 2008 और 2013 के बीच प्रधानमंत्री क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विसेज (CPS) के प्रमुख के रूप में कार्यरत थे. उस दौरान वे इंग्लैंड और वेल्स में आपराधिक मुकदमों की देखरेख करते थे. उनकी नियुक्ति के नौ महीने बाद CPS ने रोशडेल में ग्रूमिंग गैंग के कथित सदस्यों पर मुकदमा न चलाने का फैसला किया. तभी वकीलों ने उन्हें सलाह दी कि वे इस मामले में कोई कार्रवाई न करें.

ब्रिटेन प्रशासन पर अपराधों को रोकने में विफल रहने का आरोप?

2024 में ग्रेटर मैनचेस्टर के मेयर एंडी बर्नहैम द्वारा कमीशन की गई एक स्वतंत्र समीक्षा में पाया गया कि रोशडेल में युवा लड़कियों का बड़े पैमाने पर शोषण और शोषण किया जा रहा है. इसने 2004 से 2013 के बीच इन मामलों की उचित जांच करने में अधिकारियों की विफलता को भी उजागर किया. नौ अपराधियों को दोषी ठहराया गया जिनमें से आठ ब्रिटिश-पाकिस्तानी पुरुष थे.

अपनी 2014 की रिपोर्ट में प्रोफेसर जे ने उल्लेख किया कि परिषद के कर्मचारियों ने 'अपराधियों की जाती की पहचान करने के बारे में अपनी घबराहट का वर्णन किया क्योंकि उन्हें नस्लवादी माना जाने का डर था. अन्य लोगों को ऐसा न करने के लिए उनके प्रबंधकों से स्पष्ट निर्देश याद थे.'

जब 2023 में ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने ग्रूमिंग गैंग टास्क फोर्स की शुरुआत की तो उन्होंने कहा कि अपराधी 'राजनीतिक शुद्धता' के कारण बहुत लंबे समय तक न्याय से बचते रहे.

बाल यौन शोषण के मामलों के पीछे जातीयता का पहलू

ब्रिटेन में 2023 में समूह-आधारित बाल यौन शोषण की 85 फीसदी पीड़ित गोरी थी. ये जनसंख्या औसत से थोड़ा अधिक है जबकि 3 फीसदी पीड़ित एशियाई और 4 प्रतिशत अश्वेत थी. लेकिन रॉदरहैम जैसे मामले ग्रूमिंग में दक्षिण एशियाई विशेष रूप से पाकिस्तानी मूल के लोगों की असंगत भागीदारी को उजागर करते हैं.

पुलिस द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 2023 में ब्रिटेन में बच्चों के खिलाफ दर्ज किए गए 1.15 लाख से अधिक यौन अपराधों में से 4,228 (3.7 प्रतिशत) समूह-आधारित अपराध थे. इनमें से 26 प्रतिशत अपराध परिवारों के भीतर हुए जबकि 17 प्रतिशत अपराध समूहों में हुए. इनमें ग्रूमिंग गिरोह भी शामिल थे. समूह-आधारित अपराधों में से नौ फीसदी स्कूल, धार्मिक स्थल, सामुदायिक केंद्र और अन्य ऐसे संस्थानों में हुए.

ये भी पढ़ें- रूस ने जासूसी के आरोप में ब्रिटिश राजनयिक को किया निष्कासित - BRITISH DIPLOMAT WAS FIRED

हैदराबाद: ब्रिटेन की राजनीति को हिलाकर रख देने वाला ग्रूमिंग गैंग की चर्चा इन दिनों पूरी दुनिया में है. इस मुद्दे को किसी और ने नहीं बल्कि ट्रंप के करीबी माने जानें वाले और दुनिया के सबसे अमीर आदमी एलन मस्क ने उठाया है. ये मामला बेहद संगीन है.

ग्रूमिंग गैंग कांड अब सुर्खियों में क्यों है

यह सब तब शुरू हुआ जब अरबपति टेक दिग्गज एलन मस्क ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स का इस्तेमाल करते हुए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर और लेबर सरकार के अन्य सदस्यों पर ब्रिटेन के तथाकथित ग्रूमिंग गैंग को लेकर निष्क्रियता का आरोप लगाया. उन्होंने आरोप लगाया कि स्टारमर ने पद पर रहते हुए इसके खिलाफ उचित कदम नहीं उठाए. इसपर स्टारमर ने आपत्ति जताई और इसका जवाब दिया. इस तरह विवाद बढ़ गया.

एलन मस्क अब इस मुद्दे को क्यों उठा रहे हैं

आलोचकों का तर्क है कि एलन मस्क ने स्टारमर की सरकार को निशाना बनाने और दक्षिणपंथी पार्टी रिफॉर्म यूके को बढ़ावा देने के लिए इस मुद्दे को उठाया है. ये अपने अप्रवासी विरोधी रुख के लिए जानी जाती है.

ब्रिटेन में ग्रूमिंग गैंग कांड के बारे में

वर्ष 1990 के दशक के अंत से लेकर 2012 तक रॉदरहैम, ब्रिस्टल, कॉर्नवाल और ऑक्सफोर्ड जैसे ब्रिटिश शहरों में बच्चों का शोषण करने वाले गिरोहों के कई मामले सामने आए. इनमें से कई मामलों में अपराधी पाकिस्तानी मूल के थे. गिरोह अक्सर देखभाल गृहों में रहने वाली लड़कियों या टूटे हुए परिवारों की लड़कियों को अपना शिकार बनाते थे. हजारों लड़कियों से दोस्ती की गई, उन्हें शराब और नशीले पदार्थ दिए गए. इस तरह उन्हें जाल में फंसाकर उनका साथ यौन शोषण किया गया.

इस घोटाले का खुलासा कैसे हुआ:

टाइम्स ने सबसे पहले 2005 में इस बारे में रिपोर्ट की थी. पत्रकार एंड्रयू नॉरफॉक ने 2009 के एक मामले में एक पैटर्न देखा और 2011 से 2015 तक ऐसे कई मामलों की जांच की. हालांकि, नॉरफॉक ने एप्पल पॉडकास्ट के न्यूज एजेंट से बात करते हुए कहा कि शुरू से ही दक्षिणपंथी लोगों ने इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने की कोशिश की थी.

लंदन में 2011 में टाइम्स ने 1997 से इंग्लैंड के उत्तरी और मिडलैंड्स में आपराधिक गिरोहों द्वारा लड़कियों के यौन शोषण पर खोजी लेखों की एक श्रृंखला प्रकाशित की. उस समय के एक जासूस मुख्य निरीक्षक एलन एडवर्ड्स ने अखबार को बताया, 'हर कोई जातीयता कारक को संबोधित करने से बहुत डरता है.' इन मामलों को 'ग्रूमिंग गैंग' कांड के रूप में जाना जाता है.

2014 में उत्तरी इंग्लैंड के शहर रॉदरहैम में इस तरह के दुर्व्यवहार की कई वर्षों तक चली आधिकारिक जांच के निष्कर्षों ने राष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा दी. 1997 से 2013 के बीच कम से कम 1,400 बच्चों जिनमें से कुछ की उम्र 11 साल थी उन्हें यौन शोषण के लिए तैयार किया गया. जबकि स्थानीय अधिकारी कई वर्षों तक इस पर ध्यान नहीं दिया. इंग्लैंड के अन्य शहरों और कस्बों में भी इसी तरह के गिरोह सक्रिय पाए गए.

जाल में फंसाने के लिए ये तरीके अपनाते थे

करीब ढाई लाख से अधिक की आबादी वाले रॉदरहैम में लड़कियों को फंसाने का तरीका चौंकाने वाला था. शहर के केंद्रों और शॉपिंग मॉल जैसे सार्वजनिक स्थानों पर युवाओं द्वारा लड़कियों को प्रलोभन दिया गया. धीरे-धीरे शराब और ड्रग्स दिए गए. फिर यौन संबंध बनाने के लिए दबाव बनाया जाता था. ये लड़कियों से यौन संबंध बनाकर अपने प्यार का सबूत देने की मांगा करते थे.

गिरोहों की कार्यप्रणाली

इन सभी मामलों में पुरुषों द्वारा युवा गोरी लड़कियों को फैंसी स्पोर्ट्स कारों में ले जाने, उन्हें अपने बॉयफ्रेंड के रूप में लुभाने और फिर उन्हें बड़ी उम्र के पुरुषों के पास भेजने के मामले सामने आए. इन पुरुषों को यह भी लगा कि इन महिलाओं ने 'खुद की अच्छी तरह से सुरक्षा नहीं की' पुरुषों ने किशोरियों, युवतियों को फैंसी कारों और महंगे उपहारों का लालच दिया.

द गार्जियन की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार कई पीड़ितों को गिरोह के सदस्यों ने नकदी, डिजाइनर कपड़ों और लग्जरी कारों की तस्वीरें दिखाकर फंसाया था. कमजोर लड़कियों को भी रोमांटिक रिश्ते का भ्रम पैदा करके निशाना बनाया गया था. इसके बाद उनका यौन शोषण किया गया. 11 साल की उम्र की लड़कियों को अक्सर यह विश्वास दिलाया जाता था कि ये पुरुष उनके बॉयफ्रेंड हैं और उनकी जीवनशैली शानदार है.

ब्रिटेन के पीएम कीर स्टारमर ग्रूमिंग गैंग घोटाले में कैसे शामिल हैं

वर्ष 2008 और 2013 के बीच प्रधानमंत्री क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विसेज (CPS) के प्रमुख के रूप में कार्यरत थे. उस दौरान वे इंग्लैंड और वेल्स में आपराधिक मुकदमों की देखरेख करते थे. उनकी नियुक्ति के नौ महीने बाद CPS ने रोशडेल में ग्रूमिंग गैंग के कथित सदस्यों पर मुकदमा न चलाने का फैसला किया. तभी वकीलों ने उन्हें सलाह दी कि वे इस मामले में कोई कार्रवाई न करें.

ब्रिटेन प्रशासन पर अपराधों को रोकने में विफल रहने का आरोप?

2024 में ग्रेटर मैनचेस्टर के मेयर एंडी बर्नहैम द्वारा कमीशन की गई एक स्वतंत्र समीक्षा में पाया गया कि रोशडेल में युवा लड़कियों का बड़े पैमाने पर शोषण और शोषण किया जा रहा है. इसने 2004 से 2013 के बीच इन मामलों की उचित जांच करने में अधिकारियों की विफलता को भी उजागर किया. नौ अपराधियों को दोषी ठहराया गया जिनमें से आठ ब्रिटिश-पाकिस्तानी पुरुष थे.

अपनी 2014 की रिपोर्ट में प्रोफेसर जे ने उल्लेख किया कि परिषद के कर्मचारियों ने 'अपराधियों की जाती की पहचान करने के बारे में अपनी घबराहट का वर्णन किया क्योंकि उन्हें नस्लवादी माना जाने का डर था. अन्य लोगों को ऐसा न करने के लिए उनके प्रबंधकों से स्पष्ट निर्देश याद थे.'

जब 2023 में ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने ग्रूमिंग गैंग टास्क फोर्स की शुरुआत की तो उन्होंने कहा कि अपराधी 'राजनीतिक शुद्धता' के कारण बहुत लंबे समय तक न्याय से बचते रहे.

बाल यौन शोषण के मामलों के पीछे जातीयता का पहलू

ब्रिटेन में 2023 में समूह-आधारित बाल यौन शोषण की 85 फीसदी पीड़ित गोरी थी. ये जनसंख्या औसत से थोड़ा अधिक है जबकि 3 फीसदी पीड़ित एशियाई और 4 प्रतिशत अश्वेत थी. लेकिन रॉदरहैम जैसे मामले ग्रूमिंग में दक्षिण एशियाई विशेष रूप से पाकिस्तानी मूल के लोगों की असंगत भागीदारी को उजागर करते हैं.

पुलिस द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 2023 में ब्रिटेन में बच्चों के खिलाफ दर्ज किए गए 1.15 लाख से अधिक यौन अपराधों में से 4,228 (3.7 प्रतिशत) समूह-आधारित अपराध थे. इनमें से 26 प्रतिशत अपराध परिवारों के भीतर हुए जबकि 17 प्रतिशत अपराध समूहों में हुए. इनमें ग्रूमिंग गिरोह भी शामिल थे. समूह-आधारित अपराधों में से नौ फीसदी स्कूल, धार्मिक स्थल, सामुदायिक केंद्र और अन्य ऐसे संस्थानों में हुए.

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