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HMPV को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट, लखनऊ के सरकारी व निजी अस्पतालों में बेड आरक्षित - HMPV ALERT

आरक्षित बेड पर ही किया जाएगा संक्रमित मरीजों का इलाज, विशेषज्ञ बोले-डरने की जरूरत नहीं.

अस्पतालों में बेड आरक्षित.
अस्पतालों में बेड आरक्षित. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 11, 2025, 2:05 PM IST

लखनऊ : चाइनीज वायरस एचएमपीवी (ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस) को लेकर अस्पतालों में अलर्ट जारी हो गया है. अस्पतालों ने पीड़ित मरीजों के इलाज को लेकर तैयारियां शुरू करते हुए बेड आरक्षित कर दिया है. संक्रमित मरीजों को अलग आरक्षित किए गए वार्ड के बेड पर ही भर्ती करके इलाज किया जाएगा.

विशेषज्ञों का कहना है कि यह चाइनीज वायरस खतरनाक नहीं है. जागरुकता जरूर बरतें, लेकिन स्थिति को भयावह न बनाएं और न ही डरें. स्वास्थ्य विभाग की ओर से सभी सरकारी अस्पतालों को अलर्ट जारी किया गया है. शहर व ग्रामीण क्षेत्र के 100 बेड वाले अस्पतालों में कम से कम 10 बेड संक्रामक रोग या संक्रमण पीड़ित मरीजों के लिए आरक्षित करने के निर्देश हैं.

विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि इन 10 बेड पर यदि एचएमपीवी संक्रमित मरीज मिलता है तो पहले उसको भर्ती करके इलाज दें. यदि मरीज नहीं मिलता है तो अगले आदेश तक आरक्षित बेडों पर दूसरी संक्रामक बीमारी या अन्य सामान्य मरीजों को भर्ती कर इलाज दिया जाता रहें.

बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. सुशील प्रकाश ने बताया कि संक्रामक बीमारी के लिए शासन के निर्देश पर 20 बेड आरक्षित हैं. वहीं, लोकबंधु के एमएस डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी के मुताबिक उनके अस्पताल में 12, सिविल के सीएमएस डॉ. राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि 10 बेड आरक्षित हैं. ठाकुरगंज टीबी संयुक्त अस्पताल के सीएमएस डॉ. एसपी सिंह व बीआरडी महानगर में संक्रामक बीमारी से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए 10-10 बेड आरक्षित किए गए हैं.

केजीएमयू में रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत ने बताया एचएमपीवी एक श्वसन वायरस है, यह कोई नया वायरस नहीं है. वर्ष 2001 में नीदरलैंड में खोजा गया था. यह खांसी, बुखार, नाक बंद होना और सांस लेने में कठिनाई सहित सामान्य सर्दी या कोविड-19 जैसे लक्षण पैदा करता है. गंभीर मामलों में यह ब्रोंकाइटिस या निमोनिया का कारण बन सकता है.

संक्रमित व्यक्तियों का आमतौर पर आराम और बुखार कम करने वाली सामान्य दवाओं से इलाज किया जाता है और लक्षण आमतौर पर 2 से 5 दिनों के भीतर ठीक हो जाते हैं. डॉ. सूर्यकांत के मुताबिक बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और कमजोर प्रतिरक्षा या पहले से मौजूद गंभीर स्थितियों जैसे फेफड़े, हृदय, किडनी, लीवर की बीमारियों या कैंसर वाले मरीजों को अधिक सतर्क रहने की जरूरत है.

संक्रामक रोग संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आने से फैलते हैं. इसलिए, खांसते या छींकते समय हमेशा अपने मुंह को रुमाल से ढकें, मास्क पहनें, भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचें, बार- बार साबुन और पानी से हाथ धोएं, खुद को हाइड्रेटेड रखें, संक्रमित व्यक्तियों से दूरी बनाए रखें और लोगों से हाथ मिलाने के बजाय नमस्ते कहकर अभिवादन करें.

यह भी पढ़ें : HMPV को लेकर सरकार ने जारी की हेल्‍थ एडवाइजरी, सावधानी बरतने की सलाह

लखनऊ : चाइनीज वायरस एचएमपीवी (ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस) को लेकर अस्पतालों में अलर्ट जारी हो गया है. अस्पतालों ने पीड़ित मरीजों के इलाज को लेकर तैयारियां शुरू करते हुए बेड आरक्षित कर दिया है. संक्रमित मरीजों को अलग आरक्षित किए गए वार्ड के बेड पर ही भर्ती करके इलाज किया जाएगा.

विशेषज्ञों का कहना है कि यह चाइनीज वायरस खतरनाक नहीं है. जागरुकता जरूर बरतें, लेकिन स्थिति को भयावह न बनाएं और न ही डरें. स्वास्थ्य विभाग की ओर से सभी सरकारी अस्पतालों को अलर्ट जारी किया गया है. शहर व ग्रामीण क्षेत्र के 100 बेड वाले अस्पतालों में कम से कम 10 बेड संक्रामक रोग या संक्रमण पीड़ित मरीजों के लिए आरक्षित करने के निर्देश हैं.

विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि इन 10 बेड पर यदि एचएमपीवी संक्रमित मरीज मिलता है तो पहले उसको भर्ती करके इलाज दें. यदि मरीज नहीं मिलता है तो अगले आदेश तक आरक्षित बेडों पर दूसरी संक्रामक बीमारी या अन्य सामान्य मरीजों को भर्ती कर इलाज दिया जाता रहें.

बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. सुशील प्रकाश ने बताया कि संक्रामक बीमारी के लिए शासन के निर्देश पर 20 बेड आरक्षित हैं. वहीं, लोकबंधु के एमएस डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी के मुताबिक उनके अस्पताल में 12, सिविल के सीएमएस डॉ. राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि 10 बेड आरक्षित हैं. ठाकुरगंज टीबी संयुक्त अस्पताल के सीएमएस डॉ. एसपी सिंह व बीआरडी महानगर में संक्रामक बीमारी से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए 10-10 बेड आरक्षित किए गए हैं.

केजीएमयू में रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत ने बताया एचएमपीवी एक श्वसन वायरस है, यह कोई नया वायरस नहीं है. वर्ष 2001 में नीदरलैंड में खोजा गया था. यह खांसी, बुखार, नाक बंद होना और सांस लेने में कठिनाई सहित सामान्य सर्दी या कोविड-19 जैसे लक्षण पैदा करता है. गंभीर मामलों में यह ब्रोंकाइटिस या निमोनिया का कारण बन सकता है.

संक्रमित व्यक्तियों का आमतौर पर आराम और बुखार कम करने वाली सामान्य दवाओं से इलाज किया जाता है और लक्षण आमतौर पर 2 से 5 दिनों के भीतर ठीक हो जाते हैं. डॉ. सूर्यकांत के मुताबिक बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और कमजोर प्रतिरक्षा या पहले से मौजूद गंभीर स्थितियों जैसे फेफड़े, हृदय, किडनी, लीवर की बीमारियों या कैंसर वाले मरीजों को अधिक सतर्क रहने की जरूरत है.

संक्रामक रोग संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आने से फैलते हैं. इसलिए, खांसते या छींकते समय हमेशा अपने मुंह को रुमाल से ढकें, मास्क पहनें, भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचें, बार- बार साबुन और पानी से हाथ धोएं, खुद को हाइड्रेटेड रखें, संक्रमित व्यक्तियों से दूरी बनाए रखें और लोगों से हाथ मिलाने के बजाय नमस्ते कहकर अभिवादन करें.

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