वाराणसी : आईआईटी बीएचयू (IIT BHU) में एक नई शुरुआत होने जा रही है, जहां पर देश में आईआईटी का पहला ई-कचरा सेंटर तैयार किया जाएगा. यहां मोबाइल फोन व अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों से सोना, चांदी, कोबाल्ट, प्लैटिनम जैसी कीमती धातु निकाली जाएंगी और उनका रीयूज किया जाएगा. आईआईटी के मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग विभाग में वर्ष 2018 से रिसाइकिलिंग एंड मैनेजमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक का कोर्स संचालित हो रहा है. अब छात्र ई-कचरा प्रबंधन पर अध्ययन करने जा रहे हैं. विश्वविद्यालय के पुरा छात्र ने ई-वेस्ट पर काम करने के लिए ई-कचरा प्रबंधन सेंटर बनाने को लेकर लगभग पांच करोड़ रुपये दान किए हैं. इससे ई-कचरा प्रबंधन पर काम किया जाएगा.
विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर एक टन मोबाइल फोन का पुनर्चक्रण और प्रबंधन किया जाए तो करीब 200 ग्राम सोना सहित कई तरह के तत्व मिल सकते हैं. पर्यावरण के लिए खतरनाक बन चुके ई-कचरा प्रदूषकों के न्यूनतम उत्सर्जन की आवश्यकता है. ई-कचरा का प्रबंधन करने और इसकी रीसाइकिलिंग करने के लिए आईआईटी बीएचयू बड़ा कदम उठाने जा रहा है. यहां पर ई-कचरा प्रबंधन सेंटर बनाया जाएगा. इसकी मदद से इलेक्ट्रॉनिक कचरा को रीसाइकिल कर जरूरी तत्वों को इकट्ठा किया जाएगा. इस प्रक्रिया में विश्वविद्यालय में रिसाइकिलिंग एंड मैनेजमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक का कोर्स चलाया जाएगा. छात्र इस कोर्स पर अध्ययन करेंगे. इसके लिए कैंपस में अलग से बिल्डिंग बनाई जाएगी.
प्लान डेवलप कर चुका है विभाग :इस बारे में आईआईटी बीएचयू के प्रो कमलेश कुमार सिंह ने बताया कि, हमारा विभाग साल 1923 में बना था. साल 2023 में इस विभाग के 100 साल पूरे हुए थे. इस दौरान हमारे एलुमिनाई विनोद खरे की तरफ से फंडिंग आई थी. भेंट स्वरूप उनके नाम से हमारे संस्थान ने यह रिसाइकिलिंग सेंटर शुरू करने का निर्णय लिया है. यह सेंटर ई-वेस्ट के सभी क्षेत्रों में अपनी दखल रखेगा. ई-वेस्ट का कलेक्शन कैसे किया जाए और उसका रीयूज कैसे किया जा सकता है. इस पर भी काम किया जाएगा. इसको लेकर हम प्लान को डेवलप कर चुके हैं. आगे भी इस पर काम करते रहे हैं क्योंकि ई-वेस्ट हमेशा बदलता रहता है. इसके कंपोनेंट बदलते रहते हैं. रोज नए-नए फोन, कंप्यूटर और अलग सिस्टम बनते रहते हैं और उसके अंदर के मेटल, नॉन मेटल बदलते रहते हैं.
इलेक्ट्रॉनिक्स मेटल निकालने के लिए वैल्युएबल सोर्स :उन्होंने बताया कि, हमें हमेशा रिसाइकिलिंग का काम करने की जरूरत पड़ेगी. यह भविष्य पर आधारित होगा. इसे ध्यान में रखकर प्रोसेस करना होगा. सोना, प्लैटिनम, चांदी आदि जैसे मेटल की लागत अधिक है. मगर इसका कंटेंट कम होता है. बहुत ही अच्छी क्वालिटी के जो इलेक्ट्रॉनिक के सामान हैं उनमें तो वे होते हैं. इसके अलावा भी कई तरह के मेटल हैं, जिनका अपना महत्व होता है. जैसे कॉपर है, निकल, आयरन, रेयर अर्थ मेटल मिल जाएंगे. रेयर अर्थ मेटल की अपने देश में थोड़ी कमी भी है. इलेक्ट्रॉनिक्स इन सब चीजों को निकालने के लिए एक वैल्युएबल सोर्स है, जोकि एक सेकेंडरी सोर्स भी है. अगर इसको व्यवस्थित तौर पर रिसाइकिल किया जाता है तो यह एक साफ सुथरा सोर्स होता है.