KHARPATVAAR PRABANDHAN KYA HAI:मध्य प्रदेश में खरीफ की मुख्य फसल सोयाबीन की बुवाई का कार्य लगातार जारी है. सोयाबीन की उन्नत खेती में यदि खरपतवार प्रबंधन अभी से कर लें तो किसानों को सोयाबीन का बेहतर उत्पादन प्राप्त हो सकता है. इसके लिए किसानों को सोयाबीन की फसल बोने के 72 घंटे के भीतर खरपतवार नाशक का छिड़काव खेत में करना होगा. कृषि विशेषज्ञों के द्वारा अनुशंसित मात्रा में खरपतवार नाशक का पर्याप्त नमी में उपयोग करने से सोयाबीन की खेती में किसानों को खरपतवार नियंत्रण के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा. वहीं, सोयाबीन के पौधों की बढ़वार भी प्रभावित नहीं होगी.
रासायनिक खरपतवार नियंत्रण ही कारगर
दरअसल सोयाबीन की खेती में खरपतवार सबसे बड़ी समस्या होती है. खरपतवार को नियंत्रित करने के कई तरीके होते हैं. लेकिन व्यवसायिकता के इस दौर में रासायनिक खरपतवार नियंत्रण ही कारगर साबित होता है. रासायनिक तरीके से खरपतवार नियंत्रण के कई तरीके होते हैं. जिसमें फसल बुवाई के पूर्व, फसल बोने के 72 घंटे के भीतर और 15 से 20 दिन की फसल की अवस्था में खरपतवार नाशकों का इस्तेमाल किया जाता है.
इन दवाओं का करें छिड़काव
सोयाबीन की फसल में 72 घंटे के अंदर रासायनिक खरपतवार का इस्तेमाल करने से अच्छे नतीजे प्राप्त होते हैं. क्योंकि उस समय खेत में पर्याप्त नमी भी उपलब्ध होती है और बारिश होने की संभावना भी बनी रहती है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार पेंडीमेथिलीन, डाइक्लोसुलम 84WDG और सल्फेंट्राजोन 48 SC जैसे खरपतवार नाशक जो की अलग-अलग ब्रांड के नाम से बाजार में उपलब्ध हैं, उनका इस्तेमाल अनुशंसित मात्रा में किया जाना चाहिए. Soybean kharpatwar Nashak
Also Read: |