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केन-बेतवा विस्थापितों को बनाएं हाफ करोड़पति, अखिलेश यादव की सुप्रीम संसद से डिमांड - AKHILESH YADAV KEN BETWA PROJECT

केन-बेतवा लिंक परियोजना से छतरपुर के दर्जनों गांव प्रभावित. अखिलेश यादव की संसद में विस्थापितों को आधा करोड़ रुपए देने की डिमांड.

akhilesh yadav ken betwa project
छतरपुर के ग्रामीणों ने की उचित मुआवजे की मांग (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 10, 2025, 5:25 PM IST

Updated : Feb 10, 2025, 6:39 PM IST

छतरपुर: बुंदेलखंड के सूखा प्रभावित इलाकों तक पानी पहुंचाने के लिए दो नदियों को आपस में जोड़ने की योजना बनाई गई. मध्य प्रदेश के छतरपुर से इस योजना की शुरुआत केन-बेतवा लिंक परियोजना के रूप में की गई है. बुंदेलखंड इलाके के ज्यादातर लोग अपनी आजीविका चलाने के लिए खेती पर निर्भर रहते हैं, लेकिन पानी की पर्याप्त उपलब्धता न होने के कारण किसानों की पैदावार प्रभावित होती है, जिससे इनका जीवन भी प्रभावित होता है. इसलिए केन-बेतवा लिंक परियोजना को बुंदेलखंड इलाके के लिए वरदान माना जा रहा है. इस प्रोजेक्ट के पूरा हो जाने से मध्य प्रदेश सहित उत्तर प्रदेश के भी कई जिले के लोगों को फायदा होगा.

हर बड़े प्रोजेक्ट के दो पहलू होते हैं. इसमें जहां लाखों-करोड़ों लोगों को फायदा होता है. वहीं, कई लोगों को नुकसान भी होता है. केन-बेतवा लिंक परियोजना में भी कई गांव प्रभावित हुए हैं. इन प्रभावित गांव वालों ने सरकार पर उचित मुआवजा नहीं देने का आरोप लगाया है. ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें बाजार मूल्य से बेहद कम रेट पर मुआवजा दिया जा रहा है. उन्हें जितना पैसा दिया जा रहा है उतने में किसी और जगह उनकी गुजर-बसर नहीं हो सकती. उतने पैसे में वो नया आशियाना भी नहीं बना सकते.

छतरपुर जिले के 14 गांव होंगे विस्थापित (ETV Bharat)

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लोकसभा में उठाया था मुद्दा

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीती 4 फरवरी को लोकसभा में ग्रामीणों के इस मुद्दे को उठाया था. उन्होंने मांग की थी कि गांव वालों को पर्याप्त मुआवजा मिले, जिससे वे किसी दूसरी जगह अपना मकान बना सकें और अपनी जरूरतें पूरी कर सकें. अखिलेश यादव के इस कदम के बाद मध्य प्रदेश के सपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज यादव रविवार को योजना से प्रभावित गांवों में पहुंचे. उन्होंने ग्रामीणों से इस मुद्दे पर बात की और सरकार द्वारा दिए जा रहे मुआवजे की हकीकत जानने की कोशिश की.

AKHILESH YADAV KEN BETWA PROJECT
केन-बेतवा विस्थापितों को बनाएं हाफ करोड़पति (ETV Bharat)

ग्रामीणों ने प्रति परिवार 50 लाख मुआवजे की मांग की

मनोज यादव पलकुआ गांव पहुंचे थे. जहां ग्रामीणों से मुलाकात के बाद उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, "सरकार ने केन-बेतवा लिंक परियोजना से प्रभावित गांवों के निवासियों को उचित मुआवजा देने की बात कही थी, लेकिन अब सरकार अपनी बात से मुकर रही है. किसानों को पूरे घर का मुआवजा सिर्फ 25 हजार रुपए दिया जा रहा है.

सरकार ने प्रति परिवार साढ़े 12 लाख रुपए जमीन का मुआवजा तय किया है, इससे ग्रामीण संतुष्ट नहीं है. इनकी मांग है कि प्रति परिवार इन्हें 50 लाख रुपए दिया जाए. ये ग्रामीण कई पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं, लेकिन सरकार द्वारा पट्टा और कब्जा नहीं दिए जाने की वजह से जमीन इनके नाम नहीं दर्ज है. इसलिए सरकार उस जमीन को सरकारी मान रही है.

'सरकार की गाइडलाइन के अनुसार मिल रहा मुआवजा'

पलकुआ गांव निवासी भागीरथ यादव ने बताया कि "हमें केन बेतवा लिंक परियोजना के तहत यहां से हटाया जा रहा है. सरकार ने इसके लिए आज तक कोई गाइडलाइन नहीं बनाई है. हमारे गांव में कोई भी बड़ा अधिकारी या मंत्री नहीं आता, सिर्फ पटवारी आते हैं और वही अपने मन से सब कुछ करके जाते हैं. हम सरकार से प्रति एकड़ जमीन का 15 लाख और प्रति परिवार 50 लाख रुपए के मुआवजे की मांग करते हैं."

मामले को लेकर छतरपुर कलेक्टर पार्थ जैसवाल का कहना है कि "सरकार की गाइडलाइन के अनुसार किसानों को मुआवजा दिया जा रहा है. योजना से प्रभावित लोग मुझ से सीधे मिल सकते हैं या संबंधित SDM से मिलकर अपनी बात रख सकते हैं. नियमानुसार ही कार्रवाई होगी."

छतरपुर जिले के 14 गांव होंगे विस्थापित

बता दें कि केन बेतवा लिंक परियोजना से छतरपुर के कई गांव प्रभावित हो रहे हैं. जिले के भरकुआं, ढोड़न, खरियानी, कुपी, मैनारी, पलकोंहा, शहपुरा, सुकवाहा, पाठापुर, नैगुवां, डुंगरिया, कदवारा, घुघरी और बसुधा गांव को विस्थापित किया जाना है. कुपी और शहपुरा गांव आंशिक रूप से विस्थापित किए जा रहे हैं, वहीं ढ़ोड़न गांव में ग्रामीण करीब 1050 एकड़ जमीन पर कृषि कार्य कर रहे हैं, लेकिन उनका कहना है कि मुआवजा सिर्फ 42 एकड़ भूमि का मिल रहा है. बाकी की जमीन को सरकारी बता दिया गया है.

छतरपुर: बुंदेलखंड के सूखा प्रभावित इलाकों तक पानी पहुंचाने के लिए दो नदियों को आपस में जोड़ने की योजना बनाई गई. मध्य प्रदेश के छतरपुर से इस योजना की शुरुआत केन-बेतवा लिंक परियोजना के रूप में की गई है. बुंदेलखंड इलाके के ज्यादातर लोग अपनी आजीविका चलाने के लिए खेती पर निर्भर रहते हैं, लेकिन पानी की पर्याप्त उपलब्धता न होने के कारण किसानों की पैदावार प्रभावित होती है, जिससे इनका जीवन भी प्रभावित होता है. इसलिए केन-बेतवा लिंक परियोजना को बुंदेलखंड इलाके के लिए वरदान माना जा रहा है. इस प्रोजेक्ट के पूरा हो जाने से मध्य प्रदेश सहित उत्तर प्रदेश के भी कई जिले के लोगों को फायदा होगा.

हर बड़े प्रोजेक्ट के दो पहलू होते हैं. इसमें जहां लाखों-करोड़ों लोगों को फायदा होता है. वहीं, कई लोगों को नुकसान भी होता है. केन-बेतवा लिंक परियोजना में भी कई गांव प्रभावित हुए हैं. इन प्रभावित गांव वालों ने सरकार पर उचित मुआवजा नहीं देने का आरोप लगाया है. ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें बाजार मूल्य से बेहद कम रेट पर मुआवजा दिया जा रहा है. उन्हें जितना पैसा दिया जा रहा है उतने में किसी और जगह उनकी गुजर-बसर नहीं हो सकती. उतने पैसे में वो नया आशियाना भी नहीं बना सकते.

छतरपुर जिले के 14 गांव होंगे विस्थापित (ETV Bharat)

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लोकसभा में उठाया था मुद्दा

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीती 4 फरवरी को लोकसभा में ग्रामीणों के इस मुद्दे को उठाया था. उन्होंने मांग की थी कि गांव वालों को पर्याप्त मुआवजा मिले, जिससे वे किसी दूसरी जगह अपना मकान बना सकें और अपनी जरूरतें पूरी कर सकें. अखिलेश यादव के इस कदम के बाद मध्य प्रदेश के सपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज यादव रविवार को योजना से प्रभावित गांवों में पहुंचे. उन्होंने ग्रामीणों से इस मुद्दे पर बात की और सरकार द्वारा दिए जा रहे मुआवजे की हकीकत जानने की कोशिश की.

AKHILESH YADAV KEN BETWA PROJECT
केन-बेतवा विस्थापितों को बनाएं हाफ करोड़पति (ETV Bharat)

ग्रामीणों ने प्रति परिवार 50 लाख मुआवजे की मांग की

मनोज यादव पलकुआ गांव पहुंचे थे. जहां ग्रामीणों से मुलाकात के बाद उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, "सरकार ने केन-बेतवा लिंक परियोजना से प्रभावित गांवों के निवासियों को उचित मुआवजा देने की बात कही थी, लेकिन अब सरकार अपनी बात से मुकर रही है. किसानों को पूरे घर का मुआवजा सिर्फ 25 हजार रुपए दिया जा रहा है.

सरकार ने प्रति परिवार साढ़े 12 लाख रुपए जमीन का मुआवजा तय किया है, इससे ग्रामीण संतुष्ट नहीं है. इनकी मांग है कि प्रति परिवार इन्हें 50 लाख रुपए दिया जाए. ये ग्रामीण कई पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं, लेकिन सरकार द्वारा पट्टा और कब्जा नहीं दिए जाने की वजह से जमीन इनके नाम नहीं दर्ज है. इसलिए सरकार उस जमीन को सरकारी मान रही है.

'सरकार की गाइडलाइन के अनुसार मिल रहा मुआवजा'

पलकुआ गांव निवासी भागीरथ यादव ने बताया कि "हमें केन बेतवा लिंक परियोजना के तहत यहां से हटाया जा रहा है. सरकार ने इसके लिए आज तक कोई गाइडलाइन नहीं बनाई है. हमारे गांव में कोई भी बड़ा अधिकारी या मंत्री नहीं आता, सिर्फ पटवारी आते हैं और वही अपने मन से सब कुछ करके जाते हैं. हम सरकार से प्रति एकड़ जमीन का 15 लाख और प्रति परिवार 50 लाख रुपए के मुआवजे की मांग करते हैं."

मामले को लेकर छतरपुर कलेक्टर पार्थ जैसवाल का कहना है कि "सरकार की गाइडलाइन के अनुसार किसानों को मुआवजा दिया जा रहा है. योजना से प्रभावित लोग मुझ से सीधे मिल सकते हैं या संबंधित SDM से मिलकर अपनी बात रख सकते हैं. नियमानुसार ही कार्रवाई होगी."

छतरपुर जिले के 14 गांव होंगे विस्थापित

बता दें कि केन बेतवा लिंक परियोजना से छतरपुर के कई गांव प्रभावित हो रहे हैं. जिले के भरकुआं, ढोड़न, खरियानी, कुपी, मैनारी, पलकोंहा, शहपुरा, सुकवाहा, पाठापुर, नैगुवां, डुंगरिया, कदवारा, घुघरी और बसुधा गांव को विस्थापित किया जाना है. कुपी और शहपुरा गांव आंशिक रूप से विस्थापित किए जा रहे हैं, वहीं ढ़ोड़न गांव में ग्रामीण करीब 1050 एकड़ जमीन पर कृषि कार्य कर रहे हैं, लेकिन उनका कहना है कि मुआवजा सिर्फ 42 एकड़ भूमि का मिल रहा है. बाकी की जमीन को सरकारी बता दिया गया है.

Last Updated : Feb 10, 2025, 6:39 PM IST
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