बारूद के ढेर पर प्रदेश की उर्जाधानी सिंगरौली,आनन-फानन में 6 कंपनियों और पटाखा दुकानों की NOC निरस्त
Gunpowder Factories in Singrauli: हरदा में अवैध पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट के बाद सिंगरौली जिला प्रशासन की भी नींद टूटी है.आनन फानन में 6 विस्फोटक कंपनियों एवं पटाखा दुकानों की NOC निलंबित कर दी गई हैं.
सिंगरौली में 6 कंपनियों और पटाखा दुकानों की NOC निरस्त
सिंगरौली में 6 कंपनियों और पटाखा दुकानों की NOC निरस्त
सिंगरौली। हरदा में अवैध पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट में करीब 12 लोगों की मौत और 200 से अधिक लोगों के घायल होने के बाद सिंगरौली जिला प्रशासन भी जाग गया है.आनन फानन में यहां कार्रवाई के दौरान जिले में कुल 6 विस्फोटक कंपनियों एवं पटाखों की दुकानों पर अनियमितता पाये जाने पर तत्काल प्रभाव से अनापत्ति प्रमाण पत्र निलंबित कर कंपनियां सील कर दी गई हैं.
रिहायशी इलाके में बारूद की दर्जनों फैक्ट्रियां
सिंगरौली जिला मुख्यालय से करीब 2 किलोमीटर के दायरे में रिहायशी इलाके बलियरी में दर्जनों बारूद की फैक्ट्रियों का संचालन किया जा रहा है.हरदा ब्लास्ट के बाद पुलिस और प्रशासन की टीम ने पहुंचकर यहां कई कंपनियों की जांच की.जांच के दौरान कई कंपनियों में अनियमितता पाई गई.कलेक्टर ने 6 विस्फोटक कंपनियों एवं पटाखों की एनओसी निरस्त कर दी है.
कागजों में सिमटा बलियरी विस्फोट कांड
14 साल पहले रिहायशी इलाके बलियरी में संचालित बारूद फैक्टरी में विस्फोट हुआ था. जिसमें न जाने कितने परिवारों ने अपनों को खो दिया था जिसका दर्द आज भी लोगों के जहन में ताजा है. इस कांड में करीब 30 लोगों की मौत और 100 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए थे. बता दें कि 05 जुलाई 2009 को औद्योगिक क्षेत्र बलियरी स्थित आइडियल एक्सप्लोसिव बारूद फैक्ट्री में भीषण विस्फोट हुआ था. घटना के दूसरे दिन सीएम शिवराज सिंह चौहान भी मौके पर पहुंचे थे. उन्होंने घटना की मजिस्ट्रियल जांच करने के आदेश दिए थे साथ ही तत्काल सभी फैक्ट्रियों को स्थानांतरित करने को भी कहा था. विस्फोट कांड के 14 साल बीत जाने के बाद भी इन कंपनियों को यहां से हटाया नहीं जा सका.
मौजूदा वक्त में बलियरी औद्योगिक क्षेत्र में करीब दर्जनभर बारूद की फैक्ट्रियां संचालित हो रही हैं. प्रशासन अब तक सिर्फ फैक्ट्रियों के लिए रिहायशी इलाके से दूर जमीन उपलब्ध कराने की बात कह रहा है. हैरत की बात यह कि इतना होने के बाद भी फैक्ट्रियां चल रही हैं. प्रशासन इन्हें 14 साल बाद भी रिहायशी इलाके से दूर जमीन उपलब्ध नहीं करा पाया है.सवाल यही है कि कोई घटना हो जाती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा.