Indore First Viaduct Road Detail: मध्य प्रदेश में सबसे घनी आबादी वाले शहर, इंदौर के ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए सरकार ने नया प्लान तैयार किया है. दरअसल, इंदौर में ट्रैफिक की भीषण समस्या को देखते हुए पहली बार यहां मल्टीलेवल फ्लाईओवर तैयार किया जा रहा है. यह इंदौर की ट्रैफिक को कंट्रोल करने के साथ-साथ 2028 में उज्जैन इंदौर के रास्ते आने वाले श्रद्धालुओं की राह को आसान करेगा. अधिकारियों के मुताबिक प्रोजेक्ट आधा से ज्यादा पूरा कर लिया गया है और सितंबर तक पूरा हो जाने की संभावना है.
लवकुश चौराहे पर मल्टीलेवल फ्लाईओवर का निर्माण
इंदौर के लव कुश चौराहे पर प्रतिदिन हजारों वाहन इंदौर, उज्जैन के अलावा धार, रतलाम, मंदसौर और नीमच आदि इलाकों से इंदौर के एंट्री पॉइंट पर भीषण ट्रैफिक जाम का शिकार होते हैं. हाल ही में इंदौर के मास्टर प्लान में यहां जब ओवर ब्रिज बनाने की बारी आई तो पता चला सामान्य फ्लाईओवर के अलावा यहां से मेट्रो ट्रेन का रूट भी है. लिहाजा पहले से बने हुए ओवर ब्रिज और मेट्रो ट्रेन रूट के ऊपर से ब्रिज बनाने की चुनौती सामने आई. जिसको देखते हुए इंदौर विकास प्राधिकरण ने यहां 145 करोड़ रुपए की लागत से 1450 मीटर लंबा और 23 मीटर ऊंचा ब्रिज बनाने की योजना बनाई, जो अब साकार होती नजर आ रही है.
'सितंबर तक पूरा हो जाएगा निर्माण कार्य'
इंदौर विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी राम प्रकाश अहिरवार ने बताया कि "प्रदेश में मल्टी लेयर ट्रैफिक से निपटने के लिए इस तरह का पहला ब्रिज तैयार किया जा रहा है. जिसका 60% निर्माण पूरा हो चुका है. सितंबर 2025 तक इस ब्रिज का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा. इसके बनने से इंदौर से उज्जैन की ओर जाने वाले वाहनों के अलावा उज्जैन से इंदौर की ओर यात्रा करने वाले सैकड़ों वाहनों को चौराहे पर ट्रैफिक जाम से मुक्ति मिल सकेगी.
इसके अलावा सिंहस्थ मेले के दौरान इंदौर से उज्जैन जाने वाले यात्रियों को भी सुविधाजनक मार्ग उपलब्ध हो सकेगा. साथ ही धार, रतलाम, मंदसौर, नीमच आदि जिलों से आने वाले ट्रैफिक को फ्लाईओवर के जरिए आसानी से डायवर्ट किया जा सकेगा. वहीं, फ्लाईओवर बनने से इसके नीचे से गुजरने वाले ट्रैफिक सिग्नल से भी मुक्ति मिल सकेगी."
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क्या है इस मल्टीलेवल फ्लाईओवर की खासियत?
इंदौर में अलग-अलग स्थान पर 19 फ्लाईओवर बन रहे हैं, लेकिन इनमें यह डबल लेयर फ्लाईओवर सबसे ऊंचा रहेगा. इसके अलावा ओवर ब्रिज की सतह पर पानी का अवशोषण न हो इसके लिए एक खास टेक्नोलॉजी उपयोग की जा रही है. वहीं, यह फ्लाईओवर सिग्नल फ्री होगा, जिसमें सेंसर आधारित लाइटिंग होगी जो आम उजाले में ज्यादा रोशनी देंगी और ज्यादा रोशनी होने पर अपने आप धीमी हो जाएगी. ब्रिज में भूकंप के हिसाब से भी सुरक्षात्मक मानदंडों का ध्यान रखा जा रहा है.