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दुकान नहीं पेड़ से तोड़कर खाएं गुलाब जामुन, किसान ने लगा दिया पेड़, शुगर करता है कंट्रोल - Shahdol Gulab Jamun Farming

एमपी का शहडोल संभाग अलग-अलग तरीकों और अलग किस्म की खेती करने के लिए जाना जाता है. साथ ही खेती के कई फायदे और लाभी की खबरें देखने मिलती है. ऐसा ही इस बार कुछ अलग और अनूठी खेती के बारे में आप जानेंगे. जी हां अब गुलाब जामुन आप घर पर बनाकर या दुकान से खरीद कर नहीं बल्कि तोड़कर खाइए. साथ ही इसके कई फायदे भी हैं.

SHAHDOL GULAB JAMUN FARMING
डायबिटीज का दोस्त गुलाब जामुन (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 20, 2024, 5:36 PM IST

Updated : May 20, 2024, 6:53 PM IST

दुकान नहीं पेड़ से तोड़कर खाएं गुलाब जामुन (ETV Bharat)

शहडोल। शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है. यहां पर कई ऐसे किसान भी पाए जाते हैं, जो तरह-तरह के प्रयोग करते हैं. नई-नई फसलें तो लगाते ही हैं, साथ ही कई नए तरह के पौधे भी लगाते हैं. जिले के एक ऐसे ही किसान हैं, राम सजीवन कचेर जो अक्सर ही यूनिक पौधे लगाने के लिए सुर्खियों में बने रहते हैं. वे अक्सर नया प्रयोग करने के लिए जाने जाते हैं. कुछ साल पहले ही इन्होंने यूट्यूब में देखकर 42 की तापमान में अपने खेत में सेब के पौधे लगाए और उसमें फल भी आए. अब इन्हीं किसान ने गुलाब जामुन का पौधा कुछ साल पहले लगाया था. जो अब फल देने लगे हैं. अब यही पौधा क्षेत्र के लोगों के लिए उत्सुकता का बड़ा केंद्र बना हुआ है.

अब पेड़ से तोड़कर खाइए गुलाब जामुन

अगर हम कहें कि अब आप दुकान से नहीं बल्कि पेड़ से तोड़कर गुलाब जामुन खाईये तो आपको हैरानी जरूर होगी, लेकिन यह सच है. हम बात कर रहे हैं पेड़ में लगने वाले फल की. जिसका नाम ही गुलाब जामुन है. शहडोल जिले के करकटी गांव के रहने वाले किसान राम सजीवन कचेर ने अपने खेत में गुलाब जामुन का ये पौधा लगा रखा है. पिछले 3 सालों से इसकी सेवा कर रहे हैं. मौजूदा साल इस पेड़ में कई सारे फल आए हैं. जो लोगों के लिए एक बड़ा अजूबा भी बने हुए हैं. क्योंकि इसके बारे में कहा जाता है कि इस फल का स्वाद बिल्कुल गुलाब जामुन की तरह ही होता है. यहां तक कि सुगंध भी बिल्कुल गुलाब के फूल की तरह होती है.

गुलाब जामुन फल (ETV Bharat)

राम सजीवन कचेर बताते हैं कि 'वे गुलाब जामुन का यह पौधा छत्तीसगढ़ से लेकर आए थे. छत्तीसगढ़ में जब कुछ नए पौधों की तलाश में वो गए थे, तो उन्हें गुलाब जामुन खाने को मिला था. जिससे वह काफी प्रभावित हुए थे और 3 साल पहले उन्होंने दो पौधे लाकर लगाए थे. जिसमें से एक पौधा उनका पूरी तरह से तैयार हो गया है. दूसरे साल में उस पौधे में फल थोड़े बहुत आए थे, लेकिन उतनी तादात में नहीं थे, लेकिन तीसरे साल में इसमें अच्छे खासे फल आए हैं. पक भी रहे हैं और उसमें स्वाद भी बिल्कुल गुलाब जामुन की तरह ही है. जिसे लेकर राम सजीवन कचेर कहते हैं कि सेब के बाद उनका ये प्रयोग भी सफल रहा. हमारे शहडोल जिले के एनवायरमेंट में भी गुलाब जामुन के पौधे लगाए जा सकते हैं.

किसानों को होगा फायदा

किसान राम सजीवन कचेर कहते हैं कि अगर किसान गुलाब जामुन की खेती करते हैं, तो उनको फायदा होगा. वजह है अपने क्षेत्र के लिए एकदम नया पौधा है. अपने क्षेत्र के मार्केट में तो गुलाब जामुन मिलता भी नहीं है. इसका स्वाद इतना अच्छा है कि लोग एक बार चखेंगे तो बार-बार खाएंगे. सबसे अच्छी बात है, कि इसके अच्छे दाम भी मिलेंगे, हालांकि बाजार में यह 100 से ₹200 किलो तक बिकता है, लेकिन अपने क्षेत्र में एकदम नया है तो 100 से डेढ़ सौ रुपए किलो तक तो आसानी से बिक जाएगा. अगर किसान इसे लगाते हैं तो एक बार लगाएंगे और साल दर साल इसमें फल आएंगे. उसे वो बाजार में लेकर बेच सकेंगे. इसमें ना तो ज्यादा कीटनाशक की जरूरत होती है, ना ज्यादा देख रेख की जरूरत होती है. पौधा लाइए लगा दीजिए. समय-समय से पानी और खाद देते रहिए. पौधा तैयार हो जाएगा. फल आने शुरू हो जाएंगे. जिस तरह से आप जामुन का पेड़ लगाते हैं, ठीक इसी तरह से आप गुलाब जामुन का पेड़ लगा सकते हैं. इसके फल आने के बाद अच्छी खासी आमदनी हासिल कर सकते हैं.

शहडोल के किसान ने की गुलाब जामुन की खेती (ETV Bharat)

कहां-कहां पाया जाता है ?

कृषि वैज्ञानिक डॉ बीके प्रजापति बताते हैं कि गुलाब जामुन का पौधा देश के अलग-अलग राज्यों में पाया जाता है. छत्तीसगढ़ में भी इसके कई सारे पौधे हैं. उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश हर जगह ये गुलाब जामुन का पौधा पाया जाता है. इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि यह हर तरह के तापमान में हो सकता है, जो किसानों के लिए अच्छी बात है. इसके अलावा इसका नेटिव प्लेस दक्षिण पूर्वी एशिया है और यह मुख्य रूप से मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, कोलंबिया, बारबाडोस, नेपाल और नीदरलैंड जैसे देशों में ये अच्छा खासा पाया जाता है.

पेड़ पर उग रहे गुलाब जामुन (ETV Bharat)

कई नामों से जाना जाता है ?

गुलाब जामुन को अलग-अलग जगह पर अलग-अलग नाम से जाना जाता है. कुछ जगहों पर गुलाब जामुन के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा वेस्ट बंगाल में गुलाब जाम के नाम से जाना जाता है. कर्नाटक में रोज एप्पल के नाम से बोलते हैं. इसके अलावा क्लाउड एप्पल, प्लम रोज, रोज एप्पल अलग-अलग क्षेत्र अलग-अलग नाम से इसे जाना जाता है. इसके फल को बहुत पसंद किया जाता है, क्योंकि इसका फल बहुत स्वादिष्ट होता है.

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मेडिशनल वैल्यू काफी ज्यादा

कृषि वैज्ञानिक बीके प्रजापति बताते हैं कि 'जो गुलाब जामुन होता है, इसकी मेडिसिन वैल्यू बहुत ज्यादा होती है. खाने के रूप में देखेंगे तो इसके फ्रूट से जैम और जेली भी बनती है. इसकी मेडिसिनल वैल्यू बहुत ज्यादा होती है. इसका मेडिसिन इंपॉर्टेंस भी बहुत ज्यादा होता है. डायबिटीज के पेशेंट होते हैं. उनके डायबिटीज कंट्रोल के लिए होता है. डाइजेशन सिस्टम इंप्रूव करने के लिए होता है. कैंसर प्रीवेंशन में भी इसका इस्तेमाल होता है. बॉडी में टाक्सीसिटी होती है, तो उसे रिड्यूस करने के काम आता है. इम्यून सिस्टम को मजबूत करने का काम करता है. बालों और हड्डियों को मजबूत करता है. सेहत के लिए काफी गुणकारी है. देखा जाए तो यह डायबिटीज को भी कंट्रोल करता है. कुल मिलाकर हमारी मांसपेशियों की समस्याओं में भी काम आता है. गुलाब जामुन का मेडिसिनल वैल्यू भी बहुत ज्यादा है. आयुर्वेदिक महत्व भी बहुत ज्यादा है.

Last Updated : May 20, 2024, 6:53 PM IST

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