शहडोल। शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है. यहां पर कई ऐसे किसान भी पाए जाते हैं, जो तरह-तरह के प्रयोग करते हैं. नई-नई फसलें तो लगाते ही हैं, साथ ही कई नए तरह के पौधे भी लगाते हैं. जिले के एक ऐसे ही किसान हैं, राम सजीवन कचेर जो अक्सर ही यूनिक पौधे लगाने के लिए सुर्खियों में बने रहते हैं. वे अक्सर नया प्रयोग करने के लिए जाने जाते हैं. कुछ साल पहले ही इन्होंने यूट्यूब में देखकर 42 की तापमान में अपने खेत में सेब के पौधे लगाए और उसमें फल भी आए. अब इन्हीं किसान ने गुलाब जामुन का पौधा कुछ साल पहले लगाया था. जो अब फल देने लगे हैं. अब यही पौधा क्षेत्र के लोगों के लिए उत्सुकता का बड़ा केंद्र बना हुआ है.
अब पेड़ से तोड़कर खाइए गुलाब जामुन
अगर हम कहें कि अब आप दुकान से नहीं बल्कि पेड़ से तोड़कर गुलाब जामुन खाईये तो आपको हैरानी जरूर होगी, लेकिन यह सच है. हम बात कर रहे हैं पेड़ में लगने वाले फल की. जिसका नाम ही गुलाब जामुन है. शहडोल जिले के करकटी गांव के रहने वाले किसान राम सजीवन कचेर ने अपने खेत में गुलाब जामुन का ये पौधा लगा रखा है. पिछले 3 सालों से इसकी सेवा कर रहे हैं. मौजूदा साल इस पेड़ में कई सारे फल आए हैं. जो लोगों के लिए एक बड़ा अजूबा भी बने हुए हैं. क्योंकि इसके बारे में कहा जाता है कि इस फल का स्वाद बिल्कुल गुलाब जामुन की तरह ही होता है. यहां तक कि सुगंध भी बिल्कुल गुलाब के फूल की तरह होती है.
राम सजीवन कचेर बताते हैं कि 'वे गुलाब जामुन का यह पौधा छत्तीसगढ़ से लेकर आए थे. छत्तीसगढ़ में जब कुछ नए पौधों की तलाश में वो गए थे, तो उन्हें गुलाब जामुन खाने को मिला था. जिससे वह काफी प्रभावित हुए थे और 3 साल पहले उन्होंने दो पौधे लाकर लगाए थे. जिसमें से एक पौधा उनका पूरी तरह से तैयार हो गया है. दूसरे साल में उस पौधे में फल थोड़े बहुत आए थे, लेकिन उतनी तादात में नहीं थे, लेकिन तीसरे साल में इसमें अच्छे खासे फल आए हैं. पक भी रहे हैं और उसमें स्वाद भी बिल्कुल गुलाब जामुन की तरह ही है. जिसे लेकर राम सजीवन कचेर कहते हैं कि सेब के बाद उनका ये प्रयोग भी सफल रहा. हमारे शहडोल जिले के एनवायरमेंट में भी गुलाब जामुन के पौधे लगाए जा सकते हैं.
किसानों को होगा फायदा
किसान राम सजीवन कचेर कहते हैं कि अगर किसान गुलाब जामुन की खेती करते हैं, तो उनको फायदा होगा. वजह है अपने क्षेत्र के लिए एकदम नया पौधा है. अपने क्षेत्र के मार्केट में तो गुलाब जामुन मिलता भी नहीं है. इसका स्वाद इतना अच्छा है कि लोग एक बार चखेंगे तो बार-बार खाएंगे. सबसे अच्छी बात है, कि इसके अच्छे दाम भी मिलेंगे, हालांकि बाजार में यह 100 से ₹200 किलो तक बिकता है, लेकिन अपने क्षेत्र में एकदम नया है तो 100 से डेढ़ सौ रुपए किलो तक तो आसानी से बिक जाएगा. अगर किसान इसे लगाते हैं तो एक बार लगाएंगे और साल दर साल इसमें फल आएंगे. उसे वो बाजार में लेकर बेच सकेंगे. इसमें ना तो ज्यादा कीटनाशक की जरूरत होती है, ना ज्यादा देख रेख की जरूरत होती है. पौधा लाइए लगा दीजिए. समय-समय से पानी और खाद देते रहिए. पौधा तैयार हो जाएगा. फल आने शुरू हो जाएंगे. जिस तरह से आप जामुन का पेड़ लगाते हैं, ठीक इसी तरह से आप गुलाब जामुन का पेड़ लगा सकते हैं. इसके फल आने के बाद अच्छी खासी आमदनी हासिल कर सकते हैं.
कहां-कहां पाया जाता है ?
कृषि वैज्ञानिक डॉ बीके प्रजापति बताते हैं कि गुलाब जामुन का पौधा देश के अलग-अलग राज्यों में पाया जाता है. छत्तीसगढ़ में भी इसके कई सारे पौधे हैं. उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश हर जगह ये गुलाब जामुन का पौधा पाया जाता है. इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि यह हर तरह के तापमान में हो सकता है, जो किसानों के लिए अच्छी बात है. इसके अलावा इसका नेटिव प्लेस दक्षिण पूर्वी एशिया है और यह मुख्य रूप से मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, कोलंबिया, बारबाडोस, नेपाल और नीदरलैंड जैसे देशों में ये अच्छा खासा पाया जाता है.