शिमला: राजधानी शिमला के सबसे बड़े उपनगर संजौली में मस्जिद के अवैध निर्माण का मामला जिला अदालत पहुंचा है. बुधवार को यहां सुनवाई के बाद अतिरिक्त जिला व सेशन कोर्ट ने मामले की अगली तारीख 11 नवंबर तय की है. पांवटा साहिब, बिलासपुर व डिनक मंडी की तीन मुस्लिम वेलफेयर कमेटियों ने न्यायमूर्ति प्रवीण गर्ग की अदालत में अपील दाखिल की है. ये अपील ऑल हिमाचल मुस्लिम एसोसिएशन के बैनर तले नजाकत अली हाशमी की तरफ से दाखिल की गई है. इस अपील में कहा गया है कि संजौली मस्जिद कमेटी पंजीकृत नहीं है और वहां के मुखिया मोहम्मद लतीफ को संजौली मस्जिद से जुड़ा कोई फैसला लेने का हक नहीं है. न्यायमूर्ति प्रवीण गर्ग की अदालत ने इस अपील पर नगर निगम आयुक्त के फैसले पर स्टे देने की मांग को स्वीकार नहीं किया है. यानी मुस्लिम पक्ष को स्टे नहीं मिला है. सेशन कोर्ट ने मामले का सारा रिकॉर्ड भी तलब किया है. यानी नगर निगम व अन्य संबंधितों को सारा रिकार्ड अगली सुनवाई में अदालत में पेश करना होगा.
मस्जिद कमेटी ने मांगी थी अवैध निर्माण हटाने की अनुमति
उल्लेखनीय है कि संजौली मस्जिद कमेटी ने नगर निगम शिमला आयुक्त के समक्ष आग्रह पत्र दिया था कि उन्हें मस्जिद का अवैध निर्माण हटाने की अनुमति दी जाए. कमिश्नर ने मस्जिद कमेटी को ये अनुमति दे दी थी और दो माह में अपने खर्च पर अवैध निर्माण हटाने को कहा था. इस बीच, लोकल रेजीडेंट्स की तरफ से जगतपाल ठाकुर ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की और वर्ष 2010 में मस्जिद में हुए अवैध निर्माण से जुड़ी शिकायत पर फैसला लेने के लिए आग्रह किया.
11 नवंबर को अगली सुनवाई तय
हाईकोर्ट ने निगम प्रशासन को 20 दिसंबर से पहले मामले को निपटाने के आदेश दिए थे. इसी दरम्यान मुस्लिम समाज की तरफ से अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायालय में अपील दाखिल की गई, जिस पर न्यायमूर्ति प्रवीण गर्ग की अदालत ने सुनवाई करते हुए 11 नवंबर की डेट दी है. अपीलकर्ताओं की तरफ से एडवोकेट विश्व भूषण ने पक्ष रखा. उन्होंने मामले में स्टे दिए जाने का आग्रह किया था जिसे न्यायमूर्ति प्रवीण गर्ग की अदालत ने स्वीकार नहीं किया. वहीं, लोकल रेजीडेंट्स की तरफ से पेश हुए वकील जगतपाल ठाकुर ने दलील पेश की थी कि पांवटा साहिब की कमेटी की तरफ से याचिका दाखिल करने वाले नजाकत अली हाशमी का इस केस से कोई ताल्लुक नहीं है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति प्रवीण गर्ग ने 11 नवंबर की तारीख दी है.