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समस्तीपुर में भक्तों की खुद रक्षा करते हैं घोड़े पर बैठे भगवान रेवंत, मां दुर्गा के साथ होती है पूजा - DURGA PUJA 2024

समस्तीपुर में शारदीय नवरात्र में भक्तों के रक्षक के रूप में घोड़े पर बैठे भगवान रेवंत की प्रतिमा की भी प्राण प्रतिष्ठा की जाती है.

भगवान रेवंत की प्राण प्रतिष्ठा
भगवान रेवंत की प्राण प्रतिष्ठा (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 11, 2024, 4:57 PM IST

Updated : Oct 11, 2024, 5:46 PM IST

समस्तीपुर: बिहार के समस्तीपुरजिला मुख्यालय के गोला रोड पर प्राचीन भगवान भोलेनाथ का भूतनाथ मंदिर में दुर्गा देवी का पंडाल पूरे आकर्षण का केंद्र रहता है. यहां बीते तीन दशकों से शारदीय नवरात्र में माता की स्थापना की जाती है. इसके साथ भक्तों के रक्षक के रूप में घोड़े पर बैठे भगवान रेवंत के प्रतिमा का भी प्राण प्रतिष्ठा की जाती है.

समस्तीपुर में भगवान रेवंत की प्राण प्रतिष्ठा : पूजा समिति के कोषाध्यक्ष मुकेश कुमार बताते हैं कि शारदीय नवरात्र में माता को स्थापित की जाती है. यहां माता के कलश स्थापना के साथ ही घोड़े पर बैठे भगवान रेवंत के प्रतिमा का भी प्राण प्रतिष्ठा की जाती है. मान्यताओं के अनुसार किसी भी पूजा स्थल पर होने वाले अनुष्ठानों का इन्हें रक्षक माना गया है.

समस्तीपुर में दुर्गा पूजा (ETV Bharat)

''बीते कई वर्षों से होने वाले इस पूजा स्थल पर माता के दरबार मे आने वाले सभी भक्तों की रक्षा खुद पूजा स्थल के रक्षक भगवान रेवंत करते हैं. माता के प्राण प्रतिष्ठा के दूसरे दिन भगवान रेवंत की भी यहां प्राण प्रतिष्ठा होती है. वहीं हमे स्थल के रक्षक के प्रति पूर्ण आस्था व विश्वास है. इस महाअनुष्ठान के दौरान यहां आने वाले भक्तों का पूरी तरह से रक्षा करते हैं.''- मुकेश कुमार, कोषाध्यक्ष, पूजा समिति

सीसीटीवी से निगरानी:बता दें कि यहां सप्तमी पूजा सेश्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा होती है. इस दौरान किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो इसके लिए प्रशासन भी तैयारी में जुटी रहती है. दुर्गा पूजा के दौरान शांति व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से सीसीटीवी लगाये गये हैं.

रक्षा की जिम्मेदारी भगवान रेवंत को दिया गया था: बताया जाता है कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यज्ञ व अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान किसी भी बाधा व राक्षसों के उत्पाद से उन स्थलों के रक्षा की जिम्मेदारी भगवान रेवंत को दिया गया था. साथ ही पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महिषासुर से युद्ध के दौरान वे माता दुर्गा के बतौर सेनापति उनके आगे सागर मंथन से प्राप्त उच्चश्रव घोड़ा से चल रहे थे.

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Last Updated : Oct 11, 2024, 5:46 PM IST

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