सागर: पूरे देश में तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर डेवल्पमेंट के काम चल रहे हैं. जिनमें सबसे बडे़ पैमाने पर नेशनल हाइवे, एक्सप्रेस हाइवे, ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे और सिक्स लेन निर्माण के कार्य तेजी से चल रहे हैं. उच्च गुणवत्ता की सड़कें बन रही है और इन सड़कों की निगरानी के लिए अब केंद्र सरकार तीसरी आंख का सहारा लेने जा रही है. दरअसल केंद्र सरकार ने नेशनल हाइवे की निगरानी करने के लिए ड्रोन एनालिटिक्स मॉनिटरिंग सिस्टम (डीएएमएस) व्यवस्था लागू कर दी है. इस व्यवस्था के तहत नेशनल हाइवे के रखरखाव, मरम्मत, दुर्घटना जैसे तमाम पहलुओं पर नजर रखी जाएगी. हर साल दो बार डीएएमएस प्रणाली से नेशनल हाइवे का सर्वे किया जाएगा. फील्ड आफीसर और प्रोजेक्ट आफीसर इसकी निगरानी करेंगे.
केंद्र सरकार के सड़क परिवहन मंत्रालय ने लागू की व्यवस्था
केंद्र सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने ड्रोन एनालिटिक्स मॉनिटरिंग सिस्टम (डीएएमएस) को एक अक्टूबर 2024 से लागू कर दिया है. जिसके तहत पूरे देश के नेशनल हाइवे का सर्वे साल में दो बार यानि हर छह महीने में किया जाएगा. इस व्यवस्था के तहत अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग समय पर ड्रोन एनालिटिक्स मानीटरिंग सिस्टम (डीएएमएस) से सर्वे होगा. वैसे तो कई स्तर पर ये सर्वे होगा और डीएएमएस प्रणाली से कई तरह का डेटा जुटाया जाएगा. लेकिन केंद्र सरकार इसका निर्माण, रखरखाव, सड़क दुर्घटना, यातायात बाधाओं जैसे कई मामलों में उपयोग करना चाहती है. देश के कई राज्यों के लिए सर्वे का समय भी तय कर दिया गया है. इसके तहत उत्तरप्रदेश में अप्रैल, बिहार में फरवरी, झारखंड में अगस्त और उत्तराखंड में अक्टूबर में सर्वे होगा.
किस तरह काम करेगा ड्रोन एनालिटिक्स मानीटरिंग सिस्टम
इस काम के लिए एनएचएआई ने ड्रोन सर्वे करने वाली एंजेसियों को सूचीबद्ध कर लिया है. ड्रोन एनालिटिक्स मानीटरिंग सिस्टम के तहत ड्रोन द्वारा लिए गए फोटो, वीडियो और डाटा का विश्लेषण विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है. इस व्यवस्था के तहत ड्रोन के जरिए नेशनल हाइवे के निर्माण, गड्ढों, दरारों, बारिश से होने वाले नुकसान, लेन मार्किंग की स्थिति, टूटी चारदीवारी, अवैध एंट्री और एग्जिट, अतिक्रमण और जलभराव के कारणों के अलावा कई सारे बिंदुओं पर सर्वे किया जाएगा. इस सर्वे के तहत फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी होगी. इसके अलावा कई तरह के डाटा भी ड्रोन जुटाएगा.
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