रतलाम: सेव, सोना और साड़ी के लिए प्रसिद्ध रतलाम शहर आज अपना 373वां स्थापना दिवस मना रहा है. सन 1652 में महाराजा रतन सिंह राठौर ने रतलाम राज्य की स्थापना बसंत पंचमी के दिन की थी. रतलाम राज्य की स्थापना के पीछे रोचक इतिहास और महाराजा रतन सिंह की शौर्य गाथा है. जिसके लिए आज भी उन्हें याद किया जाता है और हर वर्ष बसंत पंचमी पर रतलाम स्थापना महोत्सव मनाया जाता है. रतलाम राजवंश से जुड़े बड़ छपरा ठिकाने के सदस्य दिग्विजय सिंह राठौर से जानते हैं कैसे हुई थी रतलाम की स्थापना.
कटार से पाया था कहरकोप हाथी पर काबू
जालौर के राजा महेशदास राठौर के पुत्र रतन सिंह 18 से 20 वर्ष की आयु के बीच ही कई युद्धों में शामिल हो चुके थे. 21 साल की उम्र में उन्हें पिता के साथ शाहजहां के दरबार में जाने का मौका मिला. दिल्ली के तत्कालीन शासक शाहजहां के दरबार में उसके 50वें जन्मदिन के मौके पर हाथियों की लड़ाई का आयोजन किया गया था. वहां कहरकोप नाम के गुस्सैल और हिंसक हाथी को भी लाया गया था. बीच सभा में जैसे ही उस हाथी की जंजीर खोली गई, वह भड़क गया और लोगों पर हमला करने लगा. कई लोगों को रौंदते हुए वह बादशाह के समीप पहुंच गया.
महाराज रतन सिंह ने अपनी कटार से कहरकोप हाथी को किया था काबू (ETV Bharat) मदमस्त हाथी को गुस्से में देख दरबार के योद्धा यहां-वहां भागने लगे, लेकिन 21 साल के कुंवर रतन सिंह जरा भी नहीं डरे और कटार हाथ में लेकर उसकी सूंड पर पैर रख हाथी के सिर पर चढ़ गए और उसे कटार से काबू में कर लिया. तब जाकर बादशाह की जान में जान आई, जिसके बाद उन्होंने महाराजा रतन सिंह की प्रशंसा करते हुए उन्हें जालोर सहित रतलाम राज्य की स्थापना की जिम्मेदारी दी. 1652 में महाराजा रतन सिंह जालौर से रतलाम पहुंचे और बसंत पंचमी के मौके पर रतलाम राज्य की स्थापना की.
महाराजा रतन सिंह ने की थी रतलाम की स्थापना (ETV Bharat) औरंगजेब की सेना से लिया लोहा
सन 1656 में औरंगजेब ने अपने पिता और भाई दारा शिकोह के खिलाफ विद्रोह कर दिया. वह दिल्ली की तरफ बढ़ने लगा. उसे रोकने की जिम्मेदारी राजा जसवंत सिंह और महाराजा रतन सिंह को मिली. धर्मत गांव में औरंगजेब की सेना के साथ राजपूत सेना का घमासान युद्ध हुआ. जिसमें महाराजा रतन सिंह ने वीरता से औरंगजेब की सेना से लोहा लिया, लेकिन वह इस युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए. उनके बाद रतलाम राज्य का कार्यभार महाराज राम सिंह ने संभाला. महाराज रतन सिंह के नाम से ही पहले रतलाम का नाम रतनपुरी, रत्नपुरी और बाद में रतलाम पड़ा.
हर साल बसंत पंचमी पर मनाया जाता है स्थापना दिवस
बसंत पंचमी के मौके पर रतलाम स्थापना महोत्सव हर वर्ष मनाया जाता है. आज भी महाराजा रतन सिंह के शौर्य को याद करते हुए उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण और कार्यक्रमों का आयोजन रतलाम में किया जाता है. जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठन, राजपूत समाज और जनप्रतिनिधि शामिल होते हैं. अब रतलाम मध्य प्रदेश मालवा अंचल का एक प्रमुख जिला है.